Sonipat: श्रीराम हमारे पूर्वज, जो उन्हें भगवान नहीं मानते, वो उनके लिए भी आदर्श- मोहन भागवत
Mohan Bhagwat News राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि श्रीराम हमारे पूर्वज हैं। वो जीवन जीने का मार्ग दिखाते हैं। जो उन्हें भगवान नहीं मानते वो उनके लिए भी आदर्श हैं। उन्होंने कहा अपने राष्ट्र के कुछ स्वरूप है कुछ मूल्य हैं कुछ पहचान हैं।

सोनीपत, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि श्रीराम हमारे पूर्वज हैं। वो जीवन जीने का मार्ग दिखाते हैं। जो उन्हें भगवान नहीं मानते, वो उनके लिए भी आदर्श हैं। राम मंदिर का आंदोलन मंदिर के नाते नहीं हुआ, बल्कि राष्ट्र के स्वरूप, उनके मूल्यों को हासिल करने के लिए हुआ।
भागवत ने कहा कि अपने राष्ट्र के कुछ स्वरूप है, कुछ मूल्य हैं, कुछ पहचान हैं। उन मूल्यों के आधार पर जीवन कैसे जीना है, इसके बारे में हमारे आदर्श प्रभु श्रीराम हैं। उनके आदर्श समाजहित में जीवन जीने की राह दिखाते हैं। डा. मोहन भागवत सोमवार को मुरथल स्थित श्री रामकृष्ण साधना केंद्र में गोलोकवासी संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज और संत ब्रह्मप्रकाश की मूर्तियों का अनावरण करने पहुंचे थे।

'भगवान राम ने अपने हितों को भूलकर लोगों के लिए काम किया'
सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि रामजी ने अपने हितोंं को भूलकर लोगों के हित में ही सारे काम किए। ऐसा हमारे ग्रंथ कहते हैं। ग्रंथों से मनुष्य तक सारी बातें लाने वाले संत होते हैं। उन्होंने कहा कि यहां जिस संत की मूर्ति बसी है, उन्होंने समाजहित को बढ़ावा दिया। ऐसे में हम सबका दायित्व बन जाता है कि हम ऐसे संगठन व स्थान को संरक्षण दें।
'आपस में जोड़ने वाली सद्भावना बनी रहनी चाहिए'
उन्होंने कहा कि आपसी सद्भावना हमें जोड़ती है, जो बनी रही चाहिए। हमें आपस में एक-दूसरे की मदद का व्यवहार रखना चाहिए। संतों के संदेश व उनसे प्राप्त संस्कारों को समाज में प्रचलित करने की जिम्मेदारी हम सबकी होती है। ऐसा करके हम राष्ट्र निर्माण में सहयोगी बन सकते हैं।
ये भी पढ़ें- Sonipat: मुरथल टोल प्लाजा पर दबंगों का हंगामा, मैनेजर और पुलिस को पीटा; कारों को हाइवे पर खड़ा कर लगाया जाम
अच्छाई को आगे बढ़ाना सभी की जिम्मेदारी
भागवत ने संत प्रभुदत्त महाराज का उदाहरण देते हुए कहा कि हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम अच्छाई को आगे बढ़ाएं। वे रामकृष्ण परमहंस द्वारा दीक्षित थे, जिनके श्रीमुख से रामकृष्ण ने भागवद्गीता का श्रवण किया। उन्होंने कहा कि भारत में संत परंपरा बेहद प्राचीन है। समय-समय पर संतों ने राष्ट्रहित में हर आवश्यक कदम उठाए हैं।
इस दौरान संत रामगोपाल दास महाराज ने भगवान श्रीराम के जीवन का वर्णन करते हुए उनके विभिन्न रूपों को प्रस्तुत किया। इस मौके पर केंद्र के स्वामी दयानंद सरस्वती, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, सांसद रमेश कौशिक, राई विधायक मोहन लाल बड़ौली, गन्नौर विधायक निर्मल चौधरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन मौजूद रहे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।