Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    रिटायर्ड पुलिसकर्मी की थीं 2 पत्नियां, इसलिए हरियाणा सरकार ने 25 साल से नहीं दी पेंशन; अब HC ने सुनाया ये फैसला

    Updated: Wed, 05 Mar 2025 03:49 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने एक ऐतिहासिक फैसले में हरियाणा पुलिस के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की विधवा को पारिवारिक पेंशन देने का निर्देश दिया है। इस मामले में 25 वर्षों से पेंशन विवाद चल रहा था क्योंकि मृत कर्मचारी की दो पत्नियां थीं और विवाद के चलते सरकार ने किसी को भी पेंशन जारी नहीं की थी।

    Hero Image
    हरियाणा में पेंशन विवाद का एक अनोखा मामला सामने आया है। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक फैसले में हरियाणा पुलिस के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की विधवा को पारिवारिक पेंशन देने का निर्देश दिया है।

    इस मामले में 25 वर्षों से पेंशन विवाद चल रहा था, क्योंकि मृत कर्मचारी की दो पत्नियां थीं और विवाद के चलते सरकार ने किसी को भी पेंशन जारी नहीं की थी। इस मामले में हाई कोर्ट में गुरुग्राम निवासी मुन्नी बाई व अन्य ने साल 2000 में याचिका दायर कर पेंशन की मांग की थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    1985 में रिटायर्ड हुए थे याचिकाकर्ता के पति

    जस्टिस जगमोहन बंसल ने केस की सुनवाई करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 25 वर्षों से याचिकाकर्ता को उसका हक नहीं मिला और सरकार की निष्क्रियता के कारण पेंशन जारी नहीं हुई।

    यह भी पढ़ें- 'हरियाणा का बजट 1.89 लाख करोड़, कर्जा 3.17 लाख करोड़', रणदीप सुरजेवाला ने नायब सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

    याचिकाकर्ता ने अदालत में दलील दी कि उसके पति राम सहिन हरियाणा पुलिस से एक अगस्त 1985 को सेवानिवृत हुए थे और 23 फरवरी 2000 को उनका निधन हो गया। चूंकि मृतक कर्मचारी की दो पत्नियां थीं, सरकार ने विवाद के चलते किसी को भी पेंशन जारी नहीं की।

    सरकार ने दी ये दलीलें

    याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि पहली पत्नी का निधन 24 जुलाई 2006 को हो गया और अब परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है। ऐसे में उसे पेंशन मिलनी चाहिए। सरकार की तरफ से कहा गया कि विभाग यह तय नहीं कर पाया कि याचिकाकर्ता मृतक की कानूनी रूप से वैध पत्नी हैं या नहीं, क्योंकि पेंशन दस्तावेजों में पहली पत्नी को कानूनी उत्तराधिकारी बताया गया था।

    अदालत ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी थी कि वह कानून के अनुसार पेंशन जारी करे, ना कि पूरी राशि को रोक कर रखे।

    कोर्ट ने दो महीने के अंदर कार्यवाही पूरी करने के दिए निर्देश

    कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि याचिकाकर्ता मृतक कर्मचारी की कानूनी रूप से वैध पत्नी साबित होती हैं, तो उन्हें पेंशन और बकाया राशि 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दी जाए।

    साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि यदि मृतक के परिवार का अन्य कोई भी व्यक्ति इस पेंशन पर दावा करता है, तो सरकार उसके दावे पर भी विचार कर सकती है। कोर्ट ने ने सरकार को दो महीने के भीतर सभी आवश्यक कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया और इस देरी को अन्यायपूर्ण करार दिया।

    यह भी पढ़ें- मंत्रियों-विधायकों को मधुमक्खियों से बचाने की चिंता में अफसर, बजट सत्र से पहले हुई सुरक्षा बैठक