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    हरियाणा में 31 मार्च तक लागू हो जाएंगे तीनों नए आपराधिक कानून, पढ़ें क्या है इन कानूनों की खासियत?

    Updated: Wed, 11 Dec 2024 07:00 AM (IST)

    Haryana News हरियाणा में 31 मार्च तक तीनों नए आपराधिक कानून पूरी तरह लागू हो जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ ...और पढ़ें

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    सीएम नायब सैनी केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात करते हुए (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में 31 मार्च तक तीनों नए आपराधिक कानून पूरी तरह लागू हो जाएंगे। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ बैठक की, जिसमें यह निर्णय लिया गया।

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    इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने हरियाणा में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेंसिक से संबंधित नए प्रविधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की।

    बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, राज्य के मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी और पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

    हर जिले में एक से अधिक फॉरेंसिक मोबाइल वैन

    शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीन नए आपराधिक कानून नागरिक अधिकारों के रक्षक और ‘न्याय की सुगमता’ का आधार बन रहे हैं। तकनीक के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि राज्य के हर जिले में एक से अधिक फॉरेंसिक मोबाइल वैन उपलब्ध होनी चाहिए।

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    जीरो एफआइआर की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी डिप्टी सुपरिंटेंड लेवल के अधिकारी की हो और प्रदेशों के हिसाब से अन्य भाषाओँ में इनका अनुवाद सुनिश्चित हो। राज्य के पुलिस महानिदेशक सभी पुलिसकर्मियों को निर्देशित करें कि समय पर न्याय दिलाना उनकी प्राथमिकता है।

    'निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत जांच सुनिश्चित करने का सुझाव'

    केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक को सभी पुलिस अधीक्षकों द्वारा निर्धारित समय सीमा के तहत मामलों की जांच सुनिश्चित करने का सुझाव दिया।

    उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री को हर 15 दिन और मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ सप्ताह में एक बार तीन नए कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए।

    एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हुए हैं।

    एक जुलाई से लागू हुए इन आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है।

    नए कानूनों में क्या है खास

    • पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया
    • राजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध
    • मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा
    • पीड़ित कहीं भी दर्ज करा सकेंगे एफआइआर, जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मिलेगी
    • राज्य को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं। पीड़ित का पक्ष सुना जाएगा
    • तकनीक के इस्तेमाल पर जोर, एफआइआर, केस डायरी, चार्जशीट, जजमेंट सभी होंगे डिजिटल
    • तलाशी और जब्ती में आडियो वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य
    • गवाहों के लिए ऑडियो वीडियो से बयान रिकॉर्ड कराने का विकल्प
    • सात साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फॉरेंसिक विशेषज्ञ द्वारा सबूत जुटाना अनिवार्य
    • छोटे मोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल (छोटी प्रक्रिया में निपटारा) का प्रविधान
    • पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत
    • भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त
    • इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकॉर्ड माने जाएंगे साक्ष्य
    • भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा

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