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    डॉ प्रवीण ने काला पीलिया को जड़ से खत्म करने का उठाया बीड़ा, ड्यूटी खत्म होने के बाद भी करते हैं काम; पढ़ें पूरी खबर

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 04:31 PM (IST)

    वो कहते है न जहां चाह है वहां राह है। इस कहावत को तो आप सबने सुना होगा लेकिन इसे सच कर दिखाया है डॉक्टर प्रवीण ने जिन्होंने क्षेत्र में काला पीलिया को जड़ से खत्म करने के लिए बहुत काम किया है। इन्होंने इसके लिए योजना चलाई है और कई डॉक्टरों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं। डॉक्टर प्रवीण ड्यूटी खत्म हो जाने के बाद भी काम करते हैं।

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    काला पीलिया पर बात करते हुए प्रवीण मल्होत्रा

    विनोद जोशी, रोहतक। ऐसा जज्बा जो प्रदेश में अपनी चमक बिखेर रहा है और अकेले ही काला पीलिया जैसी भयंकर बीमारी को जड़ से खत्म करने का बीड़ा उठाया है। हम बात कर रहे हैं पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (पीजीआइएमएस) के गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग के अध्यक्ष एवं प्रमुख नोडल अधिकारी डॉ प्रवीण मल्होत्रा की।

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    इन्होंने 2013 से ही काला पीलिया को जड़ से खत्म करने का बीड़ा उठाया है। प्रदेश सरकार को सलाह देने के लिए उन्हीं की देखरेख में महत्वाकांक्षी जीवन रेखा योजना के नाम से शुरू की थी। जिसे आज के समय में नेशनल वायरल हैपेटाइटिस प्रोग्राम के रूप में जाना जाता है।

    डॉ मल्होत्रा की मेहनत की बदौलत पीजीआइएमएस को प्रदेश का प्रमुख सेंटर बनाया गया। भले ही डॉ पीजीआइ में सेवाएं दे रहे हैं लेकिन मरीजों को स्वास्थ्य लाभ के लिए वह देर शाम तक भी काम करते हैं। जबकि ओपीडी का समय दोपहर बाद ही पूरा हो चुका होता है।

    निशुल्क दवाओं के लिए किया संघर्ष, बचाई कई मरीजों की जान 

    काला पीलिया के इलाज के लिए उन्होंने निशुल्क दवाओं के लिए भी संघर्ष किया। अब तक उनके इस प्रयास से हजारों मरीजों की जान बची है।

    इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों के चिकित्सकों को भी ट्रेनिंग दी है ताकि काला पीलिया के मरीजों का उपचार उनके जिलों में ही किया जा सके। हालांकि अभी तक हिसार, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र सोनीपत व पंचकुला जिलों के चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी है।

    डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग में अब तक 37000 एंडोस्कोपी और चार हजार फाइबरों स्कैन के निशुल्क बगैर किसी वेटिंग के किए जा चुके हैं।

    पूरे विश्व में लीवर के खराब होने के तीन प्रमुख कारण हैं शराब,मोटापा व काला पीलिया। इसलिए अपने लीवर को स्वस्थ रखने के लिए शराब व अन्य प्रकार का नशा न करें। मोटापे से बचने के लिए नियमित व्यायाम एवं स्वच्छ व पौष्टिक आहार लें। काला पीलिया होने पर किसी भी सिविल अस्पताल,मेडिकल कॉलेज व पीजीआइएमएस रोहतक में निशुल्क इलाज करवाएं।

    12 वर्षों के अध्ययन में आया सामने

    डॉ. मल्होत्रा ने 12 वर्षों के अध्ययन में बताया कि संक्रमित सुई व शराब के नशे से लीवर खराब हो जाता है और फिर वायरल हेपेटाइटिस की चपेट में आ जाते है। हेपेटाइटिस दो प्रकार के होते है और उसे कैटेगरी बी व सी का नाम दिया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि रक्तदान करने वाले युवाओं 150 के करीब इसकी चपेट में आए हुए मिलते हैं और उन्हें फोन कर इसकी सूचना दी जाती है और उपचार के दौरान ठीक किया जाता है।

    12 वर्षों में 25 हजार करीब हेपेटाइटिस सी के मरीज आ चुके हैं। 9652 मरीज हेपेटाइटिस बी के मरीज सामने आ चुके हैं। 80 नए व पुराने सामने आ रहे हैं

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    हैपेटाइटिस मूल रूप से लीवर से जुड़ी बीमारी

    डॉक्टर प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि हैपेटाइटिस मूल रूप से लीवर से जुड़ी बीमारी है, जो वायरल इंफेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी में लीवर में सूजन आ जाती है। हैपेटाइटिस में पांच प्रकार के वायरस होते हैं, जैसे- ए, बी,सी,डी और ई। यह पांचों वायरस गंभीर है।

    रोजाना सामने आते हैं 20 मरीज

    हम बी व सी की बात करेंगे क्योंकि यह सबसे ज्यादा संक्रमित पाया जाता है। क्योंकि इनके कारण ही हैपेटाइटिस महामारी जैसी बनती जा रही है और हर साल इसकी वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।

    हैपेटाइटिस का टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर होते हैं। ऐसे गंभीर रोगों के लिए वो अपनी ड्यूटी अलग हटकर समय निकालते है और देर शाम तक पीजीआइ में ही काम करते है। ऐसा नहीं वह छुट्टी के दिन भी रोगियों की जांच भी करते हैं। इस बीमारी के रोजाना 20 नए मरीज आ रहे हैं।

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