ओपी चौटाला से थर-थर कांपते थे अधिकारी, डर से तकिये के नीचे रखकर सोते थे डायरी; कभी भी आ जाता था फोन
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) के कार्यकाल में अधिकारियों का रातों को चैन से सोना मुश्किल था। चौटाला किसी भी समय अधिकारियों को फोन कर किसी भी प्रोजेक्ट या घटनाक्रम पर अपडेट लेते थे। इस डर से अधिकारी तकिए के नीचे डायरी रखकर सोते थे। बता दें कि चौटाला के निधन पर हरियाणा में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala Death) जब मुख्यमंत्री थे तो उन्हें विपक्ष के एक नेता ने कटाक्ष करते हुए कह दिया कि आपके ज्यादातर अधिकारी रात के समय पार्टियों में जाते हैं और शराब के नशे में होते हैं।
ऐसे में प्रदेश की कानून-व्यवस्था भगवान भरोसे है। ओम प्रकाश चौटाला को विपक्ष के नेता की यह बात अखर गई। उन्होंने अगले ही दिन सब अधिकारियों को सूचित किया कि वे किसी भी समय फोन कर किसी प्रोजेक्ट या घटनाक्रम पर अपडेट ले सकते हैं।
तकिए के नीचे डायरी रखकर सोते थे अधिकारी
इसके बाद ओम प्रकाश चौटाला कहीं भी हों, रोजाना रात को जिला उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों को फोन कर अपडेट लेना शुरू कर दिया। इसके चलते अधिकारी रात को सोते समय अपने तकिए के नीचे डायरी रखकर सोते थे। उन्हें यह भय रहता था कि सीएम किसी भी समय सीधे फोन कर किसी भी घटना या परियोजना का अपडेट ले सकते हैं।
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अंतिम संस्कार में शामिल होंगे उपराष्ट्रपति और सीएम सैनी
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री के सिरसा में होने वाले अंतिम संस्कार में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री नायब सैनी सहित कई राजनेता और गण्यमान्य लोग शामिल होंगे।
राज्य सरकार की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार 20 से 22 दिसंबर तक तीन दिन का राजकीय शोक रहेगा। 21 दिसंबर को प्रदेश में एक दिन की छुट्टी रहेगी। चौटाला के निधन पर शोक स्वरूप राज्य में इन तीन दिनों की अवधि में कोई सरकारी मनोरंजक कार्यक्रम नहीं किया जाएगा। 21 दिसंबर को राजकीय सम्मान के साथ पूर्व मुख्यमंत्री का अंतिम संस्कार होगा।
आर्थिक स्थिति नहीं होने के बावजूद दिया टिकट
ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद से जींद जिले के नरवाना विधानसभा के पूर्व विधायक पिरथी नंबरदार ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 के चुनाव में नरवाना विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया। तब मैं गांव का नंबरदार था और खेती करता था।
चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक स्थिति नहीं थी, लेकिन क्षेत्र के लोगों ने टिकट मांगा तो चौटाला साहब ने कहा कि पिरथी की आर्थिक स्थिति कमजोर है। इस पर कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में कहा कि इसकी चिंता वे नहीं करें। तभी टिकट पक्की कर दी। मुझे पता भी नहीं चला कि चुनाव में खर्च किसने किया और कितना किया। लगातार दो बार 2009 व 2014 में विधायक बनने का मौका मिला।
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