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     भिवाड़ी में केमिकल इंजीनियर चला रहे थे ड्रग्स बनाने की फैक्ट्री, 60 करोड़ का नशा बरामद; तीन गिरफ्तार

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 08:46 PM (IST)

    गुजरात एटीएस और राजस्थान एसओजी ने भिवाड़ी में एक अवैध ड्रग्स फैक्ट्री पर छापा मारा। इसमें 60 करोड़ रुपये का नशीला पदार्थ, मुख्य रूप से अल्प्राजोलम, जब ...और पढ़ें

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    पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए ड्रग्स तस्कर। जगरण

    जागरण संवाददाता, भिवाड़ी। राजस्थान के औद्योगिक कस्बे भिवाड़ी के फेज थर्ड में अवैध तरीके से चलाई जा रही ड्रग्स फैक्ट्री पर रविवार को गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) और राजस्थान पुलिस की स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने छापेमारी करते हुए करीब 60 करोड़ रुपये का नशीला पदार्थ बरामद किया है।

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    फैक्ट्री में तीन दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के रहने वाले तीन लोगों ने नींद की दवा अल्प्राजोलम का उत्पादन शुरु किया था। इनमें दो आरोपित केमिकल इंजीनियर हैं, जो एक फार्मा यूनिट में प्लांट हेड के रूप में कार्य कर चुके हैं।

    तैयार की गई दवा गुजरात के डीलरों के जरिये देश के विभिन्न राज्यों में भेजने का पता चला है। बताया यह भी जा रहा है कि यही दवा गुजरात से कनाडा और अमेरिका भी भेजी जाती थी। हालांकि इसकी पुष्टि पुलिस की तरफ से नहीं की गई है।

    आरोपियों की पहचान फैक्ट्री के मालिक आगरा के रहने वाले अंशुल शास्त्री, संत रविदास नगर के रहने वाले अखिलेश मौर्य व वाराणसी के रहने वाले केमिस्ट कृष्णा कुमार यादव के रूप में हुई है। फिलहाल तीनों आरोपित भिवाड़ी में रहकर कहरानी क्षेत्र में के प्लाट नंबर एच 13डी में एपीएल फार्माकेम नाम से अवैध तरीके से ड्रग्स फैक्ट्री चला रहे थे।

    जांच में यह भी पता चला कि आरोपी एक-दो माह से ज्यादा किसी भी जगह स्टाॅक नहीं रखते थे। आरोपी केमिस्ट कृष्णा कुमार के पकड़े जाने के बाद उसके स्वजन भी हैरान है। उनका कहना है कि उनका बेटा तो दमन में नौकरी करता था, उन्हें मालूम ही नहीं है कि वह भिवाड़ी में रहकर ड्रग्स के इतने बड़े रैकेट में शामिल था। आठ माह पहले ही वह घर आया था।

    छोटे-छोटे पैकेट में पैक कर बाजार में सप्लाई

    कार्रवाई के दौरान एपीएल फार्माकेम नामक फैक्ट्री से प्रतिबंधित अल्प्राजोलम 4.850 किलोग्राम, 17.250 किलोग्राम टेमाजेपाम प्राजेपाम और सनसेट येलो एफसीएफ का मिश्रण बरामद किया है, जिसकी बाजार में कीमत करीह 60 करोड़ रुपये है।

    आरोपी इन नशीले पदार्थों को छोटे-छोटे पैकेटों में पैक कर कैप्सूल के रूप में गुजरात के डीलरों तक पहुंचा रहे थे। जांच में सामने आया कि आरोपित अब तक चार से पांच किलोग्राम नशीला माल पहले ही बाजार में बेच चुके थे।

    अंशुल और अखिलेश दोनों केमिकल इंजीनियर

    भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक प्रशांत किरण ने बताया कि अंशुल शास्त्री और अखिलेश मौर्य केमिकल इंजीनियर हैं और पहले एक फार्मा यूनिट में प्लांट हेड के रूप में कार्य कर चुके हैं। आरोपितों ने पहले सोलेरा फार्मा के नाम से जीएसटी पंजीकरण करवाया था।

    लेकिन वर्तमान में संचालित एपीएल फार्माकेम कंपनी का कोई पंजीकरण नहीं कराया गया था। इसके बावजूद यहां अवैध रूप से अल्प्राजोलम पाउडर तैयार कर उसे कैप्सूल के रूप में बाजार में उतारा जा रहा था।

    छह माह खुशखेड़ा में किया उत्पादन

    एसपी ने बताया कि आरोपी तीन दिन पहले ही कहरानी में किराए पर फैक्ट्री लेकर उत्पादन शुरू करने की बात स्वीकार की है, जबकि इससे पहले छह माह तक खुशखेड़ा क्षेत्र में भी इसी तरह का अवैध उत्पादन किया जा रहा था। खुशखेड़ा की फैक्ट्री को एक माह पहले बंद कर दिया था।

    जिसके बाद तीन दिन पहले ही कहरानी क्षेत्र में फारुख नाम के शख्स की बंद पड़ी फैक्ट्री को 60 हजार रुपये प्रति माह किराये पर लेकर उत्पादन शुरू किया था। आशंका यह भी है कि यह दवाएं महानगरों में होने वाली रेव पार्टियों में भी नशीले मिश्रण के रूप में सप्लाई हो रही थी।

    क्या है अल्प्राजोलम और क्यों खतरनाक है

    अल्प्राजोलम एक नियंत्रित दवा है, जिसका उपयोग डाक्टर द्वारा घबराहट, पैनिक अटैक, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं के इलाज में सीमित अवधि के लिए किया जाता है। यह दवा मस्तिष्क की नसों को शांत करती है, लेकिन बिना चिकित्सकीय सलाह सेवन करने पर इसके गंभीर दुष्प्रभाव सामने आते हैं।

    इससे अत्यधिक नींद, चक्कर, याददाश्त कमजोर होना, मानसिक सुस्ती, अवसाद और नशे की लत लग सकती है। लंबे समय तक सेवन से शारीरिक व मानसिक निर्भरता बढ़ती है और गंभीर मामलों में सांस लेने में परेशानी भी हो सकती है। अल्प्राजोलम का अवैध निर्माण, बिक्री और दुरुपयोग एनडीपीएस एक्ट के तहत गंभीर अपराध है।

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