'अपने कर्मचारियों के प्रति अमानवीय कैसे हो सकते हैं', हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को लगाई फटकार; क्या है मामला?
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। रोहतक की अदालत में जज के रीडर की पत्नी के इलाज का भुगतान नहीं करने पर हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य अपने ही कर्मचारी के प्रति इतना अमानवीय कैसे हो सकता है। हाईकोर्ट ने अब इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। रोहतक की अदालत में जज के रीडर की पत्नी के इलाज का भुगतान नहीं करने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की कार्य प्रणाली के प्रति कड़ी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने सवाल किया कि राज्य अपने ही कर्मचारी के प्रति इतना अमानवीय कैसे हो सकता है।
सरकार ने याचिका में बताई ये बात
हाईकोर्ट में हरियाणा सरकार ने याचिका दाखिल करते हुए बताया कि सिंगल बेंच ने गैर मंजूर अस्पताल से ओपीडी इलाज के लिए भुगतान का आदेश दिया था। राज्य सरकार की नीति के तहत इसके लिए भुगतान नहीं किया जा सकता है।
सरकार की याचिका का विरोध करते हुए कर्मचारी मनोज जैन ने कहा कि ओपीडी का इलाज भर्ती होने के बाद के इलाज का हिस्सा है। यह केवल ओपीडी इलाज नहीं है, जिसके लिए उसने प्रतिपूर्ति की मांग की है।
हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
याची ने बताया कि उसकी पत्नी को किडनी से जुड़ी समस्या थी, जिसे आम बीमारी नहीं माना जा सकता है। याचिका के विरोध में उसने विभिन्न हाईकोर्ट की जजमेंट पेश की, जिसमें ओपीडी इलाज के लिए भुगतान के निर्देश दिए गए थे।
हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान में राज्य को कल्याणकारी राज्य कहा गया है। राज्य को अपने कर्मियों के प्रति उदार होना चाहिए, लेकिन इस मामले में सरकार ने अमानवीय रवैया अपना लिया है। हाईकोर्ट ने अब इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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बिजली कनेक्शन पर कोर्ट ने कही ये बात
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत को यह तय करना होगा कि क्या वह राज्य के नीतिगत निर्णयों में हस्तक्षेप कर सकती है। मामला पंजाब हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई के लिए ट्यूबवेल चलाने के लिए बिजली पर 100 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने से संबंधित है।
याचिकाकर्ता चंडीगढ़ निवासी हरि चंद ने 2018 में याचिका दायर कर इस सब्सिडी को चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह की सब्सिडी धनी किसानों को भी लाभ पहुंचाती है, जो कि अनुचित है। याचिका में आग्रह किया गया है कि 100 प्रतिशत सब्सिडी पर प्रतिबंध लगाकर इसे आवश्यकता के आधार पर प्रदान किया जाए।
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