इस नहर के पास आने से डरते ग्रामीण, जहरीला हुआ पानी Panipat News
डाहर की ड्रेन में डाई हाउस का केमिकल युक्त पानी छोड़ा जाता है। इससे ये ड्रेन न सिर्फ प्रदूषित हो चुकी है बल्कि पानी जहरीला हो चुका है। नहरी विभाग भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
पानीपत, [अरविन्द झा]। 10-12 साल पहले पानीपत शहर से आठ किलोमीटर दूर डाहर गांव के ड्रेन में निर्मल जलधारा बहती थी। ग्रामीण नहाने में उस पानी का उपयोग करते थे। डाइहाउस विकसित होने के साथ ही उसका रसायन युक्त पानी ड्रेन में गिरने लगा। निर्मल ड्रेन काली हो गई। नहरी विभाग उस ड्रेन को बचाने के लिए डाइहाउस संचालकों को नोटिस दे चुका है। कष्ट निवारण समिति की बैठक में भी मामला गूंजा। लेकिन ठोस प्रशासनिक कार्रवाई की कमी से डाइहाउस संचालकों के हौसले बुलंद हैं। ड्रेन में हजारों लीटर काला पानी प्रतिदिन बहा रहे हैं। दैनिक जागरण की टीम ने डाहर गांव में मानकों का उल्लंघन कर चला रहे डाइहाउसों की हकीकत का जायजा लिया। सच्चाई चौंकाने वाली है।
पानीपत रोहतक राष्ट्रीय राजमार्ग से सटा डाहर गांव है। बाइपास चौराहे से 100 कदम दूर बायीं तरफ जाने वाले रास्ते से गांव में पहुंचा। छांव में कुछ लोग ताश खेल रहे थे। डाइहाउस के बारे में पूछने पर ग्रामीणों ने इशारे में रास्ता दिखा दिया। आधे एकड़ खेत में रग्स करोबार फैला दिखाई दिया। धुआं की कोई चिमनी नहीं। मेन गेट से एंट्री करने पर कोई नहीं मिला। लौट कर गांव की तरफ आने लगे तो सेकेंड एंट्री गेट पर नाली से फैक्ट्री का गंदा पानी बहता हुआ दिखाई दिया। पानी के साथ कपड़ा बहर अंडरग्राउंड नाले को जाम न कर दे इसके लिए दो फीट का लोहे का जाल लगा रखा है। फैक्ट्री से काला पानी सीधे नहर में पहुंच रहा है।
ड्रेन में लगा दी जाली और उसमें डाई हाउस का काला पानी।
नहाना भी बंद कर दिया इस काले पानी ने
नहर के पास के मजदूर बलजीत से मुलाकात हुई। बातचीत में उसने कहा कभी इस नहर में नहाते थे। पांच-सात वर्षों से इसका पानी काला हो गया। फैक्ट्रियों वाले काला रयायन युक्त दूषित पानी छोड़ देते हैं। डाइहाउस के संचालक गांव के ही हैं। कुछ स्वयं कारोबार करते हैं। कुछ लोगों ने भाड़े पर दे रखा है। गंदे जल से गांव में बीमारियां बढ़ रही है। दूसरी तरफ जमीन की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंच रहा है।
डाई हाउस में ब्लीच का पानी जो बाद में ड्रेन में बहा दिया जाता है।
नोटिस दे चुका नहरी विभाग
वाटर सर्विस सब डिविजन बिंझौल की तरफ से 2 मार्च 2015 को गांव के चार-पांच डाइ हाउस को नोटिस दिए गए। नोटिस में कहा गया कि नोहरा ड्रेन में बिना ट्रीट किया पानी गिरा रहे हैं। पानी में हानिकारक रसायन मिले होने से जीव जंतु व पर्यावरण को खतरा है। सिंचाई विभाग से इस बारे में कोई अनुमति भी नहीं ली गई। नोटिस में 15 दिनों में बंद करने के सख्त आदेश दिए गए थे। प्रदूषण नियंत्रण विभाग, डीटीपी व सिंचाई विभाग से सांठगांठ कर नहर में गंदा पानी डालना बंद नहीं किया।
बिना नाम के चल रहे ब्लीच हाउस
डाहर गांव में ब्लीच हाउसों की संख्या बढ़ती जा रही है। कपड़ों के कतरन को तेजाब व ब्लीचिंग पाउडर मिलाकर सफेद बना देते हैं। इस प्रक्रिया में तेजाब का उपयोग कर दूषित जहरीला पानी ड्रेन में बहा देते हैं। भूजल इससे खराब होता जा रहा है। 13 मई 2015 को हरियाणा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से बिना नाम के चल रहे चार ब्लीच हाउसों को बंद करने के नोटिस दिए गए। ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में कागजी कार्रवाई के अतिरिक्त क्लोजर जैसी कार्रवाई नहीं हुई।
ड्रेन में जाता रसायनयुकत पानी।
आठ डाइ हाउसों के बिजली कनेक्शन काटे
बिजली निगम ने ग्रामीणों की शिकायत पर 18 नवंबर 2015 को गांव के आठ ब्लीच हाउसों के कनेक्शन काट दिए। बिजली चोरी करने की शिकायत पर यह कदम उठाया गया था।
जांच में पानी असुक्षित
वातावरण और जल प्रदूषित होने पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय डाहर से 21 अगस्त 2015 को मेडिकल ऑफिसर की देखरेख में ओटी टेस्ट के लिए सैंपल भरवाया गया। रिपोर्ट में सैंपल फेल आने पर जल को असुरक्षित बताया गया। इतना सब कुछ होने के बाद भी गांव में फैक्ट्रियों की संख्या कम होने की बजाए बढ़ती जा रही है। उद्योग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों का उल्लंघन कर डाइ और ब्लीच हाउसों का कारोबार फल फूल रहा है। सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तिरछी नजर इस गांव पर फिलहाल नहीं पड़ी है।
कष्ट निवारण में उठा मुद्दा
वर्ष 2016-17 में जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में डाहर गांव का डाइहाउसों का मुद्दा गूंजा। शिकायतकर्ता नरेश ने बताया कि तत्कालीन चेयरमैन रामबिलास शर्मा ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने यह कहते हुए केस बंद कर दिया कि डाइहाउस बंद नहीं होगा।
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