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बकलोह में जला 134 साल पुराना चर्च

1884 से लेकर 1947 तक चर्च में ब्रिटिश अधिकारी, कर्मचारी, ब्रिटिश सैनिक व उनके परिवार प्रार्थना करते थे।

By Edited By: Published: Wed, 30 May 2018 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 31 May 2018 09:36 AM (IST)
बकलोह में जला 134 साल पुराना चर्च

बकलोह, जेएनएन। चंबा जिले के उपमंडल डलहौजी के बकलोह में 1884 में बना (134 साल पुराने) ऐतिहासिक ओसवाल्ड चर्च आग की भेंट चढ़ गया। आग बुझाने के लिए 18 बिहार रेजीमेंट के जवान मौके पर पहुंच गए, परंतु लपटों के सामने वे बेबस दिखे। । ईसाई समुदाय डलहौजी के सचिव रिचर्ड बेहारा ने बताया कि मंगलवार देर रात ब्रिटिश राज में बने चर्च को आग ने चपेट में ले लिया। अमृतसर से बिशप प्रदीप कुमार सामंत राय भी रात करीब दो बजे मौके पर पहुंचे तथा स्थिति का जायजा लिया। आग से चर्च का सामान राख हो गया है, हालांकि कुछ बैंच आदि को बचा लिया गया। जंगल की आग में सेना द्वारा लगाए गए नाइट विजन कैमरे भी जल गए। चर्च के समीप स्थित एमईएस (मिलिट्री इंजीनिय¨रग सर्विस) का भवन भी राख हो गया। सेना के जवानों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।

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चर्च का इतिहास

1884 से पहले बकलोह कैंट की जमीन को 5000 रुपये में खरीदा गया था, जिसके बाद यहां शुरुआत में ब्रिटिश अधिकारी निवास करते थे। उनके लिए यहां प्रार्थना करने के लिए कोई स्थान नहीं था। 1884 में बकलोह में ब्रिटिश सैन्य क्षेत्र में चर्च का निर्माण किया गया। चर्च का नाम तत्कालीन आर्क बिशप सेंट ओसवाल्ड के नाम पर रखा गया था। 1884 से लेकर 1947 तक चर्च में ब्रिटिश अधिकारी, कर्मचारी, ब्रिटिश सैनिक व उनके परिवार प्रार्थना करते थे। 1947 में भारत के आजाद होने पर चर्च को आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया था।

जंगल की आग ने ली महिला की जान, पोती गंभीर

सुन्नी में जंगल से भड़की आग ने मंगलवार रात को घर को चपेट में ले लिया। घर से निकलते समय दादी-पोती झुलस गई। महिला मालती देवी को शिमला के आइजीएमसी में लाया गया, जहां बुधवार को उसकी मौत हो गई। महिला 80 प्रतिशत तक झुलस गई भी। महिला की गंभीर हालत को देखते हुए उसे पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर किया गया था। उसकी पोती महेश्वरी (17) की हालत भी गंभीर बताई जा रही है। 


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