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    ...तो कांगड़ा हवाई अड्डे के नीचे दबा कुआं बना खतरा, पहाड़ी से हाईवे पर आ रहा मलबा बना मुसीबत, क्या कहते हैं बुजुर्ग?

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 03:16 PM (IST)

    Himachal Pradesh Landslide कांगड़ा हवाई अड्डे के पास पठानकोट-मंडी एनएच पर भूस्खलन से हवाई अड्डे को खतरा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि हवाई अड्डा बनने से पहले यहाँ कुआँ और पानी की धाराएँ थीं जो अब बंद हो गई हैं। वहीं दूसरे पक्ष का मानना है कि हवाई अड्डे के ड्रेनेज सिस्टम में रुकावट के कारण रिसाव हो रहा है।

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    कांगड़ा हवाई अड्डे की पहाड़ी से हो रहा भूस्खलन। जागरण

    प्रमोद सैणी, गगल (कांगड़ा)। पठानकोट-मंडी एनएच पर कुठमां के पास पहाड़ी से हो रहे रिसाव व भूस्खलन से हवाई अड्डे की को खतरा उत्पन्न हो गया है। एनएचएआइ यहां पर प्रतिदिन मलबे को हटाकर सड़क पर यातायात सुचारू कर रहा है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

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    हर बरसात के बजाय इस बार स्थिति पहले से ज्यादा भयावह है। हवाई अड्डा की पट्टी के नीचे से हो रहे भूस्खलन ने एनएचएआइ व हवाई अड्डा प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

    इस भूस्खलन के पीछे कुछ स्थानीय लोगों का एक अलग मत है। लोगों के मुताबिक जिस समय यहां पर हवाई अड्डा नहीं बना था तो बढ़ोत बल्ला में एक काफी पुराना कुआं था और कई छोटी-बड़ी पानी की सीरें (धारा) थी।

    हवाई अड्डा निर्माण के दौरान यह कुआं व पानी के प्राकृतिक स्रोत बंद हो गए। कुठमां के ऊपरी क्षेत्र में कुछ पुराने प्राकृतिक पेयजल स्रोत भी थे। पुल के पास वर्षों से एक पेयजल स्रोत है जहां पर सैकड़ों लोग पानी पीते व भरते हैं। लोगों के अनुसार, इस बरसात में ज्यादा रिसाव हो रहा है।

    हवाई अड्डा परिसर के ड्रेनेज सिस्टम में रिसाव

    इस रिसाव के पीछे अन्य पक्ष यह भी माना जा रहा है कि शायद हवाई अड्डा परिसर के ड्रेनेज सिस्टम में कहीं रुकावट हो, जिससे भारी मात्रा में पानी पहाड़ी से रिस रहा है। यह एनएचएआइ व हवाई अड्डा प्रशासन के लिए भी एक जांच का विषय है। अगर इसी तरह से भूस्खलन होता रहा तो सड़क के साथ हवाई अड्डा की सुरक्षा दीवार को खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा।

    मजबूत डंगा लगाने की जरूरत

    गिर रहे मलबे को हटाने के लिए एनएचएआइ ने बैकहो लोडर (जेसीबी) मशीन लगाई है। हो सकता है कि हवाई अड्डा के ड्रेनेज सिस्टम बंद होने के कारण पानी की रिसाव पहाड़ी की ओर होने से भूस्खलन हो रहा हो। इस बार बरसात के ज्यादा होने के कारण भी समस्या आई है। हवाई अड्डा की सुरक्षा दीवार की सुरक्षा को लेकर हवाई अड्डा प्रशासन को डंगा लगाने की जरूरत है।

    -विकास सुरजेवाला, प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआइ।

    हवाई अड्डे की सुरक्षा दीवार को खतरा

    इस समस्या को लेकर पहले भी एनएचएआइ व जिला प्रशासन को अवगत करवाया गया है। समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। हवाई अड्डा की सुरक्षा दीवार को भी खतरा बना हुआ है। एनएचएआइ को इस समस्या का हल करने के लिए कदम उठाने होंगे, ताकि भूस्खलन को रोका जा सके।

    -धीरेंद्र शर्मा, निदेशक हवाई अड्डा कांगड़ा।

    बहुत बड़ा कुआं होता था एयरपोर्ट के पास

    इस एयरपोर्ट के पास बढ़ोत बल्ला में एक बहुत बड़ा कुआं होता था। उस कुएं में बहुत पानी होता था। अब उसके ऊपर एयरपोर्ट का रनवे बना हुआ है। जिस कारण उस कुएं का पानी नीचे से रिसकर इन पहाड़ियों में निकल रहा है। अगर समय रहते इसकी ओर ध्यान नहीं दिया तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

    -केवल सिंह गुलेरिया, कुठमां।

    12 महीने रिसता रहता था पानी

    पंचायत प्रधान कुठमां रवि कुमार का कहना है कि एयरपोर्ट को बने हुए काफी वर्ष हो गए हैं, लेकिन इससे पहले यहां दलदल यानी नडी जमीन होती थी, जिससे 12 महीने पानी रिसता ही रहता था। आज यही पानी पहाड़ियों में रिसता हुआ मलबे में तब्दील हो रहा है जिस कारण पहाड़ी का मलबा गिर रहा है।

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    क्या कहते हैं स्थानीय लोग

    जब एयरपोर्ट बना नहीं था तो यहां पर ऊबड़-खाबड़ स्थान पर पानी की सीरें होती थी। जब से एयरपोर्ट का निर्माण हुआ तो कुछ समय के लिए यह पानी सीरें बंद तो हो गई, लेकिन अब यही पानी की सीरें पहाड़ियों को खोखला कर रही हैं व भूस्खलन से मलबा सड़क पर आ रहा है।

    -संजय कुमार, निवासी रछियालु।

    वर्ष 1985 में यहां कुछ नहीं होता था। यह सारी जमीन बंजर होती थी और बरसात के मौसम में खूब पानी निकलता था। आज यही पानी शायद एयरपोर्ट के बनने से नीचे से बहता हुआ पहाड़ियों में चला जा रहा है। इसका उदाहरण इन पहाड़ियों के साथ में लगे एक स्रोत का है जहां 12 महीने पानी चला रहता है। इस स्रोत के साथ वाली पहाड़ियों में भी ऐसे ही पानी रिसता रहता है।

    -सूबेदार अशोक गुलेरिया, कुठमां।

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