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    पानीपत में रह रहा पाकिस्तानी हिंदू परिवार, अब मांग रहा नागरिकता; पहलगाम हमले के बाद रद हो गया वीजा

    पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा खत्म करने का फैसला किया है। 1992 में राम मंदिर विध्वंस के बाद पाकिस्तान में एक हिंदू परिवार को हिंसा झेलनी पड़ी। उनकी संपत्ति जला दी गई जिसके कारण 1996 में उन्होंने भारत में प्रवास करने का फैसला किया। 2001 में वे पानीपत आ गए नागरिकता के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

    By Aashu Gautam Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 27 Apr 2025 08:12 PM (IST)
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    भारतीय नागरिकता को दिखाता नंदलाल, उसके साथ पत्नी सुमित्रा व बेटी वर्षा

    जागरण संवाददाता, पानीपत। सन 1992 में राम मंदिर का पुराना ढांचा टूटने का विवाद पाकिस्तान में भी हिंदु परिवार को झेलना पड़ा था। पाकिस्तानियों ने हमारा गोदाम, फसल आदि सब कुछ जला दिया था, इस हादसे से हम ऊभर नहीं पाए और 1996 में पाकिस्तान छोड़ने का फैसला किया।

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    मेरे माता-पिता, तीन भाई व तीन बहनें 1996 में आ गए। मैंने पाकिस्तान में रुककर अपनी जमीन, घर, प्लॉट व गोदाम बेचने का प्रयास किया, लेकिन 50 लाख कीमत की जगह किसी ने पांच लाख में भी नहीं खरीदी। क्योंकि उन्हें पता था ये छोड़कर जाएंगे और हम कब्जा कर लेंगे।

    अंत में सन 2001 में मैं भी अपनी पत्नी और दो माह के बेटे संग वीजा पर भारत आ गया। 2006 में पानीपत में ही बेटी हुई। मेरे परिवार ने आते ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर दिया था, 2009 में परिवार के पांच व 2017 में चार सदस्यों को नागरिकता मिल गई, लेकिन पत्नी, बेटी व बेटे के लिए मैं आज भी आफिसों के चक्कर काट रहा। यह कहना है वर्तमान में पानीपत के चढाऊ मोहल्ला में रहने वाल नंदलाल आरोड़ा का।

    पाकिस्तान के इस जिले में रहता था परिवार

    नंदलाल ने बताया कि हमारा परिवार पाकिस्तान में पंजाब परांत के डेरागाजी (डीजी) खान जिला के गांव बोहवा में रहता था। पिता मदललाल का करियाणा सामान का होल सेल काम करते थे। मेरे दादा हरदयाल हकीम थे। हम चार भाई, दो बहनें थे।

    उन्होंने कहा कि सब ठीक चल रहा था, लेकिन सन 1992 में भारत में हुई हिंसा की आंच पाकिस्तान तक पहुंची और पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की फसल, व्यापार सब नष्ट कर दिए। सामान तोड़फोड़ दिए गए। हमारी करीब 20 एकड़ फसल भी नष्ट कर दी गई। इस हिंसा में हमारा परिवार करीब 10 दिन मिल्ट्री हाउस में रहा। हालात ठीक हुए, लेकिन मानसिकता वहीं रही।

    हिंदुओं को अलग नजर से देखने लगे थे, अलग व्यवहार होने लगा था। असहनीय स्थिति होने पर पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे। पानीपत में रहने के दौरान ही जुलाई 2006 में बेटी वर्षा ने जन्म लिया। मैंने बेटी का भारत का पासपोर्ट बनवा लिया।

    भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया, लेकिन इस दौरान मुझ से पाकिस्तान के आधार कार्ड मांगे। जिसे बनवाने के लिए मैं, अपनी पत्नी सुमित्रा, बेटी वर्षा और बेटे राहुल के साथ वर्ष 2008 में पाकिस्तान गया था। वाघा बॉर्डर पर बेटी वर्षा का पासपोर्ट ले लिया, जब वह वापस आए तो बेटी का पासपोर्ट नहीं मिला। उन्हें पाकिस्तान का पोसपोर्ट बनवाना पड़ा और वीजा पर भारत आ गए। सभी दस्तावेज जमा कराकर दोबारा भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया।

    20 जुलाई 2009 को मां नेकी देवी, बहन संगीता, बड़े भाई अर्जुन व छोटे भाई दर्शन को और 2017 में मुझे, मेरी दूसरी बहन पिंकी, छोटे भाई पंकज को नागरिकता मिल गई थी, लेकिन मेरी पत्नी, बेटा और बेटी को अब तक नागरिकता नहीं मिल पाई है। मैं कई बार अधिकारियों के पास जाकर चक्कर लगा चुका है। तीनों के लिए करीब तीन बार नागरिकता के लिए आवेदन कर चुका है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। अब मुझे सोमवार को आफिस बुलाया गया है।

    हरिद्वार में आज विसर्जित करते हैं अस्थियां, चाहे हो जाए पांच साल

    नंदलाल बताते है कि हमारे आज भी कुछ हिंदु परिवार पाकिस्तान में रहते है। उनके घर अगर किसी मृत्यु होती है तो वह वीजा पर भारत आकर अस्थियों को हरिद्वार में विसर्जित करते है। वीजा लगने में चाहे एक साल लगे या पांच साल, जब तक वीजा नहीं मिलता, तब तक अस्थियां पाकिस्तान में ही अपने घर पर रखते हैं।

    दूसरे जिले से लानी पड़ती थी संस्कार के लिए लकड़ियां

    नंदलाल ने बताया कि पाकिस्तान में मौत होने पर शव दफनाए जाते है। अगर हिंदु परिवार में किसी की मौत हो जाती तो दूसरों को पता न लगे इसलिए संस्कार भी रात में ही करना पड़ता था। संस्कार के लिए रात में ही लकड़ियां भी दूसरे जिले से लानी पड़ती थी।

    आर्थिक स्थिति कमजोर, बेटी की 12वीं व बेटे की कॉलेज की पढ़ाई छूटी

    नंदलाल ने बताया कि वह किराये के मकान में रहता है। उग्राखेड़ी के पास एक फैक्ट्री में मेहनत मजदूरी करता है। मेरी आर्थिक स्थिति कमजोर है। हालात ऐसे हुए कि मेरे बेटे ने बीए की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी और बेटी 12वीं के बाद कालेज में दाखिला नहीं ले पाई। जबकि वह पढ़ाई की इच्छुक है।

    क्रिकेट मैच में भारत जीतता तो कहते तुम्हारा देश जीत गया

    नंदलाल ने बताया कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदु परिवार को पाकिस्तानी लोग भारतीय मानते थे। जब भी इंडिया पाकिस्तान का क्रिकेट मैच होता था तो भारत जीतने पर कहते थे तुम्हारा देश जीत गया। पाकिस्तान जीतने पर कहते थे हमारा देश जीत गया, अलग ही हुडदंग करते थे।

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