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    हरियाणा में भी किसान कर्जमाफी बड़ा मुद्दा, हर साल 10 हजार करोड़ के फसली ऋण

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Wed, 14 Jun 2017 11:25 AM (IST)

    हरियाणा में भी किसानों की कर्ज माफी बड़ा मुद्दा बन रही है। विपक्षी दल कांग्रेस और इनेलो इसपर आंदोलन छेड़ने की तैयारी में जुटे हैं।

    हरियाणा में भी किसान कर्जमाफी बड़ा मुद्दा, हर साल 10 हजार करोड़ के फसली ऋण

    चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में भी किसानों की कर्जमाफी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। फसलों के उचित दाम से लेकर कर्ज माफी के मुद्दे तक सभी विपक्षी दल किसानों के साथ खड़े हो गए। प्रदेश में 16.5 लाख किसान हैैं, जिनमें 15 लाख  ऐसे हैैं, जो सहकारी बैैंकों के साथ-साथ प्राइवेट बैैंकों और निजी साहूकारों के कर्जदार हैैं। राज्‍य में किसान हर साल 10 हजार करोड़ के फसली कर्ज लेते हैं।

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    केंद्र के रुख से कर्जमाफी का बढ़ेगा हरियाणा सरकार पर दबाव

    कर्ज में डूबे किसानों की स्थिति इस कदर खराब हो रही कि अब बैंकों ने उनके पोस्टर तक लगाने शुरू कर दिए। पिछले सालों में राज्य में 50 से अधिक किसान अकाल मौत का शिकार हुए। हालांकि सरकार के रिकॉर्ड में ऐसा कोई आंकड़ा दर्ज नहीं है, लेकिन भाकियू का दावा है कि फसलों के कम दाम और कर्ज की मजबूरी में इन किसानों की जान गई।

    16.5 लाख किसानों में से 15 लाख कर्ज के बोझ में डूबे, 50 से अधिक किसान खो चुके जिंदगी

    मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों पर हुई गोलीबारी के बाद केंद्र सरकार ने कर्ज माफी का निर्णय राज्यों पर छोड़ दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही किसानों का कर्ज माफ कर चुकी, जबकि मध्यप्रदेश में भी माफ कर दिया गया। ऐसे में हरियाणा सरकार पर कर्जमाफी का दबाव बढ़ता जा रहा है।

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    हरियाणा में कांग्रेस और इनेलो एक - दूसरे के कट्टर विरोधी हैं, लेकिन किसानों के मुद्दे पर दोनों दल एकजुट हैैं। पिछली कांग्रेस सरकार किसानों का 27 हजार करोड़ का कर्ज माफ कर चुकी, लेकिन इस कर्जमाफी के बावजूद किसान फिर 36 हजार करोड़ के कर्जदार हो गए। किसानों के हक में भाकियू के अलावा हुड्डा और चौटाला ने अपने-अपने ढंग से लड़ाई शुरू कर दी है। भविष्य में किसान आंदोलन के बढऩे के आसार हैं।

      इस तरह समझिए किसानों के कर्ज का गणित

    - हरियाणा में किसान - 16.5 लाख
    - कर्जदार - 15 लाख
    - बैैंक व आढ़तियों के कर्जदार - नौ लाख
    - कर्ज बढऩे का प्रतिशत - नौ साल में 400 फीसद
    - बैैंकों के पास गिरवी जमीन - 75 फीसद
    - सहकारी बैैंकों के कर्जदार किसान - 13 लाख
    - सहकारी बैैंकों का कर्ज - चार हजार करोड़ से ज्यादा
    - सहकारी बैैंकों के डिफाल्टर - 6.50 लाख
    - बड़े डिफाल्टर - 550 (10 लाख से ज्यादा के बकायादार)
    - बड़े डिफाल्टरों का कर्ज - 350 करोड़
    - मौत को गले लगाने वाले किसान - 50 से अधिक।

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    हरियाणा के सहकारी बैंकों में 31.25 लाख सदस्य, 13 लाख लेते हैं फसली ऋण

    हरियाणा में किसान हर साल करीब 10 हजार करोड़ का कर्ज लेते हैैं। कुछ किसान इसे उतार पाते हैैं तो कुछ नहीं। लिहाजा कर्ज की राशि लगातार बढ़ती चली जा रही है। राज्‍य के सहकारी बैैंकों में 31.25 लाख सदस्य हैं। 13 लाख सक्रिय सदस्य फसली कार्यों के लिए लोन लेते हैैं। बैंक हर साल करीब 10 हजार करोड़ रुपये के फसली कर्जे उपलब्ध कराते हैं।

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    नाबार्ड 50 फीसद तक यानी पांच हजार करोड़ रुपये की राशि चार फीसद ब्याज दर पर उपलब्ध कराता है। बाकी पांच हजार करोड़ रुपये इन बैंकों को 6.5 फीसद की ब्याज दर पर बाजार से लेने पड़ते हैं। किसानों को फसली ऋण सात फीसद ब्याज दर पर दिया जाता है, लेकिन सरकार की घोषणा के मुताबिक टाइम पर लोन चुकाने वाले किसानों का ब्याज माफ कर दिया जाता है।

    तीन वर्षों से घट रहा कर्ज की रिकवरी में गिरावट

    सहकारी बैैंकों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले फसली कर्जों की रिकवरी में पिछले 3 साल से ही गिरावट चल रही है। वर्ष 2015 में 55.35 फीसद लोन रिकवर हुआ था। वर्ष 2016 में घटकर 54.15 फीसद रिकवरी रह गई और इस साल फरवरी 2017 में यह 47.39 फीसद तक ही पहुंच पाई है। 28 फरवरी 2017 तक 8837.16 करोड़ रुपये की रिकवरी होनी चाहिए थी, लेकिन 4188.52 करोड़ रुपये की ही रिकवरी हुई।


    किसान नहीं चौधर की भूख कांग्रेसियों का एजेंडा : भाजपा

    हरियाणा भाजपा की मीडिया विंग के प्रधान राजीव जैन ने कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि गुटों में बंटे कांग्रेसियों का एजेंडा किसान हित नहीं बल्कि उनकी अपनी चौधर की भूख है। अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए कांग्रेस नेता किसानों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का काम कर रहे हैैं।

    राजीव जैन ने कहा कि कांग्रेस नेता जाट आंदोलन के बाद अब एक बार फिर से प्रदेश के अमन-चैन को खराब करने की कोशिश में जुटे हैैं। कांग्रेस का मकसद किसानों की आड़ में अपनी राजनीति चमकाने का है। कांग्रेस फिलहाल हुड्डा, तंवर, सुरजेवाला, किरण, कुलदीप और कैप्टन गुटों में बंटी हुई है। उन्हें किसानों से कोई लेना देना नहीं बल्कि वे एक दूसरे को नीचा दिखाते हुए कांग्रेस हाईकमान की नजर में ऊपर उठने की लड़ाई लड़ रहे हैैं। कांग्रेसियों को घडिय़ाली आंसू बहाने से बाज आना चाहिए।