हरियाणा के चार सीपीएस त्रिखा, कमल गुप्ता, राणा और विर्क की कुर्सी गई
पंजाब के बाद अब हरियाणा के चार सीपीएस पर गाज गिरी है। हाई कोर्ट ने सीमा त्रिखा, डा. कमल गुप्ता, बख्शीस सिंह विर्क और श्याम सिंह राणा की नियुक्ति को अवैध करार दिया है।
चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाण हाई कोर्ट ने हरियाणा की भाजपा सरकार में करीब दो साल पहले नियुक्त हुए चार मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को गैर संवैधानिक करार देते हुए उन्हें हटाने का महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने चारों मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को कानून और प्रावधानों के विपरीत करार दिया है।
हाईकोर्ट ने हरियाणा के चारों सीपीएस की नियुक्तियाें को अवैध करार दिया
हाई कोर्ट के इस फैसले से प्रभावित होने वाले मुख्य संसदीय सचिवों में बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा, हिसार के विधायक डा. कमल गुप्ता, असंध के विधायक स. बख्शीस सिंह विर्क और रादौर के विधायक श्याम सिंह राणा शामिल हैैं। एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी की जनहित याचिका पर जस्टिस एसएस सरों और जस्टिस दर्शन सिंह की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए सीपीएस की नियुक्तियों को अंसवैधानिक करार दिया है। इन चारों सीपीएस ने 23 जुलाई 2015 को शपथ ली थी।
यह भी पढ़ें: संत का हठयोगः गो संरक्षण के लिए खून से धर्म अखाड़ों व शंकराचार्यों को लिखा पत्र
पंजाब के 24 सीपीएस की नियुक्तियां अवैध घोषित करने के बाद हरियाणा का नंबर लगा
हाई कोर्ट की खंडपीठ पिछले साल पहले पंजाब के 18 और बाद में छह सीपीएस की नियुक्तियां अवैध करार दे चुकी है। हाई कोर्ट के इस फैसले से सरकार और मुख्य संसदीय सचिवों में हड़कंप की स्थिति है। फैसला आने के तुरंत बाद सरकार ने अदालत से आग्रह किया कि वह इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करना चाहते हैं, लिहाजा इसके लिए उन्हें तीन सप्ताह का समय दिया जाए।
इस पर हाई कोर्ट ने अपने फैसले को लागू करने पर तीन सप्ताह की अंतरिम रोक लगा दी, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि चारों मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियां गैर संवैधानिक हैैं। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद अप्रैल 2017 से फैसला आरक्षित रखा हुआ था।
सरकार की सीपीएस के लाभ के दायरे से बाहर होने की दलील
हरियाणा सरकार ने अदालत में तर्क दिया कि सरकार ने एक्ट में बदलाव कर मुख्य संसदीय सचिवों को ऑफिस ऑफ प्रोफिट के दायरे से बाहर रखा है। सीपीएस को मंत्री या उप मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया है। राज्य सरकार का कहना था कि सीपीएस खुद से कोई भी फैसले नहीं ले सकते। वह मंत्रियों की मदद करने के लिए हैं। चूंकि वह अन्य विधायकों के मुकाबले अतिरिक्त काम करते हैं, इसलिए उन्हें थोड़ा अतिरिक्त फायदा मिलता है। सरकार ने यह भी कहा है कि हरियाणा और पंजाब बनने के बाद से वहां संसदीय सचिवों की नियुक्तियां होती रही हैैं।
पंजाब में भी हो चुकी 24 सीपीएस की नियुक्तियां रद
पंजाब की पिछली बादल सरकार के कार्यकाल में नियुक्त 24 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियां भी हाईकोर्ट रद कर चुका है। पंजाब में 2012 में इन सीपीएस की नियुक्तियां हुई थी। 12 अगस्त 2016 को इन नियुक्तियों को रद किया गया था इसके बाद से हरियाणा के चारों सीपीएस की नियुक्ति पर तलवार लटकी हुई थी।
यह भी पढ़ें: हरियाणा में बेटियां बचाती और पढ़ाती नजर आएंगी फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड मानुषी
अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे चारों सीपीएस
हरियाणा सरकार ने करीब एक साल तक हाई कोर्ट में इन चारों सीपीएस की नियुक्तियों की तरफदारी में एक के बाद एक कई दलीलें दी। बुधवार को दिए गए इस फैसले के खिलाफ प्रभावित सीपीएस अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी में हैैं। हरियाणा सरकार के वकील ने खुद ऐसे संकेत दिए हैैं।
---------
सीपीएस की नियुक्तियों पर दिग्गजों के बोल
' कानूनी राय के बाद अगला कदम '
'' हाई कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं। इस फैसले पर कानूनी राय लेने के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। सभी सीपीएस और राज्य सरकार के सामने तीन सप्ताह तक विकल्प खुले हैं।
- कैप्टन अभिमन्यु, वित्त मंत्री, हरियाणा।
---------
' स्टे मिल गया तो काम करते रहेंगे सीपीएस'
'' हाई कोर्ट ने अपने फैसले पर स्टे के लिए सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है। पूर्व में पंजाब के सीपीएस पर भी फैसला आया था, जिस पर वहां के सीपीएस सुप्रीम कोर्ट गए और वह केस सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। हरियाणा सरकार और सीपीएस इस फैसले के खिलाफ एसएलपी डालने वाले हैैं। तीन सप्ताह से पहले इस कार्रवाई को पूरा किया जाएगा। तीन सप्ताह तक चारों सीपीएस काम करते रहेंगे। तीन सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट ने यदि स्टे दे दिया तो वे काम करते रहेंगे। यदि स्टे नहीं मिलता तो सरकार को चारों सीपीएस को हटाना पड़ेगा।
- बलदेव राज महाजन, एडवोकेट जनरल, हरियाणा।
-----------
'सीपीएस से वसूली जाए सुविधाओं की कीमत'
'' भाजपा आमजन के खून पसीने की कमाई को अपने ऐशो आराम के लिए इस्तेमाल कर कर रही है। चहेतों को मनचाहे पद बांटे जा रहे हैं। संविधान को ताक पर रखकर वे नियुक्तियां भी कर दी गईं, जो नहीं होनी चाहिए थी। चारों सीपीएस पर घर, कारें, स्टाफ देने के अलावा अन्य बहुत सारा पैसा खर्च किया गया। इनसे यह पूरी राशि वसूलने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। भाजपा प्रयास कर रही है कि किसी तरह से सीपीएस के पांच साल निकल जाएं। इसके लिए वह मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की फिराक में है।
- अभय सिंह चौटाला, विधानसभा में विपक्ष के नेता।
----------
' भाजपा ने गलती की तो अब स्वीकार करे '
'' हुड्डा सरकार में भी सीपीएस बनाए गए थे। तब भाजपा सीपीएस की नियुक्तियों को गलत बताते हुए इसका खुला विरोध करती थी। यदि उसका विरोध वाजिब था और उसमें कोई राजनीति नहीं थी तो फिर अपनी सरकार में उसने सीपीएस क्यों बनाए? अगर भाजपा ने गलती की है तो वह इसे स्वीकार करे।
- दीपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस सांसद, रोहतक।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।