Delhi-Jaipur Highway Traffic: करोड़ों के कारोबार पर रोजाना पानी फेर रहा दिल्ली-जयपुर हाईवे का जाम
Delhi-Jaipur Highway पर गहरे गड्ढे बारिश के कारण जलभराव और घंटो लगने वाले लंबे जाम के कारण हर रोज करोड़ों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। जयसिंहपुर खेड़ा बार्डर से लेकर मानेसर तक हाईवे पर जाम के कारण हर रोज बुरे हालात बन रहे हैं।
रेवाड़ी, जागरण संवाददाता। दिल्ली-जयपुर हाईवे (Delhi-Jaipur Highway) पर गहरे गड्ढे, बारिश के कारण हो रहे जलभराव और घंटो लगने वाले लंबे जाम के कारण हर रोज करोड़ों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। जयसिंहपुर खेड़ा बार्डर से लेकर मानेसर तक हाईवे पर जाम के कारण हर रोज बुरे हालात बन रहे हैं। इसके चलते सिर्फ बावल और धारूहेड़ा औद्योगिक क्षेत्र ही नहीं गुरुग्राम के उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
फैक्ट्रियों में न तो माल समय पर पहुंच रहा है और न ही श्रमिक। तैयार माल को भी पहुंचाने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात ऐसे बन गए हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों से कंपनियों के पलायन की नौबत आ गई है। हैरानी इस बात की है कि विकसित औद्योगिक क्षेत्र बर्बाद होने की कगार पर है और सरकार व प्रशासन ने आंखें मूंदे हुए है।
पांच राज्यों की कनेक्टिविटी प्रभावित
दिल्ली-जयपुर हाईवे सीधे तौर पर पांच राज्यों को कनेक्टिविटी देता है। राजस्थान के जयपुर से लेकर रेवाड़ी-गुरुग्राम होते हुए यह हाईवे दिल्ली तक जाता है। महाराष्ट्र व गुजरात से आने वाले ट्रैफिक का भी इस हाईवे पर बहुत अधिक दबाव होता है। रेवाड़ी में बावल और धारूहेड़ा दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं। जिनमें 600 से अधिक उत्पादन इकाइयां हैं।
उत्पादन इकाइयों को हो रही परेशानी
इसी प्रकार गुरुग्राम के मानेसर, नौरंगपुर, सेक्टर 37, डीएलएफ क्षेत्र, सिरहौल, बिलासपुर, बिनौला, उद्योग विहार आदि में स्थित आठ से 10 हजार के लगभग उत्पादन इकाइयों में भी कच्चा माल लाने और तैयार माल को आगे पहुंचाने तक का काम इस हाईवे पर से होता है। इन राज्यों के बीच व्यापारिक कनेक्टिविटी में दिल्ली-जयपुर हाईवे अहम कड़ी है। बावल और धारूहेड़ा में स्थित अधिकांश उत्पादन इकाइयों में गुरुग्राम की मारुति, हीरो और होंडा वाहन निर्माता कंपनियों के लिए पार्ट्स तैयार होते हैं।
बारिश के बाद जलमग्न हुआ हाईवे
मानेसर व इसके आसपास के उद्योगों से धारूहेड़ा की हीरो कंपनी में भी माल की आपूर्ति की जाती है। इस तरह से रेवाड़ी और गुरुग्राम की 70 प्रतिशत के लगभग औद्योगिक इकाइयां एक दूसरे पर निर्भर हैं। वर्षा के कारण हाईवे पर होने वाले जलभराव और घंटों लगने वाले जाम के चलते पिछले तीन महीनों से हालात ऐसे हो रहे हैं। माल को भिजवाने और लाने में ही उद्योगपतियों के पसीने छूट रहे हैं। सिर्फ माल ही नहीं कंपनियों में लेबर भी समय पर नहीं पहुंच रही।
घंटो तक जाम में फंसे रहते है वाहन
धारूहेड़ा से लेकर मानेसर तक वाहन कई-कई घंटे जाम में फंसे रहते हैं। जयसिंहपुर खेड़ा बार्डर से लेकर मानेसर तक हाईवे के 63 किमी. के एरिये का सबसे बुरा हाल है। हाईवे पर कई-कई फीट गहरे गड्ढे हैं। वर्षा होते ही राजस्थान का दूषित पानी आकर हाईवे पर भर जाता है, जिसके चलते जाम लगता है। हाईवे पर जलनिकासी का प्रबंध ही नहीं है। गुरुग्राम, मानेसर, बावल और धारूहेड़ा की फैक्ट्रियों का हर रोज माल जाता है।
आवागमन पर पड़ रहा असर
पहले गाड़ी दिन में दो से तीन चक्कर लगा लेती थी, लेकिन अब दिनभर जाम लगता है। इसके चलते एक गाड़ी सुबह चलती है और रात को ही वापस लौटती है। गुजरात व महाराष्ट्र से कच्चा माल नहीं आ पा रहा है। तैयार माल हम सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। तीन महीने से कारोबार ठप है।
रेवाड़ी चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष एसएन शर्मा ने कहा कि मैं तीन महीने से हर रोज हाईवे के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से बात कर रहा हूं, लेकिन हाईवे के हालातों में कोई सुधार नहीं है।
आइएमटी इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन मानेसर के अध्यक्ष पवन यादव ने कहा कि खेड़की दौला टोल प्लाजा से लेकर बावल तक हर रोज लंबा जाम लग रहा है। इससे उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। औद्योगिक माल ढुलाई के साथ ही उद्यमियों का भी आना जाना मुश्किल हो रहा है। 30 मिनट का सफर चार से पांच घंटे में तय हो रहा है।
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