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अच्छी खबर : ऑक्सीजन की नहीं लगेगी किल्लत, चार मीट्रिक टन का लगा नया प्लांट

कोविड के बढ़ते खतरे के बीच एक राहत भरी खबर है। कोविड अस्पताल समेत दो निजी अस्पतालों में मानकपुर स्थित अरूण गैस से ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। साथ ही एक नया प्‍लांट बन रहा। ऑक्‍सीजन की कमी नहीं होगी।

By Edited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 07:10 AM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 07:10 AM (IST)
यमुनानगर में अब ऑक्‍सीजन की किल्‍लत नहीं होगी।

यमुनानगर, जेएनएन। कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की काफी मांग बढ़ रही है। जिले में पांच मीट्रिक टन की जरूरत है, जबकि जिले के पास फिलहाल चार मीट्रिक टन का कोटा है। अब तक कोविड अस्पताल समेत दो निजी अस्पतालों में मानकपुर स्थित अरूण गैस से ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। अब मांग बढ़ने लगी है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एक और प्लांट शुरू कराया है। यमुना ग्लू फर्म ने ऑक्सीजन प्लांट था। इसे मेडिकल ऑक्सीजन में कनवर्ट कराया गया है। यह प्लांट चार मीट्रिक टन का उत्पादन करेगा। इसमें निजी अस्पतालों व सरकारी अस्पतालों का कोटा भी फिक्स कर दिया गया है। प्रदेश में यमुनानगर में ही इस तरह की शुरूआत हुई है। कोरोना के बढ़ते केसों की वजह से ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है। जिले में पांच दिनों में ढाई टन की खपत बढ़ चुकी है। जिले के कोविड अस्पताल में भी अब हर रोज आपूर्ति बढ़ रही है। अब यहां पर 12 से 14 घंटे में एक टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है। इसी तरह से अन्य निजी अस्पतालों में भी मांग बढ़ गई है। अब मार्च माह के बाद से ही कोरोना के केस बढ़ने लगे। सबसे अधिक अप्रैल माह में केस बढ़े। करीब तीन हजार केस अभी तक आ चुके हैं। हालांकि ठीक भी हो रहे हैं। जिले में पांच मीट्रिक टन की खपत : जिले में फिलहाल पांच मीट्रिक टन की खपत है, लेकिन जिले को कोटा चार मीट्रिक टन का मिला है। ऑक्सीजन की किल्लत न हो, इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रयास कर नया प्लांट चालू कराया है। करीब एक करोड़ रुपये में यह प्लांट लगा है। यह प्लांट प्रकृति से ऑक्सीजन खींचकर तैयार करेगा। प्रकृति में 25 फीसद ऑक्सीजन होती है। प्लांट में मशीनें लगी हैं, जो प्रकृति से ऑक्सीजन खींचेंगी। इसमें से 99 फीसद मेडिकल ऑक्सीजन तैयार होगी। निजी व सरकारी के लिए कोटा फिक्स : यमुना ग्लू में लगे प्लांट में निजी व सरकारी अस्पतालों का कोटा भी फिक्स किया गया है। इसके लिए आइएमए के साथ बैठक की गई। जिसमें रेट भी फिक्स किए गए हैं। जिससे ऑक्सीजन की कालाबाजारी न हो। इस प्लांट से ऑक्सीजन की सप्लाई होगी। मरीजों को दिक्कत नहीं आएगी। राज्य स्तर पर सराहा गया प्रयास : सिविल सर्जन डा. विजय दहिया ने बताया कि यमुनानगर जिले से ही यह शुरूआत हुई है। यहां पर यमुना ग्लू की फैक्ट्री में ऑक्सीजन प्लांट लगा था। फैक्ट्री संचालक से बात की गई, तो वह तैयार हो गया। इस काम में जो भी प्रोसेस था। वह जल्द से जल्द पूरा कराया गया। सोमवार को प्लांट चालू हो गया। एक मीट्रिक टन गैस तैयार भी हो गई है। फिलहाल चार मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिल रही है। अब चार मीट्रिक टन का नया प्लांट लग गया। इससे अब किल्लत नहीं रहेगी। इसके लिए राज्य स्तर पर भी काफी सराहना मिली। अन्य जिले भी यह माडल अपना रहे हैं, क्योंकि अन्य जिलों में भी इस तरह के प्लांट होंगे। उन्हें चालू कराया जा सकता है। जिले में फिलहाल ऑक्सीजन, दवाइयों या बेड की कोई दिक्कत नहीं है। नए सेंटर भी किए जा रहे चालू : स्वास्थ्य विभाग कुछ और सेंटर रीओपन कर रहा है। इसमें यमुना इंस्टीट्यूट में 125 बेड का कोविड सेंटर रीओपन किया जा रहा है। तेजली खेल परिसर में 100 बेड का कोविड सेंटर चालू कर दिया गया है। मरीजों की संख्या बढ़ी, तो वहां पर भी ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी पड़ेगी। अभी अधिकतर मरीज भी होम आइसोलेशन में हैं।

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