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    Mahakumbh Stampede: भगदड़ के बीच गोहाना के 5 दोस्त बने 'मसीहा', बचाई कई जिंदगियां; बताया आंखों देखा हाल

    Updated: Wed, 29 Jan 2025 08:58 PM (IST)

    प्रयागराज में महाकुंभ में बुधवार तड़के लगभग साढ़े चार बजे हुई भगदड़ के बीच गोहाना के पांच दोस्तों मसीहा बनकर आए। इसके बाद उन्होंने कई लोगों की जिंदगियां बचाई। उन्होंने आंखों देखा हाल ही भी बताया है। उन्होंने बताया कि वे संगम तट से लगभग 500-600 मीटर दूर गंगेश्वर बजरंगदास चौराहा अमिताभ पुलिया के पास थे। इसी दौरान भगदड़ मच गई। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।

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    गोहाना के पांच दोस्तों ने महाकुंभ में कई लोगों की जिंदगियां बचाई है। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, गोहाना। प्रयागराज में महाकुंभ में बुधवार रात को लगभग साढ़े चार बजे गोहाना के पांच दोस्तों ने भगदड़ के बाद कई लोगों की जान बचाई।

    गोहाना के युवकों का कहना है कि वे पांचों दोस्त त्रिवेणी संगम तट पर स्नान करने जा रहे थे। जब वे संगम तट से लगभग 500-600 मीटर दूर गंगेश्वर बजरंगदास चौराहा, अमिताभ पुलिया के पास थे। संगम तट की तरफ से आने और जाने के रास्तों पर बहुत अधिक भीड़ थी। अधिक भीड़ के चलते श्रद्धालु न आगे जा रहे थे और न पीछे।

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    कुछ लोगों ने बैरिकेड्स के बीच निकलकर आगे बढ़ने का प्रयास किया। नीचे लगा बैरिकेड्स किसी को नजर नहीं आया और श्रद्धालु उसमें उलझकर गिरने शुरू हो गए। पीछे से श्रद्धालुओं की भीड़ भी इसी तरफ बढ़ने पर भगदड़ मच गई, जो श्रद्धालु जमीन पर गिरे उनमें से कई उठ नहीं पाए। उन्होंने बैरिकेड्स के दो पाइप हटाए, जिससे कई लोगों की जान बच पाई।

    (महाकुंभ में भगदड़ के दौरान ऐसी स्थिति थी। जागरण फोटो)

    इन पांच दोस्तों ने बचाई जान

    गांव खानपुर खुर्द के मनजीत ढिल्लो, आहुलाना गांव के जयदीप मलिक, महमूदपुर गांव के आदिल मान, गोहाना में पुरानी अनाज मंडी के भजनलाल और दिल्ली पुलिस में विजिलेंस में एएसआइ प्रवीण उर्फ पिंटू महाकुंभ में स्नान करने को सोमवार को प्रयागराज के लिए निकले थे। वे प्रयागराज पहुंचे और मंगलवार रात को संगम तट से लगभग तीन किलोमीटर दूर कैलाश धाम में रात को शरण ली।

    कुछ श्रद्धालुओं ने बैरिकेड्स के बीच से निकलने की कोशिश की

    बुधवार तड़के लगभग 3:30 बजे हम आश्रम से स्नान करने के लिए निकले। एक घंटे में लगभग ढाई किलोमीटर पैदल चले और तट से लगभग 500-600 मीटर दूर गंगेश्वर बजरंगदास चौराहा, अमिताभ पुलिया के पास पहुंचे तो श्रद्धालुओं की बहुत अधिक भीड़ थी। मनजीत व भजनलाल ने बताया कि वहां आने और जाने के रास्ते अलग-अलग थे लेकिन अधिक भीड़ के चलते कोई आगे या पीछे नहीं जा पा रहा था। कुछ श्रद्धालुओं ने साइड में लगे बैरिकेड्स के बीच से निकलने की कोशिश की।

    (गोहाना के पांच दोस्तों ने कई लोगों की जान बचाई। जागरण फोटो)

    कई श्रद्धालु मदद के लिए आगे आए

    इसके बाद वहां से निकलने वालों का दबाव बढ़ गया। नीचे लगा पाइप किसी को नजर नहीं आया और कुछ श्रद्धालु उसमें उलझकर गिरते चले गए। इसके बाद श्रद्धालुओं ने शोर मचाया तो अफरातफरी मच गई। जो लोग नीचे गिरे उनमें से कई उठ नहीं पाए और पीछे से आने वाले लोग उनके ऊपर से जाते रहे। नीचे दबे श्रद्धालुओं की चीख पुकार सुनकर वे पांचों दोस्त और दूसरे कई श्रद्धालु मदद के लिए आगे आए। बैरिकेड्स को हटाकर रास्ता बनाया गया। जब भीड़ छंटी तो उनकी आंखों के सामने तीन श्रद्धालु मृत पड़े थे और सात-आठ बेहोश थे। उनको खींचकर दूसरी तरफ किया गया, जिससे बेहोश में से कुछ की जान बच गई।

    आंखों के सामने हुआ हादसा 

    इसके बाद दो-तीन मिनट तक श्रद्धालु जहां थे वहीं पर रुक गए। हमारे समेत कई श्रद्धालु सात-आठ मिनट तक नीचे गिरे लोगों की मदद में लगे रहे। दोबारा से संगम तट की तरफ से श्रद्धालुओं की भीड़ आने लगी तो हम वापस चल पड़े। बाद में पता चला कि जहां उनकी आंखों के सामने हादसा हुआ उससे कुछ ही मीटर की दूरी पर भी भगदड़ मचने से कई श्रद्धालुओं की जान चली गई। मामला शांत होने पर वे छह-सात घंटे के बाद दोबारा संगत तट पर स्नान करने गए तो बजरंगदास चौराहा के पास बर्बादी का मंजर साफ दिखाई दे रहा था। उस मंजर को देखकर लोगों की रूह कांप गई।

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    11 बजे तक सब हो चुका था शांत 

    मनजीत ढिल्लाे ने बताया कि वे पांचों भगदड़ के बाद वापस कैलाश धाम में आए। माहौल शांत होने पर दोबारा लगभग 11 बजे संगम तट पर स्नान करने निकले तो रास्ते में चौराहे पर श्रद्धालुओं के कपड़े व दूसरा सामान बिखरा हुआ था। कुछ लोग सामान को संभालने में लगे थे। ज्यादा देर तक वह मंजर देखा नहीं गया और हमने संगम तट पर जाकर स्नान किया। इसके बाद गोहाना के लिए निकल लिए।

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