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हिमाचल में 1336 करोड़ का ग्रीन नेशनल हाईवे कोरीडाेर अगले वर्ष पूरा होगा, जानिए क्‍या होगी खासियत

Green National Highway Coridoor हिमाचल प्रदेश का पहला ग्रीन नेशनल हाइवे कॉरीडोर प्रोजेक्ट अगले वर्ष पूरा हो जाएगा। हिमाचल का यह पहला प्रोजेक्‍ट है यह 15 साल बाद धरातल पर उतरेगा। विभिन्‍न फेस में इसका निर्माण पूरा होगा।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Wed, 02 Mar 2022 06:49 AM (IST)Updated: Wed, 02 Mar 2022 08:16 AM (IST)
हिमाचल का पहला ग्रीन नेशनल हाइवे कॉरीडोर प्रोजेक्ट अगले वर्ष पूरा हो जाएगा।

शिमला, रमेश सिंगटा। Green National Highway Coridoor, हिमाचल प्रदेश का पहला ग्रीन नेशनल हाइवे कॉरीडोर प्रोजेक्ट पांवटा-शिलाई-गुम्मा- फेड़ज का निर्माण कार्य अगले साल अप्रैल से लेकर सितंबर महीने तक पूरा हो जाएगा। विश्व बैंक प्रायोजित इस प्रोजेक्ट का कार्य सीधी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के हाथों में हैं। कुल 103 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर 1336 करोड़ खर्च होंगे। बाद में दूसरे चरण के तहत यह उत्तराखंड के त्यूनी से होकर शिमला के हाटकोटी तक गुजरेगा। यह सेब बहुल ऊपरी शिमला के बागवानों के लिए सेब को बाजार तक पहुंचाने का यह वैकल्पिक मार्ग भी है। पंद्रह साल बाद यह नेशनल हाइवे धरातल पर उतर रहा है।

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25 किलोमीटर में कम 19 किलोमीटर में आ रही ज्यादा लागत

इस प्रोजेक्ट के तहत 19 किलोमीटर के एक पैकेज में 349 करोड़ का खर्चा आएगा, जबकि 25 किलोमीटर के एक अन्य पैकेज में केवल 242 करोड़ की लागत आएगी। कुल पांच पैकेज बनाए गए हैं। छोटे पैकेज यानी कम दूरी के निर्माण में ज्यादा दूरी वाले से अधिक खर्चा आएगा। दावा है कि चट्टान वाला इलाका होने के कारण लागत ज्यादा आ रही है। कुल पैकेज पैकेज में से केवल गुम्मा- फेड़ज में कार्य आरंभ नहीं हुआ है। इसमें से एक में तो 30 फीसद कार्य पूरा हो गया है। प्राेजेक्ट निर्माण के लिए कुल दो वर्ष का वक्त दिया गया है। कार्य पिछले वर्ष अप्रैल से लेकर सितंबर महीने तक आरंभ हुआ।

पैकेज दूरी अनुमानित लागत

  • पांवटा- हेवना 25 किलोमीटर 272 करोड़
  • हेवना- अशशड़ी 25 किलोमीटर 242 करोड़
  • अशयाड़ी- श्रीक्यारी 25 किलोमीटर 345 करोड़
  • श्रीक्यारी गुम्मा- 19 किलोमीटर 349 करोड़
  • गुम्मा- फेड़ज- 8 किलोमीटर 125 कराेड़
  • कुल लंबाई 103 किलोमीटर 1336 करोड़

चकाचक होगी सड़क

प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद सड़क चकाचक होगी। दावा है कि ढ़लान का संरक्षण जापान की तकनीक से हो रहा है। इसमें सीमेंट आधारित सब बेस तकनीक का उपयोग हो रहा है। सड़क निर्मित क्षेत्रों में दुधिया रोशनी जगमगाएगी। लेेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार सड़क निर्माण के दौरान सुरक्षा के उचित प्रबंध नहीं किए गए हें। इससे पुरानी सड़क से गुजरने वाले वाहनों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

मीनस सड़क बंद

ग्रीन प्रोजेक्ट के कारण धारवा से बाया मीनस सड़क वाहनों के लिए बंद है। इससे क्षेत्र से गुजरने वाले वाहनों को बाया रोनहाट- सैंज करीब 14 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। इससे सफर महंगा हो गया है। पहले स्टेट हाइवे रोनहाट से होकर गुजरा, पर एनएच का रूट बदल दिया, इससे सिरमौर और शिमला की करीब पचास हजार आबादी बड़ी सुविधा से वंचित रही है। इससे रोनहाट, सैंजखड्ड से सटे शिमला के ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। जहां से होकर ग्रीन प्रोजेक्ट गुजरेगा, वह क्षेत्र किशाऊ बांध प्रोजेक्ट के डूब क्षेत्र में है।


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