Manimahesh Yatra: दशनाम जूना अखाड़ा चंबा से कल मणिमहेश के लिए रवाना होगी छड़ी यात्रा, सात दिन में ये रहेंगे पड़ाव
Manimahesh Yatra 2025 चंबा स्थित दशनामी जूना अखाड़े से राधा अष्टमी के स्नान के लिए मणिमहेश यात्रा 24 अगस्त से शुरू होगी। महंत यतेंद्र गिरी ने बताया कि छड़ी यात्रा विभिन्न पड़ावों से होते हुए 30 अगस्त को डल झील पहुंचेगी जहाँ 31 अगस्त को स्नान होगा। उन्होंने प्रशासन की उदासीनता पर नाराजगी जताई और ट्रस्ट में अखाड़े को शामिल करने की मांग की।

संवाद सहयोगी, चंबा। Manimahesh Yatra 2025, जिला मुख्यालय चंबा स्थित दशनामी जूना अखाड़े से पवित्र छड़ी राधा अष्टमी के बड़े न्हौण के लिए 24 अगस्त को मणिमहेश के लिए रवाना होगी। दशनामी जूना अखाड़ा जनसाली के महंत यतेंद्र गिरी ने बताया कि पूजा अर्चना के बाद 24 अगस्त को विधि विधान के साथ यह छड़ी दशनामी अखाड़ा से प्रशासनिक अधिकारी की अगुवाई में शाम के समय निकलेगी। जो लक्ष्मी नारायण मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद शाम को राधा कृष्ण मंदिर जुलाकड़ी में रुकेगी।
दूसरे दिन 25 अगस्त को सुबह 10 बजे यह छड़ी जुलाकड़ी स्थित राधा कृष्ण मंदिर से प्रस्थान करेगी। वहीं शाम को राख में रुकेगी। छड़ी का अगला पड़ाव दुर्गेठी रहेगा, उसके अगले दिन छड़ी भरमौर पहुंचेगी। भरमौर से छड़ी हड़सर के लिए रवाना होगी। हड़सर से धनछो होते हुए 30 अगस्त को छड़ी डल झील पर पहुंचेगी। वहीं 31 अगस्त को राधा अष्टमी के पावन पर्व पर डल झील में स्नान के बाद छड़ी यात्रा दशनामी आखड़े के लिए निकलेगी।
मान्यता है कि इस छड़ी यात्रा के पहुंचने पर ही मणिमहेश में डल झील टूटने की परंपरा पूरी होती है। शिव चेलों व कार्तिक स्वामी के गूर की अपनी महत्ता है।
प्रशासन निभा रहा मात्र औपचारिकता, नहीं की जा रही व्यवस्था : महंत
महंत यतेंद्र ने इसके प्रति प्रशासन की उदासीनता व रवैये को प्रति भी नाराजगी जाहिर की है। कहा कि हजार वर्ष पूर्व राजाओं के समय से ही दशनामी जूना अखाड़ा चंबा से राधा अष्टमी के पवित्र स्नान के लिए छड़ी यात्रा निकाली जा रही है। उस दौरान राजाओं की ओर से छड़ी यात्रा को पूरे विधि विधान के साथ उसमें शामिल होने वाले साधू महात्माओं का रहने व खाने पीने का प्रबंध किया जाता था, लेकिन अब तो प्रशासन इसे लेकर मात्र औपचारिकता ही निभा रहा है।
इस बार नहीं हुई प्रबंधन को लेकर बैठक
इससे पहले छड़ी यात्रा को लेकर प्रशासन की ओर से अखाड़ा के संत महात्माओं सहित विभिन्न सभा के सदस्यों के साथ बैठक कर जरूरी विचार कर रणनीति बनाई जाती थी। लेकिन प्रशासन से मिल कर इसे लेकर पहले अवगत करवाने व छड़ी यात्रा का निमंत्रण देने के बाद भी इस बार बैठक नहीं हो पाई, जो अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है।
मणिमहेश ट्रस्ट में डाले जाने पर जताई नाराजगी
इसके अलावा उन्होंने दशनामी अखाड़े को मणिमहेश ट्रस्ट में न डालने के साथ पिछले कई वर्षों से उन्हें उसका हिस्सा न मिलने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही दशनामी आखाड़े को ट्रस्ट में डालने के साथ उन्हें उनका हिस्सा देने की मांग की है।
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