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    दान में मिली जमीन के मालिक होंगे पुजारी, हरियाणा सरकार ने भूमि पर दिया मालिकाना हक; पिछले साल CM ने की थी घोषणा

    By Sudhir TanwarEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Tue, 28 Nov 2023 01:26 PM (IST)

    हरियाणा में दोहलीदार (गरीब ब्राह्मणों पुजारियों और पुरोहितों) को वर्षों पहले दान में मिली जमीन का मालिकाना हक मिल गया है। अब वे इस जमीन को किसी को भी बेच सकेंगे। हरियाणा सरकार ने भूमि पर उनका मालिकाना हक दे दिया है। सीएम ने पिछले साल भगवान परशुराम महाकुंभ में दोहलीदारों को लगभग 1700 एकड़ जमीन का मालिकाना हक दिलाने की घोषणा की थी।

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    दान में मिली जमीन के मालिक होंगे पुजारी, हरियाणा सरकार ने भूमि पर दिया मालिकाना हक

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा में दोहलीदार (गरीब ब्राह्मणों, पुजारियों और पुरोहितों) को वर्षों पहले दान में मिली जमीन का मालिकाना हक मिल गया है। अब वे इस जमीन को किसी को भी बेच सकेंगे। इस संदर्भ में वित्त आयुक्त और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने सभी जिला उपायुक्तों को आदेश जारी कर दिए हैं।

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    जमीन बेचने पर नहीं होगी कोई रोक 

    इसके लिए हरियाणा दोहलीदार, बूटीमार, भोंडेदार और मुकरारीदार (मालिकाना अधिकार निहित) अधिनियम में संशोधन किया गया है। इसके तहत निजी व्यक्ति और संस्थाओं को दान में मिली जमीन बेचने पर कोई रोक नहीं रहेगी। उपायुक्तों को कहा गया है कि वे जिले के सभी पंजीकरण अधिकारियों को संबंधित दोहलीदारों द्वारा उनके पक्ष में जमीन के उत्परिवर्तन की मंजूरी के बाद बिक्री कार्यों को आगे पंजीकृत करने के लिए अच्छी तरह से जागरूक करें।

    सीएम ने की थी दोहलीदारों को 1700 एकड़ जमीन का मालिकाना हक दिलाने की घोषणा 

    मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले साल 11 दिसंबर को करनाल में आयोजित भगवान परशुराम महाकुंभ में दोहलीदारों को लगभग 1700 एकड़ जमीन का मालिकाना हक दिलाने की घोषणा की थी। अब इस घोषणा को मूर्त्त रूप पहनाया गया है।

    कांग्रेस ने फैसले का किया जमकर विरोध

    प्रदेश सरकार ने करीब चार साल पहले 2018 में मंत्रिमंडल की बैठक में दोहलीदारों, बूटीमारों, भोंडेदार व मुकरारीदार को दान में मिली जमीन के मालिकाना हक को अनुचित ठहराते हुए नियम बनाया था कि इस जमीन की खरीद-फरोख्त दोहलीदार नहीं कर सकते। ऐसी जमीन पर सिर्फ काश्तकारी हो सकती है। हालांकि विधानसभा में जब संशोधन विधेयक लाया गया तो कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध किया था।

    ब्राह्मण समाज के लोगों ने सरकार पर बनाया दबाव

    ब्राह्मण समाज के लोग पिछले काफी समय से सरकार पर दबाव बना रहे थे कि दोहलीदारों को जमीन का मालिकाना हक दिलाया जाए। इसके लिए राज्य स्तरीय संघर्ष समिति का गठन भी किया जा चुका है। बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार ने दोहलीदारों को जमीन का मालिकाना हक देने का निर्णय ले लिया।

    सीएम मनोहर का जताया आभार 

    भगवान परशुराम महाकुंभ आयोजन समिति के संरक्षक सुनील शर्मा डूडीवाला, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ उप महाधिवक्ता राहुल मोहन व आयोजन समिति के सदस्य शीशपाल राणा ने घोषणा पूरी करने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार जताया है।

    उन्होंने बताया कि भगवान परशुराम जयंती के अवसर पर राजपत्रित अवकाश, कैथल में मेडिकल कालेज का नाम भगवान श्री परशुराम के नाम पर रखने, पहरावर की जमीन गौड़ ब्राह्मण कालेज को देने और भगवान परशुराम के नाम पर डाक टिकट जारी करने, 1700 एकड़ जमीन दोहलीदारों को देने की मुख्यमंत्री घोषणाएं पूरी हो चुकी हैं।

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    क्या होती है दोहलीदार जमीन? 

    पुराने समय गरीब ब्राह्मणों, पुजारियों और पुरोहितों को फसल बोने के लिए जमीन दान में दे दी जाती थी। यह जमीन पंचायती होती थी, जिस पर उनका मालिकाना हक तो नहीं होता था, लेकिन वह फसल बोकर प्राप्त होने वाली आमदनी को अपने ऊपर खर्च करने का अधिकार रखते थे। इसी श्रेणी के लोगों को दोहलीदार कहा जाता है।

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