Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिंधु जल समझौता रद होने से हरियाणा को फायदा, सरस्वती नदी में आएगा सतलुज का पानी; ISRO के साथ बैठक कल

    Updated: Sun, 27 Apr 2025 07:33 PM (IST)

    सिंधु जल समझौते के रद्द होने के बाद सतलुज नदी का पानी हिमाचल प्रदेश के रास्ते हरियाणा में सरस्वती नदी तक लाने की योजना है। आरम्भ में 50 से 100 क्यूसिक पानी लाने की संभावना है। इस परियोजना से हरियाणा को सतलुज के पानी के लिए पंजाब पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा किसानों को लाभ होगा और सरस्वती नदी का धार्मिक महत्व भी बढ़ेगा।

    Hero Image
    हिमाचल के रास्ते सरस्वती नदी में आएगा सतलुज का पानी। फाइल फोटो

    अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। सिंधु जल समझौते को रद करते हुए भारत द्वारा पाकिस्तान का पानी बंद करने के फैसले के बाद सतलुज, रावी, ब्यास, सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी हरियाणा लाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमाचल प्रदेश के शिमला और नाहन के रास्ते इस पानी को हरियाणा के यमुनानगर से आरंभ होकर बहने वाली सरस्वती नदी में लाने की योजना है। आरंभ में 50 से 100 क्यूसिक तक पानी लाने की संभावना तलाश की जा रही है। परियोजना सिरे चढ़ी तो पानी की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाई जा सकती है।

    इससे हरियाणा को अपेक्षित पानी मिलेगा तथा उसे अपने हिस्से के सतलुज के पानी के लिए पंजाब की तरफ भी नहीं देखना पड़ेगा। सिंधु जल समझौते के मुताबिक तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत तथा तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान के पास है।

    धार्मिक महत्व के साथ किसानों को होगा फायदा

    हरियाणा सरकार के सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड ने यह पानी सरस्वती के उद्गम स्थल आदिबद्री तक पहुंचाने के लिए इसरो व रिमोट सेंसिंग के अधिकारियों के साथ सोमवार को जयपुर में बैठक निर्धारित की है। जयपुर स्थित बिरला रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी सेंटर में यह बैठक होने जा रही है।

    यमुनानगर के आदिबद्री से लेकर बिलासपुर, कुरुक्षेत्र, कैथल, पंजाब का नौ किलोमीटर का एरिया, फतेहाबाद और सिरसा को होते हुए ओटू झील कर लगभग 400 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सरस्वती नदी में पानी बह रहा है।

    हालांकि इस पानी का बहाव काफी कम है, लेकिन सतलुज समेत बाकी सभी नदियों का पानी विभिन्न स्रोत के माध्यम से जब सरस्वती में पहुंचाने में सफलता मिलेगी तो पानी का बहाव बढ़ जाएगा। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि सरस्वती नदी की धार्मिक महत्ता भी बढ़ेगी।

    पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया झटका

    हरियाणा के मुख्यमंत्री रहते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल भी हिमाचल प्रदेश के रास्ते सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) का पानी अपने राज्य में लाने की बात कह चुके हैं। मनोहर लाल ने यह बात इसलिए कही थी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में आने के बावजूद पंजाब की ओर से हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं दिया जा रहा है।

    तब मनोहर लाल के इस प्रस्ताव पर काम नहीं हो पाया था। अब पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने जब पाकिस्तान को जाने वाले पानी को बंद करने का निर्णय लिया और सिंधु जल समझौते को रद कर दिया है तो ऐसे में भारत में रुकने वाले पानी के समुचित उपयोग तथा उसके विभिन्न नदियों में बहाव की कार्ययोजना पर सरकार आगे बढ़ती नजर आ रही है।

    12 महीने चलेगा पानी

    सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमिच के अनुसार हरियाणा स्पेस सेंटर (हरसेक) हिसार के निदेशक सुल्तान सिंह और केंद्रीय जल आयोग के उप निदेशक पी दोरजे ज्यांबा से रविवार को वर्चुअल तरीके से उनकी मीटिंग हुई है।

    इन दोनों अधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश की नदियों पर काफी काम किया है। सतलुज समेत बाकी विभिन्न नदियों के पानी को सोलन या बिलासपुर, फिर नाहन की मातर खोल व भैरो की खोल के रास्ते शिमला होते हुए टौंस नदी के माध्यम से सरस्वती नदी में लाया जा सकता है।

    इस पानी के आने से सरस्वती नदी में 12 माह पानी चलेगा। देहरादून का वाडिया इंस्टीट्यूट इस परियोजना को धरातल पर सिरे चढ़ाने में सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की मदद करेगा।

    इन नदियों में होगा पाकिस्तान के पानी का बंटवारा

    धूमन सिंह का कहना है कि पंजाब हमारे हिस्से का पानी हमें नहीं दे रहा है। केंद्र सरकार ने अब सिंधु जल समझौता रद कर दिया है। पाकिस्तान अगर पानी नहीं जाएगा तो स्वाभाविक रूप से इस पानी का वितरण बाकी नदियों में करने की योजना पर आगे बढ़ना होगा।

    ऐसे में सिर्फ हरियाणा ही नहीं, बल्कि पंजाब व राजस्थान की नदियों में भी सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्याज व सतलुज के पानी को बांटा जा सकता है। आदिबद्री में पानी लाने के लिए हरियाणा में शिवालिक की पहाड़ियों से ऊपर शिमला-नाहन के पास टौंस नदी का इस्तेमाल संभव है।

    इस परियोजना के पूरा होने के बाद पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सौंपी जाएगी, ताकि वे केंद्र सरकार से इस संबंध में बातचीत कर सकें। धूमन के अनुसार एक डैम बनाने का काम आदिबद्री में सरस्वती के उद्गम स्थल पर चल रहा है, जिससे सरस्वती नदी में 12 महीने पानी चलाने में आसानी होगी।

    सरस्वती के ऊपर आदिबद्री में एक डैम और एक बैराज बनाने का कार्य तेजी से जारी है। साथ ही बिलासपुर के पास छिलोर गांव में 350 एकड़ में एक बडी झील पर काम शुरू हो चुका है।