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    गुजरात अधिवेशन के बाद हरियाणा कांग्रेस के दिन फिरने की आस, नेताओं को एकजुट रखना चुनौती; विधायक भी बन रहे संकट

    Updated: Wed, 09 Apr 2025 12:09 PM (IST)

    गुजरात अधिवेशन के बाद हरियाणा कांग्रेस को संगठनात्मक मजबूती की उम्मीद है। पार्टी अभी विधायक दल के नेता के बिना काम कर रही है जिससे सत्ता पक्ष के निशाने पर है। हाईकमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता नहीं बनाना चाहता पर उनके कद को नजरअंदाज करना मुश्किल है। संगठन खड़ा करने के बाद ही नेतृत्व तय होगा। विधायकों की गतिविधियां भी पार्टी के लिए चुनौती बन रही हैं।

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    कांग्रेस अधिवेशन में जाते कार्यकारी प्रधान जितेंद्र भारद्वाज, दीपेंद्र हुड्डा, जयप्रकाश जेपी, वरुण मुलाना और सांसद सतपाल ब्रह्मचारी (फोटो- जागरण)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। गुजरात के अहमदाबाद में हो रहे राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद हरियाणा में कांग्रेस (Haryana Congress) के अच्छे दिनों की शुरुआत संभव है। आपसी गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस को उम्मीद है कि गुजरात अधिवेशन के बाद हरियाणा के कांग्रेस विधायक दल के नेता का नाम घोषित किया जा सकता है।

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    हालांकि दो बार चंडीगढ़ प्रवास पर आए हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि विधायक दल का नेता घोषित करना कांग्रेस हाईकमान की प्राथमिकता में नहीं है। कांग्रेस हाईकमान पहले राज्य में 11 साल से लंबित संगठन खड़ा करना चाहता है, उसके बाद विधायक दल के नेता के नाम पर विचार होगा।

    कांग्रेस हाईकमान तक की गई लॉबिंग

    कांग्रेस प्रभारी की इस स्पष्टता के बाद राज्य के नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल तक लॉबिंग की। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को यह समझाने की कोशिश की गई कि आखिर विधायक दल के नेता का नाम घोषित करना क्यों जरूरी है। विधानसभा में दो बार कांग्रेस बिना विधायक दल के नेता के कार्यवाही में शामिल हो चुकी है और दोनों बार उसे सत्ता पक्ष के निशानों का सामना करना पड़ा है।

    हुड्डा को विधायक दल का नेता क्या नहीं बना रहा हाईकमान?

    कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी के चलते हाईकमान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता नहीं बनाना चाहता, लेकिन इस सच्चाई से भी मुंह नहीं मोड़ रहा कि हरियाणा में कांग्रेस के पास हुड्डा से बड़े कद का कोई दूसरा नेता नहीं है।

    हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान को पहले ही राजनीतिक जीवन दान मिल चुका है। पार्टी प्रभारी व सह प्रभारी का मानना है कि जिला व राज्य स्तर पर संगठन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष पर कोई फैसला होगा, तब तक चौधरी उदयभान कार्य देखते रहेंगे।

    ऐसे में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा संकट यही खड़ा हो रहा कि वह बिना संगठन और बिना विधायक दल के नेता के गुटबाजी में फंसे कार्यकर्ताओं को किस तरह से सड़कों पर उतारकर आंदोलन खड़ा कर सके।

    कांग्रेस के विधायक भी बन रहे हैं संकट

    कांग्रेस के लिए उसके विधायक भी लगातार संकट बनते जा रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस के दो विधायकों गोकुल सेतिया व शैली चौधरी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की तारीफों के पुल बांधते हुए उनके साथ राजनीतिक मंच साझा किए थे।

    अब फिर सिरसा के कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया अपने विधानसभा क्षेत्र के कई सरपंचों के साथ मुख्यमंत्री के निवास पर उनके डाइनिंग टेबल पर बैठकर दाल-रोटी खाते नजर आए हैं। स्वयं भाजपा ने उनकी खाना खाते हुए वीडियो वायरल की है। इस वीडियो में गोकुल सेतिया मुख्यमंत्री के इस आतिथ्य सत्कार की सराहना कर रहे हैं।

    नेताओं को एकजुट रखना कांग्रेस के लिए चुनौती

    कांग्रेस के इस अधिवेशन के बाद पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि किस तरह से वह सत्ता पक्ष के हमलों से बचते हुए अपने विधायकों व नेताओं को एकजुट रखें।

    कांग्रेस के अधिवेशन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान व कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज के साथ चार सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, जयप्रकाश जेपी, वरुण मुलाना और सतपाल ब्रह्मचारी गुजरात पहुंचे हैं।

    हुड्डा विरोधी खेमे की ओर से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा व राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला भी गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे हैं।

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