हरियाणा में सर्दी में रहा बारिश का सूखा, फरवरी में भी वर्षा के आसार नहीं; फसलों को नुकसान का खतरा
हरियाणा में जनवरी और फरवरी में कम बारिश के कारण सूखे जैसे हालात बन गए हैं। बारिश की कमी का असर मौसम और फसलों पर साफ तौर पर दिख रहा है। औसत तापमान में वृद्धि हुई है जिससे गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है। मौसम विभाग का कहना है कि अब अगर बारिश होती भी है तो कमी को पूरा करना मुश्किल होगा।
प्रदीप शर्मा, पानीपत। जनवरी व फरवरी सर्दी की वर्षा के सबसे अच्छे महीने माने जाते हैं। लेकिन इस बार जनवरी की विदाई भी करीब 38 प्रतिशत कम वर्षा के साथ हुई और फरवरी में भी वर्षा की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। वर्षा की कमी का असर मौसम व फसलों पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है।
औसत तापमान में वृद्धि हुई है, गेहूं की फसल के लिए औसत 15.0 से 16.0 डिग्री तापमान तक ठीक माना जाता है, पश्चिमी विक्षोभ की कमी के कारण वर्षा कम हुई और औसत तापमान बॉर्डर लाइन तक पहुंच चुके हैं।
बॉर्डर लाइन इसलिए क्योंकि औसत तापमान यदि 17.0 डिग्री के डिजिट में कन्वर्ट होता है तो संभव है इसका असर गेहूं की ग्रोथ पर पड़ेगा। निश्चित तौर पर उत्पादन पर भी असर देखा जा सकता है।
वर्ष 2017, 18 व 23 भी रहा था शुष्क
मौसम विभाग का कहना है कि अब यदि वर्षा होती भी है तो कमी को पूरा करना मुश्किल है। क्योंकि फरवरी में भी अब तक कोई ज्यादा संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं। महीने के पहले पखवाड़े में कोई खास वर्षा नहीं होगी और शुष्क मौसम लंबे समय तक बना रह सकता है। इससे पहले फरवरी 2017, 2018 और 2023 पूरी तरह शुष्क रह चुकी है।
आगे क्या चुनौती?
जिस प्रकार से सर्दियां कम हुई हैं, जनवरी में भी तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिली है, यह गेहूं विज्ञानियों के लिए बड़ी चुनौती है। क्योंकि जब तापमान गेहूं की फसल के अनुकूल नहीं होता है तो उत्पादन कम होता है। इस प्रकार की स्थिति कई बार देखने को मिली है, जब किसानों को 20 से 25 प्रतिशत तक उत्पादन में कमी झेली है।
चुनौतियों को देखते हुए तैयारी भी
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी बताते हैं कि भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए विज्ञानियों की टीम लगातार काम कर रही है। संस्थान ऐसी सहनशील प्रजातियों पर काम कर रहा है, जो बढ़ते तापमान की चुनौतियों से निपट सके। उत्पादन पर भी उसका असर न पड़े।
क्या करें किसान
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. सतपाल सिंह ने बताया कि बढ़ता तापमान किसानों के लिए चुनौती बनकर खड़ा है। फसलों में दिन में पानी लगाएं। इससे तापमान के असर को कुछ हद तक कम करने में मदद मिल सकती है।
यह भी पढ़ें- कश्मीर के कई जिलों में कम हुई बारिश, ग्लेशियर भी पिघलने लगे; हो सकती है पानी की किल्लत
किस जिले में कितनी वर्षा की कमी
अंबाला | 42 |
भिवानी | 46 |
चरखी दादरी | 58 |
फरीदाबाद | 9 |
फतेहाबाद | 59 |
गुरुग्राम | 1 |
हिसार | 48 |
झज्जर | 39 |
जींद | 78 |
कैथल | 91 |
करनाल | 90 |
कुरुक्षेत्र | 20 |
महेंद्रगढ़ | 33 |
नूंह | 74 |
पलवल | 11 |
पंचकूला | 57 |
पानीपत | 72 |
रेवाड़ी | 22 |
रोहतक | 60 |
सिरसा | 62 |
सोनीपत | 66 |
यमुनानगर | 64 |
यह भी पढ़ें- हिमाचल में कई जगहों पर हुई बर्फबारी, तीन दिनों तक सक्रिय रहेगा पश्चिमी विक्षोभ; जानें मौसम का हाल
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।