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    एसवाइएल पर कैप्टन हुए नरम, कोर्ट से बाहर समझौते के पक्ष में नहीं मनोहर

    By Ankit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 06 Jul 2017 03:26 AM (IST)

    पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एसवाइएल विवाद बातचीत के जरिये सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील की है। वहीं हरियाणा सरकार का रूख इसके विपरित है।

    एसवाइएल पर कैप्टन हुए नरम, कोर्ट से बाहर समझौते के पक्ष में नहीं मनोहर

    जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा और पंजाब के बीच बरसों से विवाद का कारण बने एसवाइएल नहर के निर्माण पर कैप्टन अमरिंदर सिंह का रुख नरम पड़ रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल कोर्ट के बाहर इस मसले का समाधान करने के हक में कतई नहीं हैं।

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    मनोहर लाल के रूख की बड़ी वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला सुनाया है। यदि हरियाणा कोर्ट के बाहर कोई समझौता करता है तो उसे पंजाब की शर्तें अथवा कम पानी लेने का अनुरोध मानने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। ऐसे में उसकी अपने हिस्से के सारे पानी की दावेदारी भी कमजोर पड़ जाएगी।

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    करीब डेढ़ माह पहले चंडीगढ़ में हुई उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में एसवाइएल के मसले पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के सामने भिड़ चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला हक में आने के बाद हरियाणा अपने हिस्से का पानी लेकर रहने की जिद पर अड़ा हुआ है और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने यहां पानी की कमी के आधार पर इस फैसले को हुबहू मानने के मूड में नहीं हैं।

    सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को केस की सुनवाई है। इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से दोनों राज्यों के बीच हस्तक्षेप करते हुए न केवल कोर्ट के बाहर समझौता कराने का आग्रह किया, बल्कि यह संकेत भी दे दिया कि पंजाब के सामने पुराने समझौते पर अडिग नहीं रह पाने की तकनीकी मजबूरी है, क्योंकि तब और अब के पानी की उपलब्धता में जमीन-आसमान का अंतर आ गया।

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    दरअसल, यह पंजाब का कूटनीतिक पैंतरा भी है। पंजाब के पास पाने को कुछ भी नहीं है और खोने को सब कुछ है। केंद्र सरकार को यदि दोनों राज्यों के बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराना पड़ता है तो इसमें फायदा हरियाणा का ही होगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में पंजाब को समझौते के अनुरूप सारा पानी हरियाणा को देना पड़ सकता है। ऐसे में पंजाब चाह रहा कि राजनाथ सिंह के हस्तक्षेप से कुछ कम पानी पर बात बन जाए।

    बातचीत के रास्ते खुले पर अपना हक लेकर रहेंगे

    मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मानें तो हरियाणा अपने हिस्से से कम पर मानने को कतई तैयार नहीं है। उनका कहना है कि हरियाणा के हक में फैसला आया है और वह अपने हिस्से का पनी लेकर रहेगा। हालांकि बातचीत के रास्ते खुले हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू किया जाना चाहिए।

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