काला पीलिया के खिलाफ इस डाॅ. ने छेड़ी मुहिम, केंद्र सरकार ने अपनाया प्रोजेक्ट
पीजीआइ में डा. प्रवीण मल्होत्रा की देखरेख में पहली बार 2010 में शुरू किया उपचार। 2013 में सरकार ने शुरू किया जीवनरेखा प्रोजेक्ट। इलाज हो सके इसलिए छुट्टी नहीं लेते डॉ. मल्होत्रा
रोहतक, जेएनएन। डॉक्टर तो बहुत हैं, पर एक डाक्टर ऐसे भी है जिसने मरीजों को काला पीलिया जैसी खतरनाक बीमारी से बचाने के लिए सरकार संग मिलकर मुहिम छेड़ी। साथ ही आठ साल में वह खुद करीब 25 हजार मरीजों को जीवनदान दे चुके हैं। यहां बात हो रही है कि पीजीआइएमएस के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष और सरकार की जीवनरेखा योजना के प्रमुख नोडल अधिकारी डा. प्रवीण मल्होत्रा की। इनकी खासियत यह है कि दूर-दराज से आने वाले मरीजों को इंतजार न करना पड़े, इसलिए सर्दी और गर्मी में मिलने वाली छुट्टी भी नहीं लेते।
दअरसल काला पीलिया के मरीजों को पहले उपचार के लिए दिल्ली या चंडीगढ़ जाना पड़ता था। मरीजों की समस्याओं को देखते हुए वर्ष 2010 में विभाग की तरफ से डा. प्रवीण मल्होत्रा को हैदराबाद ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। हरियाणा में वह पहले ऐसे डाक्टर थे, जिन्होंने काला पीलिया का उपचार शुरू किया। हालांकि इसमें सरकार का पूरा सहयोग रहा। इसके बाद वर्ष 2013 में सरकार ने जीवनरेखा प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसका प्रमुख नोडल अधिकारी डा. मल्होत्रा को बनाया गया। डा. मल्होत्रा के निर्देशन में काला पीलिया के मरीजों को पीजीआइ में ही बेहतर उपचार मिलने लगा।
अभी तक करीब 25 हजार मरीज फायदा उठा चुके हैं। खास बात यह है कि हरियाणा में जीवनरेखा प्रोजेक्ट से लाभ मिलने के बाद केंद्र सरकार ने भी इसे अपनाया और जुलाई 2018 में पूरे देश में यह प्रोजेक्ट शुरू कर दिया। इसे शुरू करने के लिए जो 10 सदस्यीय कमेटी बनाई गई, उसमें डा. मल्होत्रा शामिल रहे। इसके बाद हरियाणा के भी सभी जिलों में काला पीलिया का उपचार होने लगा। रीब तीन माह पहले इस प्राजेक्ट के तहत गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में काला पीलिया का प्रदेश में इकलौता मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर बनाया गया, जिसका इंचार्ज भी डा. मल्होत्रा को बनाया गया। अब गंभीर मरीजों को सेंटर में देखा जाता है, जबकि मरीज का शुरूआती उपचार अब सभी जिलों में होने लगा। मरीजों को दिल्ली या चंडीगढ़ जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
अब तक कर चुके 32 हजार एंडोस्कोपी
डा. मल्होत्रा के नाम कई रिकार्ड भी है। उनके विभाग में एंडोस्कोपी, क्लोनोस्कोपी, कैप्शूल एंडोस्कोपी और फाइब्रो स्किन समेत कई तरह की जांच होती है। डा. मल्होत्रा अब तक 32 हजार एंडोस्कोपी कर चुके हैं। इसके लिए मरीजों को कोई इंतजार भी नहीं करना पड़ता। प्राइवेट अस्पताल में एक एंडोस्कोपी का खर्च चार से पांच हजार रुपये होता है। डाक्टरों को सर्दी और गर्मी में एक-एक माह की छुट्टी भी मिलती है, लेकिन डा. मल्होत्रा ने पिछले आठ साल में छुट्टी ही नहीं ली। उनका कहना है कि अगर वह छुट्टी पर जाते हैं दूर-दराज से आने वाले मरीजों को चक्कर काटने पड़ते हैं।
यह मिल चुके अवार्ड
डा. मल्होत्रा के कार्यों को देखते हुए इंटरनेशनल पब्लिंशिंग हाउस की तरफ से उन्हें बेस्ट सिटीजन ऑफ इंडिया अवार्ड मिल चुका है। यह अवार्ड इससे पहले अमिताभ बच्चन, दिलीप कुमार, सचिन तेंदुलकर और धीरूभाई अंबानी जैसी हस्तियों को भी मिल चुका है। इसके अलावा उन्हें प्राइड ऑफ इंडिया, अब्दुल कलाम गोल्ड मेडल अवार्ड, महात्मा गांधी गोल्ड मेडल अवार्ड, राधा-कृष्ण गोल्ड मेडल अवार्ड और समाज सुधार अवार्ड समेत कई अन्य मंचों पर सम्मान मिल चुका है।
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