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    ऑपरेशन पवन के दिव्यांग सैनिक के बेटे को आरक्षण न देने पर हाईकोर्ट सख्त, HSSC को फटकारा; कार्रवाई के दिए आदेश

    Updated: Thu, 13 Feb 2025 04:04 PM (IST)

    ऑपरेशन पवन के दौरान रॉकेट लॉन्चर से 90 प्रतिशत दिव्यांग हुए पिता के बेटे को सब इंस्पेक्टर भर्ती में आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) को फटकार लगाई है और जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और तीन महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

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    पूर्व सैनिक के बेटे को आरक्षण का लाभ नहीं मिलने पर हाईकोर्ट सख्त। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। सब इंस्पेक्टर की भर्ती में दिव्यांग सैनिक के बेटे को आरक्षण का लाभ नहीं देने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है, एकल बेंच के आदेश के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की अपील को डिविजन बेंच ने खारिज करते हुए जांच के आदेश दिए हैं।

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    हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वो इस मामले की जांच करे व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर तीन महीने के भीतर हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि जिम्मेदार व्यक्ति सेवानिवृत्त हो गए तो भी वह जांच व कार्रवाई से नहीं बच सकता।

    एकल बेंच ने याची राहुल को सब इंस्पेक्टर की भर्ती में दिव्यांग सैनिक के बेटे को आरक्षण का लाभ न देने पर उसे तुरंत नियुक्ति देने व दस लाख का जुर्माना लगाया था। आयोग ने एकल बेंच के इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

    जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने अपील को खारिज करते हुए कहा कि उनको एकल बेंच के आदेश में कोई कमी नजर नहीं आ रही है। एकल बेंच ने उचित आदेश पारित किया है।

    रॉकेट लॉन्चर से 90 प्रतिशत विकलांग

    बेंच ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वो इस मामले की जांच करवाए व याचिकाकर्ता को आरक्षण का लाभ न देने व राज्य पर अनावश्यक बोझ डाला गया है। हालांकि, कोर्ट ने आयोग के आग्रह पर सिंगल बेंच द्वारा एचएसएससी पर लगाए गए 10 लाख रुपये के जुर्माने को माफ कर दिया।

    दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी कर चुके चरखी दादरी निवासी राहुल ने जून 2021 में विज्ञापित सब इंस्पेक्टर की भर्ती में आवेदन किया था। प्रदेश सरकार के नियमों के तहत उन्होंने 50 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले भूतपूर्व सैनिक (ईएसएम विकलांग) के आश्रितों के कोटा में आवेदन किया। उनके पिता 1995 में श्रीलंका में ऑपरेशन पवन के दौरान रॉकेट लांचर से 90 प्रतिशत स्थायी विकलांग हो गए थे।

    राहुल को नियुक्ति देने का आदेश दिया था

    राहुल ने चयनित उम्मीदवार से 57 अंक अधिक प्राप्त किए, लेकिन उन्हें इस आधार पर चयन से वंचित कर दिया गया कि आवेदन पत्र के साथ वैध प्रमाणपत्र नहीं लगाया। इससे उन्हें सामान्य ईएसएम श्रेणी में माना गया।

    हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने मामले की जांच करते हुए पाया कि जिला सैनिक बोर्ड द्वारा जारी किया गया पात्रता प्रमाणपत्र वैध था और उसमें किसी विशेष प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं थी।

    सिंगल बेंच ने पिछले साल 13 सितंबर को आयोग की कार्रवाई को सैनिक का अनादर मानते हुए 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए राहुल को नियुक्ति देने का आदेश दिया था। इस फैसले को सरकार की ओर से डिविजन बेंच में चुनौती दी गई थी।

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