राजनकांत ने फिर बंद किया शिमला-धर्मशाला हाईवे, कौन है ये शख्स और क्यों रखता है सड़कों पर पत्थर?
शिमला-धर्मशाला हाईवे पर भूमि विवाद के चलते एक बार फिर राजनकांत शर्मा ने मंगरोट में हाईवे पर पत्थर लगाकर उसे एकतरफा बंद कर दिया है। राजनकांत का दावा है कि 2023 में हुई निशानदेही में हाईवे की आठ बिस्वा जमीन उसकी माता के नाम निकली थी। हालांकि जमीन का मुआवजा अब तक उसको नहीं मिली है और उसकी मांगे भी पूरी नहीं की गई है।
मुनीष गारिया, बिलासपुर। शिमला-धर्मशाला हाईवे पर भूमि का विवाद थमने का नाम नहीं लें रहा। वीरवार को एक बार फिर राजनकांत शर्मा ने मंगरोट में हाईवे पर पत्थर लगाकर उसे एकतरफा बंद कर दिया। मंगरोट में एनच पर ये पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी राजनकांत अपनी मां सीता शर्मा के नाम वाली उक्त भूमि का दावा करते हुए ऐसा कर चुका है।
चार महीने पहले हाईवे पर लगाई थी चारपाई
चार महीने पहले तो राजनकांत शर्मा ने हाईवे पर चारपाई लगा दी थी और उससे पूर्व वह खोखा लगाकर चाय भी बेच चुका है। बड़ी बात तो ये है कि उस भूमि को लेकर लोक निर्माण विभाग पैमाइश भी करवा चूका है, जिसमें प्रारम्भिक तौर पर राजनकांत की मां के नाम सामने आया।
बीते नवंबर में एसडीएम सदर बिलासपुर कोर्ट ने विभाग कि याचिका पर सुनवाई करते हुए दोबारा पैमाइश करने के आदेश दिए थे। आदेश के बाद अभी तक पैमाइश का कार्य नहीं हुआ और इसी से नाराज राजनकांत ने 10 दिन पूर्व चेताया था कि एक सप्ताह में पैमाइश कार्य नहीं हुआ, तो वह फिर से हाईवे बंद कर देगा।
फोटो- राजनकांत शर्मा
एक साल से चल रहा है विवाद
राजनकांत का दावा है कि 2023 में हुई निशानदेही में हाईवे की आठ बिस्वा जमीन उसकी माता के नाम निकली है। इसके बदले में उसने लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) और प्रशासन के समक्ष शर्त रखी थी कि वह उसे दुकान लगाने के लिए जमीन मुहैया कराए। हालांकि, उसका कहना है कि प्रशासन ने उसकी मांग पूरी नहीं की, तो इसलिए उसे बार-बार हाईवे बंद करना पड़ रहा है।
राजनकांत शर्मा का दावा है कि इस जमीन का उसे मुआवजा तक नहीं मिला है। प्रशासन ने उसे भूमि वापस करने को कहा था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बता दें कि विवाद को एक साल से अधिक समय हो चुका है। अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ है।
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कैसे शुरू हुआ यह विवाद?
राजनकांत काफी लंबे समय से ऐसी हरकतें करते आ रहा है। दरअसल, पहली बार हाईवे के किनारे अवैध कब्जे हटाने के आदेश पर प्रशासन ने नवंबर, 2022 में कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई के दौरान शिमला-मटौर राष्ट्रीय राजमार्ग पर मंगरोट में बिलासपुर जिला प्रशासन ने राजनकांत के लगाए गए खोखे को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था। इससे आक्रोशित राजनकांत ने 30 नवंबर, 2022 को हाईवे पर अपनी जमीन होने का दावा करते हुए खोखा लगा दिया।
इसके बाद चार दिसंबर, 2022 को पुलिस पहुंची और जबरन खोखा वहां से हटवा दिया। इसके बावजूद राजनकांत बार-बार खोखा लगाता रहा, जिससे प्रशासन तंग आ गया। असल बात जानने के लिए प्रशासन ने 14 अप्रैल, 2023 को निशानदेही करवाई, तो उसमें राजनकांत की माता सीता शर्मा के नाम 12 बिस्वा जमीन निकली।
अब इस मामले को नहीं सुलझा पाया प्रशासन
इसमें आठ बिस्वा जमीन हाईवे पर आई। इसके बाद से राजनकांत और प्रशासन के बीच यह विवाद चल रहा है, लेकिन प्रशासन अभी तक इस गंभीर मामले को सुलझाने में कामयाब नहीं हो पाया है।
राजनकांत का कहना है कि खसरा नंबर 217/119 की निशानदेही उसकी माता ने वर्ष 2009 में भी करवाई थी। उस समय से वह अपनी जमीन की निशानदेही की मांग कर रहा है, लेकिन प्रशासन निशानदेही और तकसीम देने से बच रहा है।
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