Bilaspur: राजनकांत ने एनएच के बीचोबीच जलाया चूल्हा, बनाई चाय और बेचे कुरकुरे, पढ़िए, क्या है पूरा मामला
Bilaspur News शिमला-मटौर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर शुक्रवार को स्थानीय निवासी राजनकांत शर्मा ने फिर से अपना अधिकार जताते हुए कब्जा कर लिया। इस बार राजनकांत शर्मा ने बीच सड़क में ही चूल्हा जलाया और चाय बनाकर बेचनी शुरू कर दी।
बिलासपुर, जागरण संवाददाता।
शिमला-मटौर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर शुक्रवार को स्थानीय निवासी राजनकांत शर्मा ने फिर से अपना अधिकार जताते हुए कब्जा कर लिया। इस बार राजनकांत शर्मा ने बीच सड़क में ही चूल्हा जलाया और चाय बनाकर बेचनी शुरू कर दी। साथ में ही चार टायरों वाले खोखे पर कुरकुरे व चिप्स के पैकेट भी बेचने के लिए रख लिए।राजनकांत व प्रशासन के बीच यह विवाद 22 नवंबर 2022 से शुरू हुआ था, जो अब तक नहीं थमा है। चार माह से बिलासपुर सदर क्षेत्र के मंगरोट का निवासी राजनकांत अपनी जमीन की निशानदेही की मांग प्रशासन से कर रहा है, जो अब तक नहीं हो सकी है।
अभी तक नहीं सुनी गई राजनकांत की मांग
इस बात से नाराज राजनकांत ने अब दोबारा पहियों वाला खोखा बनाकर बीच सड़क पर लगा दिया है और साथ में चूल्हा जलाकर चाय बनाकर बेचना शुरू कर दिया है। राजनकांत का कहना है कि जिस सड़क पर वह अब खोखा लगा रहा है, वह उस भूमि का स्वामी है और उसका पैसा उसे अभी तक नहीं मिला है। सड़क उसकी जमीन से निकाल दी गई है जबकि अलाइनमेंट किसी और जगह से होनी थी।
क्या है मामला
राजनकांत का खोखा पहले घागस बाजार में था, जो सरकारी भूमि पर था। उसे हाईकोर्ट के आदेश के बाद हटाया गया। उसके बाद राजनकांत ने मंगरोट के पास मिल्कीयती भूमि का दावा कर एनएच के बीच खोखा लगा दिया। एक सप्ताह तक खोखा लगा रहा। यातायात बाधित हुआ तो प्रशासन ने उसे वहां से हटाया। तब से राजनकांत निशानदेही करवाने की मांग कर रहा है। अब राजनकांत ने फिर खोखा बनाकर बीच सड़क पर खड़ा कर दिया है और बीच सड़क पर ही चूल्हा लगाकर चाय बनाना शुरू कर दिया है।
परिवार चलाने के लिए लगाया है खोखा
राजन खोखा संचालक राजनकांत ने कहा कि वह चार माह से निशानदेही का इंतजार कर रहा है। उसका परिवार उस खोखे के संचालन से पल रहा था, जो अब प्रशासन ने हटा दिया है। जहां पर अब मैं खोखा लगा रहा हूं, वह मेरी भूमि है। प्रशासन को अगर मैं गलत लग रहा हूं तो वह इसकी निशानदेही करवाए। मेरी अब तक की बचत खत्म हो गई है और इसलिए मुझे मजबूरन दोबारा बीच सड़क पर खोखा लगाकर चाय बेचनी पड़ रही है। इस खोखे को अब मैं प्रतिदिन लगाऊंगा ताकि अपने परिवार का पेट पाल सकूं।
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