हिमाचल: पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेललाइन को विरासत घोषित करने की तैयारी, यूनेस्को की संभावित सूची में; पावर हाउस के लिए बिछा था ट्रैक
Kangra Rail, हिमाचल प्रदेश की पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेललाइन को विरासत घोषित करने की कवायद शुरू हो गई है, जिसे यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल किया गय ...और पढ़ें

पठानकोट जोगेंद्रनगर रेललाइन को विरासत घोषित करने की तैयारी है। जागरण आर्काइव
संवाद सहयोगी, पालमपुर। हिमाचल प्रदेश की पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेललाइन को विरासत घोषित करने की कवायद शुरू हो गई है। इसे यूनेस्को की संभावित सूची में स्थान मिला है लेकिन विरासत घोषित किए जाने पर अभी कुछ कार्य शेष हैं। यूनेस्को ने देश में तीन रेललाइनों दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरि माउंटेन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे और इमारत छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई को विरासत घोषित किया है।
चक्की खड्ड में ढाई साल के रिकार्ड समय में पुल बनकर तैयार हो गया है। ट्रायल के बाद इस मार्ग पर पठानकोट से रेलगाड़ियों का आगमन शुरू कर दिया जाएगा।
मंगलवार को पालमपुर के एक निजी होटल में भारतीय रेलवे समन्वय समिति की दूसरी बैठक में रेलवे विरासत विभाग की कार्यकारी निदेशक आशिमा मेहरोत्रा ने यह जानकारी दी। बैठक में विरासत सूची व डाटाबेस तैयार करने पर चर्चा हुई। साथ ही रेलवे विरासत भवन एवं संरचना के जीर्णोद्धार पर कार्ययोजना तैयार करने पर बल दिया।
एजेंसी की नियुक्ति पर चर्चा
विरासत से संबंधित एजेंसी की नियुक्ति किए जाने पर भी चर्चा हुई। पहाड़ी राज्यों में रेलवे के अंतर्गत संरचनाओं को सहेजने के लिए बेसिक सपोर्ट स्टाफ की नियुक्ति, अमूर्त विरासत की पहचान, विरासत को लेकर कहानियां विकसित करने और इन्हें राज्य पुस्तकालयों में सहेजने, इनसे संबंधित जानकारियां जुटाने, ऐतिहासिक इमारतों के स्वरूप को बचाने पर भी मंथन किया।
विरासत सरंचनाएं शामिल होंगी लाइब्रेरी में
रेलवे की विरासत संरचनाओं को पालमपुर व पठानकोट स्थित रेलवे की लाइब्रेरी में स्थापित किए जाने पर भी बल दिया। मेहरोत्रा ने बताया कि पिछले दिनों गठित रेलवे की समन्वय समिति की यह दूसरी बैठक है। पहली बैठक रेलवे बोर्ड कार्यालय में आयोजित की थी।
वार्तालाप के लिए समिति का गठन
यूनेस्को की गाइडलाइन के तहत पहाड़ी राज्यों में रेलवे में प्रगति और समस्याओं को लेकर वार्तालाप के लिए समिति का गठन हुआ है। रेलवे पहाड़ी राज्यों में विरासत संरचनाओं के बाद क्षेत्रीय स्तर पर भी कार्ययोजना तैयार करने में प्रयासरत है। पहाड़ी राज्यों में रेलवे की चुनौतियों व रेललाइन की क्षति कम करने में कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसके लिए अन्य विभागों से भी समन्वय बनाने पर विचार किया है।
पहाड़ी राज्यों में रेलवे विस्तार व विविध संरचना बाबत जानकारी एकत्रित कर साझी कार्ययोजना बनेगी। इस मौके पर सीनियर डीएमटी जम्मू-कश्मीर अंशुल कुमार पुष्कर व एडीआरएम जेएटी अक्षय मारांतु भी मौजूद रहे।
पावर हाउस निर्माण के लिए बनाई थी रेललाइन
पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेललाइन का निर्माण जोगेंद्रनगर में शानन पावर हाउस बनाने के लिए किया था। वर्ष 1926 में पठानकोट से जोगेंद्रनगर तक नैरोगेज रेलमार्ग का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। 164 किलोमीटर लंबे इस रेलमार्ग का कार्य उस समय तीन साल में पूरा हो गया था। पहली अप्रैल, 1929 को इस रेल मार्ग में यातायात शुरू हो गया था। रेलमार्ग में 950 छोटे-बड़े पुल और दो सुरंगें हैं। उस समय मार्ग के निर्माण पर कुल लागत एक करोड़ 13 लाख रुपये आई थी।

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