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    'CM के लिए ओम कैसा रहेगा...', दिलचस्प है ओपी चौटाला के पहली बार मुख्यमंत्री बनने की कहानी

    Updated: Fri, 20 Dec 2024 09:04 PM (IST)

    हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) का शुक्रवार को 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। हरियाणा की राजनीति में ओपी चौटाला ने बड़ी भूमिका निभाई है। ओपी चौटाला के निधन पूरा प्रदेश शोक की लहर में डूब गया है। ओपी चौटाला पांच पर हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार सीएम बनने का किस्सा काफी मजेदार था।

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    ओमप्रकाश चौटाला का शुक्रवार को निधन हो गया। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो,  चंडीगढ़।  हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भले ही थोड़े-थोड़े समय के लिए पांच बार मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उन्होंने आठ साल तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व भी संभाला।

    चौटाला सिर्फ एक बार साल 2000 से 2005 तक पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री रहे हैं। इनेलो पार्टी का गठन करने में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का अहम योगदान रहा।

    साइबर सिटी गुरुग्राम को विकसित करने बड़ा योगदान

    इससे पहले स्वर्गीय ताऊ देवीलाल ने हरियाणा में अलग-अलग पार्टियों के सहयोग से सरकार बनाई थी। ओमप्रकाश चौटाला हिंदी, पंजाबी, संस्कृत और उर्दू के ज्ञाता थे। अपने राजनीतिक सफर में सत्ता विरोध के चलते चौटाला कई बार जेल भी गए।

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    आपातकाल के दौरान उन्होंने 19 महीने की जेल काटी थी। आज के साइबर सिटी गुरुग्राम को विकसित करने और इसके विकास का अमलीजामा पहनाने में चौटाला का सबसे बड़ा योगदान रहा है। हरियाणा में बड़े उद्योग भी चौटाला के मुख्यमंत्री रहते ही लगे थे, जिनमें मारूति सुजुकी और होंडा जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों ने अपने उद्योग हरियाणा में लगाए थे।

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    संपत सिंह ने किया ओपी चौटाला से जुड़े किस्से का जिक्र

    ओमप्रकाश चौटाला संगठन के व्यक्ति थे और जानते-समझते थे कि संगठन में जो ताकत है, वह किसी में भी नहीं है। चौटाला की सरकार में वित्त मंत्री रह चुके कांग्रेस नेता प्रो. संपत सिंह एक किस्से का जिक्र करते हुए बताते हैं कि एक बार दिल्ली के हरियाणा भवन में देवीलाल काफी परेशान दिख रहे थे।

    देर रात तक उन्हें नींद नहीं आ रही थी। वे दिल्ली की राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन उनकी चिंता ये थी कि उनके बाद हरियाणा की कमान कौन संभालेगा। कहीं पार्टी और परिवार बिखर तो नहीं जाएगा। इसी बीच उनका दरवाजा खटखटाया। देवीलाल बोले कि आओ संपत, नींद नहीं आ रही है।

    पहली बार ऐसे सीएम बने थे ओपी चौटाला 

    मैंने पूछा कि क्या हुआ चौधरी साहब। देवीलाल ने जवाब दिया कि मैं दोराहे पर खड़ा हूं। उप प्रधानमंत्री बनूं या मुख्यमंत्री बना रहूं? समझ नहीं आ रहा। संपत सिंह ने कहा, इसमें सोचने वाली क्या बात है। आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिल रही है, आप उप प्रधानमंत्री बनिए। तब देवीलाल ने पूछा कि यहां किसे कमान दूं।

    संपत सिंह ने जवाब दिया कि आप जो फैसला करेंगे, वह सब मानेंगे। तब देवीलाल ने कहा, ओम कैसा रहेगा? संपत सिंह बोले कि ठीक रहेंगे जी। इसके बाद देवीलाल ने घंटी बजाई और पीए को बुलाकर कहा, वीपी सिंह से बात कराओ।

    तब रात के करीब 11 बज रहे थे। देवीलाल ने वीपी सिंह से कहा, मैं भी आपके साथ डिप्टी प्राइम मिनिस्टर की शपथ लूंगा और फोन काट दिया। अगले दिन दिल्ली में लोकदल के विधायकों की बैठक हुई। देवीलाल ने कहा कि ओम मेरी जगह लेगा और हरियाणा का मुख्यमंत्री बनेगा।

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