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    नायब सरकार ने बदला 50 साल पुराना नियम, कॉलोनी वासियों को बड़ी राहत; अब नहीं लेना होगा ये सर्टिफिकेट

    Updated: Mon, 20 Jan 2025 06:43 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने 50 साल पुराने नियमों में बदलाव करते हुए शहरों और कस्बों की पुरानी कॉलोनियों के लिए समापन प्रमाणपत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) लेने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। अब आंशिक समापन प्रमाणपत्र प्राप्त कॉलोनियों को नए सिरे से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होगी। यह कदम कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने और विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए उठाया गया है।

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    नायब सरकार ने कॉलोनी वासियों को दी बड़ी राहत। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो,  चंडीगढ़।  हरियाणा के शहर और कस्बों में वर्षों पहली बसी कॉलोनियों को अब समापन प्रमाणपत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिन्हें आंशिक समापन प्रमाण पत्र मिला हुआ है। प्रदेश सरकार ने कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने और विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए 50 साल पुराने नियमों में बदलाव किया है।

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    विधि एवं विधायी विभाग ने हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन (संशोधन) विधेयक की अधिसूचना जारी कर दी है। यह विधेयक नगरीय क्षेत्रों के विकास और उनके नियमन से संबंधित है। इसके तहत राज्य के नगरीय क्षेत्रों में उचित योजना और विकास को सुनिश्चित किया जाएगा।

    यह विधेयक शहरी क्षेत्रों में भूमि उपयोग, भवन निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।  हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास और विनियमन अधिनियम-1975 में संशोधन किया गया है।

    सरकार ने नियमों में संशोधन कर दी राहत

    कॉलोनियों के लिए समापन प्रमाणपत्र प्रदान करने में तेजी लाने और पहले से बसी परियोजनाओं को समापन प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए सरकार ने यह संशोधन किया है, जहां प्लाटेड कालोनियों के अलावा अन्य कालोनियों के मामले में सभी बिल्डिंग ब्लॉकों के लिए अधिभोग प्रमाणपत्र (आक्यूपेशन सर्टिफिकेट) प्राप्त किया जा चुका है।

    जहां प्लाटेड कालोनियों के मामले में पूरे क्षेत्र के लिए आंशिक पूर्णता प्रमाणपत्र जारी किया जा चुका है, उन्हें अब नए सिरे से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। 

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    सीएम नायब सैनी ने बागियों को भी दी बड़ी राहत

    वहीं, दूसरी तरफ सीएम नायब सिंह सैनी ने बागियों को भी बड़ी राहत दी है। शहरी निकाय चुनाव में भाजपा अब उन नेताओं की घर वापसी की राह खोलने जा रही है, जो विधानसभा चुनाव में टिकट कटने पर बागी हो गए थे। हालांकि, पार्टी उन्हें बड़ी ओहदेदारी नहीं देगी।

    दूसरी ओर पार्टी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश देना शुरू कर दिया है कि शहर निकाय चुनाव के बाद के बाद ही भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को बोर्ड एवं निगमों में चेयरमैनी मिल सकेगी। जिन बोर्ड एवं निगमों के चेयरमैनों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उन्हें फिलहाल अस्थायी रूप से उनके पुराने पदों पर काम करने को कहा गया है।

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