हरियाणा के राजनीतिक घरानों का Rajasthan Election की ओर रुख, BJP को बिश्नोई से फायदा; कांग्रेस को किसका सहारा?
Rajasthan Election 2023 राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में प्रदेश के राजनीतिक दल और नेता जुट गए हैं। विधानसभा का कार्यकाल 14 जनवर ...और पढ़ें

चंडीगढ़, अनुराग अग्रवाल। Rajasthan Election 2023: हरियाणा के तीन बड़े राजनीतिक घरानों समेत विभिन्न दल राजस्थान में इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गये हैं। पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के घराने से जुड़े प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला राजस्थान की करीब ढ़ाई दर्जन विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति बना रहे हैं।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के घराने का प्रतिनिधित्व कर रहे कुलदीप बिश्नोई भाजपा के लिए और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल के घराने की पुत्रवधू किरण चौधरी कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव की राह आसान करने में लगे हैं। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला भी राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं। ऐसे में अक्टूबर माह में राजस्थान की राजनीति में हरियाणा के राजनेताओं का पूरा दखल नजर आने वाला है।
14 जनवरी 2024 तक विधानसभा का कार्यकाल
राजस्थान की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 14 जनवरी 2024 तक है। ऐसे में वहां दिसंबर 2023 तक चुनाव होने तय हैं। केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 29 सितंबर से एक अक्टूबर तक राजस्थान के दौरे पर रहेंगे। उसके बाद वे तीन से पांच अक्टूबर तक तेलंगाना का दौरा करेंगे।
इन दोनों राज्यों का दौरा पूरा होते ही केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से पांच राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो सकता है। राजस्थान और हरियाणा की सीमाएं आपस में मिलती हैं। दोनों राज्यों के लोगों में रोटी-बेटी का रिश्ता होने के साथ-साथ जबरदस्त राजनीतिक कनेक्शन भी हैं। इसलिए राजस्थान के नेताओं का हरियाणा में और हरियाणा के नेताओं का राजस्थान की राजनीति में पूरा हस्तक्षेप रहता है।
दुष्यंत चौटाला की जेजेपी को चमत्कार की आस
पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल 1989 में सीकर से सांसद रह चुके हैं। अब उनके पोते जेजेपी अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डा. अजय सिंह चौटाला, परपोते उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय सिंह चौटाला और पौत्रवधू नैना चौटाला ने 25 सितंबर को सीकर में ही बड़ी रैली कर राजस्थान में अपनी राजनीतिक जड़ें जमाने की शुरुआत की है। दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला 1990 में दाता रामगढ़ से विधायक रह चुके हैं।
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इनेलो ने 2003 राजस्थान का विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। जेजेपी की कोशिश राजस्थान में भाजपा के साथ चुनावी गठबंधन की है। इसमें अगर दुष्यंत सफल होते हैं तो सीटों का बंटवारा भाजपा के साथ आपसी सहमति से होगा अन्यथा वे 25 से 30 सीटों पर चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रहे हैं।
भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई का दिखाई देगा असर
राजस्थान की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के परिवार का पूरा दखल है। राजस्थान के मुकाम में बिश्नोई समाज का बड़ा धाम है। भारतीय जनता पार्टी ने हिसार व भिवानी से दो बार सांसद तथा आदमपुर से चार बार विधायक रह चुके कुलदीप बिश्नोई को राजस्थान का सह चुनाव प्रभारी बनाया है। सात संसदीय क्षेत्रों की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर बिश्नोई मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं।
ऐसे में भाजपा को कुलदीप बिश्नोई और उनके पिता स्व. भजनलाल के प्रभाव वाले मतों का पूरा साथ मिलने की उम्मीद बनी हुई है। कुलदीप यहां कई दिनों से मेहनत करने में जुटे हैं। आदमपुर से उनके विधायक बेटे भव्य बिश्नोई का रिश्ता भी बीकानेर की रहने वाली आइएएस परी के साथ हुआ है।
किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला बढ़ा रहे सक्रियता
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल हालांकि राजस्थान से सीधे जुड़े नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के लिए यहां कई बार प्रचार किया है। कांग्रेस ने उनकी पुत्रवधू किरण चौधरी को राजस्थान कांग्रेस का सह चुनाव प्रभारी बनाकर जाटों को लुभाने की कोशिश की है। किरण चौधरी राजस्थान में जबरदस्त तरीके से चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला हालांकि कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश के भी प्रभारी हैं, लेकिन सुरजेवाला चूंकि राजस्थान से ही राज्यसभा में चुनकर भेजे गये हैं, इसलिए पार्टी उनके व्यक्तित्व, राजनीतिक पकड़ और जाटों व युवाओं में असर को कैश करने का कोई मौका नहीं चूकने जा रही है।
सुरजेवाला जल्दी ही राजस्थान में करीब एक दर्जन बड़ी सभाएं करने के साथ चुनावी रणनीति बनाते नजर आ सकते हैं। किरण चौधरी को प्रदेश की राजनीति में सुरजेवाला खेमे की नेता माना जाता है, जबकि उनके खेमे की कुमारी सैलजा छत्तीसगढ़ की प्रभारी हैं।
भूपेंद्र हुड्डा और मनोहर लाल की सेवाएं भी लेंगी पार्टियां
हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ भी राजस्थान में अपनी पार्टी के विधायकों व प्रमुख नेताओं की ड्यूटी लगाने में व्यस्त हैं। लगभग तैयारियां हो चुकी हैं, सिर्फ लिस्ट को अप्रूव कराना बाकी है। इसी तरह, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा की सेवाएं कांग्रेस राजस्थान में लेगी, क्योंकि हुड्डा व दीपेंद्र की प्रदेश की राजनीति में जबरदस्त पकड़ है।
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हुड्डा कांग्रेस का बड़ा किसान चेहरा हैं। हुड्डा राजस्थान में कांग्रेस को जबरदस्त फायदा दिला सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपनी सरकार के करीब आधा दर्जन मंत्रियों को राजस्थान चुनाव में प्रचार के लिए भेज सकते हैं। वे स्वयं हाल ही में मध्यप्रदेश होकर आए हैं तथा राजस्थान में भी चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे।

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