एक डॉक्टर ऐसा भी! मरीजों का फ्री इलाज करते हैं डॉ. दहिया, मोटी सैलरी छोड़ PGI से ले चुके हैं VRS, बताया जीवन का उद्देश्य
पीजीआईएमएस से वीआरएस लेकर डॉ. आरएस दहिया हर मंगलवार व शुक्रवार को निशुल्क ओपीडी चलाते हैं। रोहतक के किशनपुरा चौपाल में मंगलवार व शुक्रवार को सुबह 10 से 12 बजे तक व हुमांयूपुर में मंगलवार को दोपहर एक से तीन बजे तक निशुल्क मरीजों की जांच करते हैं। उनका कहना है कि कोई भी गरीब आदमी पैसों के चलते इलाज से वंचित नहीं रह सकते हैं।

विक्रम बनेटा, रोहतक। पीजीआईएमएस से वीआरएस लेकर अक्सर चिकित्सकों को महंगे अस्पतालों में तो मोटे पैकेज में जाते हुए देखा है, लेकिन भारी भरकम तनख्वाह को ठोकर मारकर मरीजों की निशुल्क सेवा करने वाला नहीं देखा होगा। ऐसे ही एक चिकित्सक रोहतक में हैं, जो कि मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं। पीजीआई से साल 2014 में वीआरएस लेकर डॉ. आरएस दहिया हर मंगलवार व शुक्रवार को निशुल्क ओपीडी चलाते हैं।
रोहतक के किशनपुरा चौपाल में मंगलवार व शुक्रवार को सुबह 10 से 12 बजे तक व हुमांयूपुर में मंगलवार को दोपहर एक से तीन बजे तक निशुल्क मरीजों की जांच करते हैं। इंद्रप्रस्थ कॉलोनी निवासी डॉ. आरएस दहिया करीब 75 साल के हो चुके हैं, लेकिन मरीजों की सेवा के प्रति उनके जज्बे में कोई कमी नहीं आई है।
यहीं नहीं वे नियमित ओपीडी के अलावा जहां जरूरत होती है, वहां पर भी निशुल्क शिविर लगाने पहुंच जाते हैं। इसके लिए बाकायदा उनकी एक टीम है, जिसमें फार्मासिस्ट भी है।
यह बताई वीआरएस की वजह
पीजीआई में जब मरीजों को इलाज नहीं मिलता था, तो बहुत दुख होता था। इलाज सबका अधिकार होता है, लेकिन कुछ बंदिशें थीं, जो बर्दास्त नहीं की जा सकती। सरकारों की नीयत ठीक नहीं है, प्रदेश के पीएचसी और सीएचसी बीमार है, पीजीआई में स्टाफ नहीं तो कहां से लोगों को इलाज मिलेगा। स्वास्थ्य के प्रति सरकार गंभीर नहीं है, इसलिए वीआरएस ले ली।
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पैसा कमाना नहीं, गरीबों की सेवा उद्देश्य
डॉ. आरएस दहिया ने बताया कि उनका उद्देश्य गरीबों को मुफ्त इलाज मुहैया कराना है, पैसा कमाना नहीं। वे चाहते हैं कि सरकारें स्वास्थ्य को भी मिशन बनाए और हर व्यक्ति को इसका लाभ मिले। यही सोचकर वे पिछले तीन साल से ओपीडी कर रहे हैं, जिसमें प्रदेशभर से लोग इलाज और सलाह के लिए आते हैं।
डॉ. को भगवान का रूप माना जाता है। डॉक्टर लोगों को जीवनदान देते हैं, लेकिन वर्तमान में देखा जाए तो इलाज बहुत महंगा हो गया है। पैसा, इलाज और मरीज के बीच बड़ा फासला पैदा कर देता है। कुछ लोगों की तो पैसों की कमी के कारण बिना इलाज के मौत भी हो जाती है।
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