काम की खबर: आखिर क्या है 'शव सम्मान विधेयक', जिसे जन विरोध के बावजूद कैबिनेट बैठक में मिली स्वीकृति
हरियाणा में सीएम मनोहर लाल (CM Manohar Lal) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में शव सम्मान विधेयक को स्वीकृति मिल गई है। इसके बाद इसे बजट सत्र के दौरान विधानसभा में बिल के तौर पर पेश किया जा सकता है। वहीं शव सम्मान विधेयक (Haryana Dead Body Bill) को लेकर निजी अस्पतालों और जनता में तकरार बनी हुई है। तो जानते हैं कि आखिर क्या है शव सम्मान विधेयक?

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। हरियाणा में सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इस बैठक में शव सम्मान विधेयक के मामले पर भी चर्चा हुई, इसको लेकर बैठक में विधेयक को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। तो आइए जानते हैं कि आखिर शव सम्मान विधेयक क्या है और इसमें कितनी सजा का प्रावधान है।
आखिर क्या है शव सम्मान विधेयक?
हरियाणा सरकार एक ऐसा कानून बनाने वाली है, जिसके बाद लोग अपनी मांगों को मनवाने के लिए शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही निजी अस्पतालों का बिल भुगतान किए बिना परिजन मृतक के शव को नहीं ले सकेंगे। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि लोग शवों को कई दिनों तक रखकर प्रदर्शन करते हैं, जिससे शव की दुर्गति होती है। वहीं, रास्ता जाम करके लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना भी करते हैं।
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निजी अस्पतालों को बिल भुगतान किए बिना नहीं मिलेगा
कानून के प्रारंभ में जो ड्राफ्ट डाला गया था उसमें ये कहा गया कि निजी अस्पताल या संचालक किसी भी परिस्थिति में किसी मृत व्यक्ति का शव नहीं रख सकते हैं भले ही उसके पास भुगतान करने के पैसे न हों। लेकिन, निजी अस्पतालों की बैठक और दवाब के बाद इसमें बदलाव किया गया, जिसके बाद ये नियम किया गया कि मृत व्यक्ति के परिजन बिना भुगतान किए शव को अपने साथ नहीं ले सकते हैं। हालांकि, इसका समाजसेवियों ने विरोध किया उन्होंने कहा कि इससे निजी अस्पताल अपनी मनमर्जियां चलाएंगे।
शव रखकर प्रदर्शन करने पर परिजनों की उपस्थिति में होगा अंतिम संस्कार
शव रखकर प्रदर्शन करने पर प्रदर्शनकारियों से शव कब्जे में लेकर परिजनों की उपस्थिति में प्रशासन अंतिम संस्कार करवाएगा। हालांकि, परिजनों को पहले प्रशासन की तरफ से मनाया जाएगा।
शव सम्मान विधेयक के तहत सजा का प्रावधान
शव सम्मान विधेयक में ये प्रावधान लाया जा रहा है कि अगर शव रखकर कोई प्रदर्शन करता है तो सभी लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा। साथ ही दोष सिद्ध होने पर एक साल की कैद और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
राजस्थान में पहले ही बन चुका कानून
राजस्थान में शव सम्मान कानून पहले ही बन चुका है, जिसमें शव रखकर प्रदर्शन करने पर सजा का प्रावधान है। वहीं, अगर कोई नेता इस प्रदर्शन में शामिल होता है तो उसे पांच साल तक की सजा हो सकती है। जब ये कानून राजस्थान में लागू किया गया तो इसका कड़ा विरोध किया गया था।

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