Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Himachal News: दो किस्त न चुकाने पर कंपनी ने उठा लिया वाहन और बिना सहमति बेच दिया, अब उपभोक्ता आयोग ने सुनाया बड़ा फैसला

    By Dinesh Katoch Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Tue, 25 Nov 2025 02:44 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में उपभोक्ता आयोग ने एक वाहन कंपनी को दो किस्तें न चुकाने पर वाहन उठाने और बिना सहमति के बेचने पर फटकार लगाई। आयोग ने कंपनी को उपभोक्ता को मुआवजा देने का आदेश दिया। यह फैसला उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है और कंपनियों को मनमानी करने से रोकता है।

    Hero Image

    धर्मशाला उपभोक्ता आयोग ने गाड़ी जब्त करने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है।

    जागरण संवाददाता, धर्मशाला। लोन लेकर खरीदे वाहन की दो किस्तें न चुकाने पर कंपनी ने गाड़ी को उठा लिया। इसके बाद मामला उपभोक्ता आयोग में चलाया गया। उपभोक्ता आयोग ने अब कंपनी को संबंधित शख्स को 78,401 रुपये देने का आदेश दिया है।

    उसे शिकायत की तिथि से राशि की वसूली तक 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना होगा। महिंद्रा एंड महिंद्रा को उपभोक्ता को 30 हजार रुपये का मुआवजा व 15 हजार रुपये न्यायालय शुल्क भी देना होगा।

    वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा को यह भी निर्देश दिया है कि वह उपभोक्ता को भुगतान करने के बाद जिसे वाहन बेचा गया है, उससे कानून के अनुसार उक्त राशि वसूल कर सकता है। महिंद्रा एंड महिंद्रा यह भी सुनिश्चित करेगा कि उक्त राशि के भुगतान के बाद वाहन नए खरीदार के नाम पर स्थानांतरित हो जाए।

    उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर की खंडपीठ द्वारा यह फैसला सुनाया गया है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फतेहपुर निवासी ने स्वरोजगार चलाने के लिए खरीदा था वाहन

    जरनैल सिंह निवासी ब्रेल, डाकघर एवं तहसील फतेहपुर, जिला कांगड़ा ने स्व रोजगार के माध्यम से अपनी आजीविका चलाने के लिए 14 मई 2011 को 5,13,000 रुपये में एक वाणिज्यिक वाहन खरीदा था। इस वाहन को लेने के लिए उन्होने और महिंद्रा एंड महिंद्रा से 4,13,000 रुपये ऋण लिया, जिसे 60 मासिक किस्तों में चुकाना था। 

    बीमारी के कारण नहीं चुका पाया था दो किस्तें 

    जरनैल सिंह 2016 तक अपने वाहन की किस्तें नियमित रूप से चुकाता रहा, लेकिन अपनी बीमारी के कारण वह वर्ष 2016 में केवल दो किस्तें नियमित रूप से नहीं चुका सका। इस दौरान जुलाई 2016 में महिंद्रा एंड महिंद्रा ने उपभोक्ता की सहमति के बिना
    उससे उसका वाहन अपने कब्जे ले लिया और उसे शिकायतकर्ता की सहमति के बिना किसी तीसरे पक्ष को भी बेच दिया।

    बिना सहमति तीसरे व्यक्ति को बेच दिया वाहन

    इसके बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा ने शिकायतकर्ता को सूचित किया कि उसका वाहन किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया गया है और उक्त वाहन की ऋण राशि की वसूली के संबंध में शेष 1,25,000 रुपये की राशि का भुगतान शिकायतकर्ता द्वारा महिंद्रा एंड महिंद्रा को किया जाना है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने उक्त राशि का भुगतान कर दिया। 

    एनओसी मांगी तो की टाल मटोल

    जब शिकायतकर्ता ने महिंद्रा एंड महिंद्रा से वाहन की एनओसी मांगी तो कंपनी द्वारा किसी न किसी बहाने से मामले को टाल दिया गया। अगस्त 2018 में शिकायतकर्ता को महिंद्रा एंड महिंद्रा से वाहन की एनओसी के संबंध में एक पत्र मिला। शिकायतकर्ता अशिक्षित व्यक्ति है और उसने वाहन की सभी देनदारियों के संबंध में दस्तावेज़ को एनओसी मान लिया।

    शिकायतकर्ता के लिए यह बहुत ही आश्चर्यजनक रहा कि जब उसे पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग प्राधिकारी सह उपमंडल मजिस्ट्रेट जवाली से 7 जून 2022 का नोटिस मिला, जिसमें उसके 25,776 रुपये के बकाया कर के संबंध में पूछा गया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने मामले की जांच की तो उसे पता चला कि पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग प्राधिकारी सह उपमंडल मजिस्ट्रेट, जवाली को 31,000 रुपये और आबकारी आयुक्त विभाग पालमपुर को 20,200 रुपये उसके अभी भी कर के रूप में देय हैं।

    यह भी पढ़ें: हिमाचल: मंडी के कांग्रेस नेता शशि शर्मा को सरकार में मिली जिम्मेदारी, अनुराग के बाद इन 2 नेताओं का नाम भी आगे 

    शिकायतकर्ता को जांच में यह भी पता चला कि वाहन का पंजीकरण अभी भी उसके ही नाम पर है। शिकायतकर्ता ने महिंद्रा एंड महिंद्रा की ओर से सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए वर्तमान शिकायत दर्ज की।

    यह भी पढ़ें: Chamba: जमीन विवाद में मां-बेटे ने डंडे से पीटा व्यक्ति, 2 दिन बाद मौत; पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर गिरफ्तार किए