सावन के साेमवार पर बिलासपुर के मार्कंडेय मंदिर में पूजा करने पहुंचे हिमाचल के राज्यपाल, बेहद खास है यह ऐतिहासिक मंदिर
Himachal Pradesh News राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और लेडी गवर्नर जानकी शुक्ल ने सावन के अंतिम सोमवार को बिलासपुर के मार्कंडेय मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेश के लोगों की सुख-समृद्धि की कामना की और मंडी में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। राज्यपाल ने ऋषि मार्कंडेय से प्रदेश के लोगों पर आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना की।

जागरण संवाददाता, बिलासपुर। Himachal Pradesh News, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और लेडी गवर्नर जानकी शुक्ल ने सावन माह के पावन अवसर पर सोमवार को जिला बिलासपुर के ऐतिहासिक मार्कंडेय मंदिर में पूजा-अर्चना की। राज्यपाल ने प्रदेश के लोगों की सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि हिंदुओं की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऋषि मार्कंडेय को भगवान शिव और भगवान विष्णु का परम भक्त माना जाता है। यह मंदिर प्रदेश के महत्वपूर्ण धार्मिल स्थलों में से एक है।
प्रदेश के लोगों पर बना रहे भगवान का आशीर्वाद
मीडिया के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान राज्यपाल ने मंडी जिला के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के अपने दौरे की जानकारी दी। आपदा के कारण हुए जान-माल के नुकसान पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि परीक्षा की इस घड़ी में क्षेत्र के लोगों ने साहस और दृढ़ता का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, लोगों का मनोबल मजबूत बना हुआ है। उन्होंने प्रार्थना की है कि ऋषि मार्कंडेय प्रदेश के लोगों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें और उनकी रक्षा करें।
उपायुक्त राहुल कुमार ने राज्यपाल और लेडी गवर्नर का अभिनंदन किया। राज्यपाल के सचिव सीपी वर्मा, बिलासपुर जिला के पुलिस अधीक्षक संदीप धवल और जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
ऋषि मार्कंडेय ने यहां की थी भगवान शिव की अराधना
बिलासपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर ऋषि मार्कंडेय को समर्पित है। माना जाता है कि यहां ऋषि मार्कंडेय ने भगवान शिव की आराधना की थी। कुछ मान्यताओं के अनुसार, मंदिर का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा है, जब ऋषि मार्कंडेय ने अज्ञातवास के दौरान यहां तपस्या की थी।
चारधाम यात्रा के बाद पवित्र कुंड में स्नान की मान्यता
मंदिर के पास एक पवित्र झरना है और माना जाता है कि इसमें औषधीय गुण हैं। एक मान्यता के अनुसार चार धाम करने वाले यात्री यहां अपनी यात्रा करने के बाद इस कुंड में स्नान जरूर करते हैं।
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