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    हरियाणा में बंजर भूमि पर भी लहलाएगी फसल, किसान उगा सकेंगे 691 नई वैरायटी; पढ़ें कैसे?

    Updated: Thu, 05 Dec 2024 08:57 PM (IST)

    भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण से निपटने के लिए 691 नई फसल किस्में विकसित की हैं। इनमें से 524 खेत फसलों और 167 बागवानी फसलों की किस्में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अगस्त को 34 खेत और 25 बागवानी फसलों की कुल 109 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया था। ये किस्में अलग-अलग राज्यों में किसानों की जरूरत के हिसाब से विकसित की गई।

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    Haryana News: बंजर भूमि भी दिखेगी हरी-भरी (जागरण फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की वजह से फसलों को खराब होने से बचाने की दिशा में कई प्रमुख अनुसंधान किए हैं।

    अनुसंधान परिषद ने केंद्रीय व राज्य कृषि विश्वविद्यालयों तथा विभिन्न कृषि संस्थानों के साथ मिलकर खेत फसलों की 524 और बागवानी फसलों की 167 नई/संकर किस्में विकसित की हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अगस्त को 34 खेत ओर 25 बागवानी फसलों की कुल 109 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित कर चुके हैं।

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    बंजर भूमि पर भी खेती संभव

    कुरुक्षेत्र के भाजपा सांसद नवीन जिंदल ने लोकसभा में फसलों व बागवानी की नई किस्मों के अनुसंधान को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछा था।

    केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने लोकसभा में जानकारी दी कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने फसलों व बागवानी की ऐसी किस्मों पर भी काम किया है, जिनसे बंजर भूमि में भी खेती हो सकेगी। बाढ़, जलभराव, अत्याधिक गर्मी व कड़ाके की ठंड, लवणीय भूमि और कम फास्फोरस वाली जमीन में भी खेती संभव हो पाएगी।

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    केंद्रीय कृषि मंत्री का कहना है कि किसी भी किस्म को किसानों के लिए जारी करने के बाद बीज का उत्पादन करने वाली सरकारी व प्राइवेट एजेंसियों से मांग पत्र के हिसाब से बीज उत्पादन केंद्रों द्वारा प्रजनक बीज का उत्पादन किया जाता है।

    इस पूरी प्रक्रिया में तीन वर्षों का समय लगता है। प्रमाणित बीज का डाउनस्ट्रीम गुणनीकरण करने के लिए एजेंसियों को बीजों की आपूर्ति की जाती है। बीज को पूरी तरह से जांचने-परखने के बाद इसकी आपूर्ति किसानों को होती है।

    राज्यों की जरूरत के हिसाब से विकसित की नई किस्में

    भारतीय कृषि अनुंसधान परिषद के तत्वावधान में किसानों के लिए फसलों की जो 524 नई किस्में तैयार की गई हैं, उनमें धान की 126, गेहूं की 22, मक्का की 51, ज्वार की 12, बाजरा की 13, छोटे मिलेट की 21, जौ की एक, तिलहन की 55, भारतीय सरसों की आठ, पीली सरसों की दो, मूंगफली की आठ।

    सोयाबीन की 12, अलसी की नौ, सूरजमुखी की तीन, कुसुम की चार, मटर व उड़द की छह-छह, मूंग की 15, लोबिया की तीन, राजमा की एक, कपास की 89, जूट की पांच, गन्ने की 12, तंबाकू की दो तथा चारा फसलों की 24 किस्में प्रमुख रूप से शामिल हैं। ये किस्में अलग-अलग राज्यों में किसानों की जरूरत के हिसाब से विकसित की गई हैं।

    बागवानी की कई किस्मों पर चल रही टेस्टिंग

    अनुसंधान के बाद बागवानी से जुड़ी फसलों की 167 नई किस्में तैयार की गई हैं। इनमें बारहमासी मसाले की 19, बीजीय मसाले की आठ, आलू एवं उष्ण कटिबंधीय कंदावर फसलों की आठ, रोपण फसलों की छह, फलदार फसलों की 40, सब्जियों की 70 तथा फूलों की 16 किस्में शामिल हैं।

    हालांकि, खेती व बागवानी फसलों की नई किस्मों में से अभी तक खेत की 34 और बागवानी की 27 फसलों की कुल 109 गुण विशिष्ट किस्मों को लागू किया गया है। बाकी पर अभी टेस्टिंग चल रही है।

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