Rohtak News: कामयाबी! खरैंटी की बेटी अंजलि ने CDS परीक्षा में देशभर में पाया 10वां स्थान, सेना में बनेंगी लेफ्टिनेंट
यूपीएससी सीडीएस की परीक्षा में रोहतक के गांव खरैंटी की बेटी अंजलि गिल सेना में लेफ्टिनेंट बनेंगी। उन्होंने यूपीएससी सीडीएस परीक्षा में देश में 10वां स्थान हासिल किया है। उनकी इस कामयाबी से परिजनों और गांव में खुशी की लहर बनी हुई है। वहीं उनके पिता का कहना है कि बेटी की इस कामयाबी से गांव व इलाके के अन्य बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी।

जागरण संवाददाता, रोहतक। जिले के गांव खरैंटी की बेटी अंजलि गिल सेना में अफसर बनेंगी। उनका चयन लेफ्टिनेंट पद पर हुआ है। अप्रैल-2023 में यूपीएससी सीडीएस की परीक्षा में अंजलि गिल ने देशभर में 10वां स्थान हासिल किया है। अब वह अप्रैल-2024 में ओटीए चेन्नई में ट्रेनिंग करने जाएंगी। अंजलि की इस सफलता से परिजनों, ग्रामीणों एवं क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर बनी हुई है। उनकी इस कामयाबी पर गांव में खुशी का माहौल है।
देश में हासिल किया 10वां स्थान
अंजलि के पिता आजाद सिंह गुरुग्राम में एक मल्टीनेशल कंपनी में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। उनकी इस कामयाबी पर उनकी ननिहाल में भी खुशियां मनाई गई। गौरतलब है कि अंजलि गिल सैन्य परिवार से संबंध रखती हैं। उनके दादा रणधीर सिंह भी सेना में कार्यरत थे। अंजलि ने अपने पिता आजाद सिंह के साथ गुरुग्राम रहते कर्नल सेंट्रल अकादमी से 12वीं कक्षा तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। स्नातक के बाद अंजलि ने यूपीएससी के जरिये कंबाइंड डिफेंस सर्विसेस की तैयारी की और वह देशभर में 10वां स्थान हासिल करने में कामयाबी रही।
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इस कामयाबी के बाद अंजलि ने बताया कि उनके स्वर्गीय दादा चौधरी रणधीर सिंह और दरिया सिंह का सपना था कि उनके पोती सेना में अफसर बनें और मुझे गर्व है कि मैंने उनके सपने को साकार किया है। अंजलि की इस सफलता पर उनकी माता भी गदगद नजर आईं।
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पढ़ाई के साथ रहीं बेस्ट एथलीट
इस सफलता से उनके पिता आजाद सिंह ने बताया कि वह पढ़ाई के दौरान अपने स्कूल में बेस्ट एथलीट रही है और क्विज व भाषण प्रतियोगिताओं में भाग लेती रही हैं। वह बचपन से ही अपने दादा के नक्शे कदम पर सेना में जाने का सपना देखती थी और सेना में अफसर बनने की तमन्ना थी। उसे हमारी बेटी ने कड़ी मेहनत से साकार करके गांव व इलाके का नाम रोशन कर दिखाया है। हमें अपनी बेटी गर्व है। बेटी की इस कामयाबी से गांव व इलाके के अन्य बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी।

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