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    बुरे फंसे अनिल विज, अपनी ही सरकार पर सवाल उठाना पड़ा महंगा; खतरे में पड़ सकता है मंत्रिपद

    हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज (Anil Vij) को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली (Mohan Lal Badoli) के कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाना भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है। मोहन लाल बडौली ने अनिल विज को इसके लिए कारण बताओ नोटिस भेजा है और तीन दिन में लिखित जवाब मांगा है।

    By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 11 Feb 2025 01:25 PM (IST)
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    अनुशासनहीनता पर अनिल विज को नोटिस जारी। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। अंबाला छावनी से सातवीं बार विधायक चुने गए हरियाणा के सबसे वरिष्ठ मंत्री अनिल विज को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना भारी पड़ गया।

    भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देशों का हवाला देते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने अनिल विज के बयानों को पार्टी की नीतियों के विपरीत तथा अनुशासनहीनता करार दिया है।

    बडौली ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

    मोहन लाल बडौली ने विज को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तीन दिन में लिखित जवाब मांगा है। विज ने मुख्यमंत्री के उड़नखटोले पर सवार होने तथा नीचे उतरकर जनता की सुनवाई करने का बयान देने के साथ ही कसौली दुष्कर्म कांड के बाद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली से इस्तीफा मांगा था।

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    क्या खतरे में है विज का मंत्री पद?

    राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी यदि विज के जवाब से संतुष्ट नहीं होती तो उनके मंत्रिपद पर खतरा हो सकता है। दिल्ली की जीत के बाद पार्टी ने अनिल विज को नोटिस देकर सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं में अनुशासन का कड़ा संदेश दिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह के मंत्रिमंडल में अनिल विज बिजली, परिवहन और श्रम मंत्री हैं। मंत्रियों के पोर्टफोलियो में उनका नंबर मुख्यमंत्री के बाद दूसरा है।

    पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में भी अनिल विज दूसरे नंबर के सबसे वरिष्ठ मंत्री थे। मनोहर लाल के साथ उनकी कई साल तक खटपट रही। अनिल विज पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली के विरुद्ध ऐसे समय में बयानबाजी की, जब दिल्ली विधानसभा के चुनाव चल रहे थे।

    विज ने लगातार पांच दिनों तक अलग-अलग बयानबाजी करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की थी। विज की नाराजगी दूर करने के लिए हरियाणा भाजपा के प्रभारी डॉ. सतीश पुनिया को चंडीगढ़ पहुंचना पड़ा था।

    विज की नाराजगी दूर करने को डीसी को बदला था

    अनिल विज ने हरियाणा विस चुनाव में पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा सहयोग नहीं करने की बात रखी थी। ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। विज का बयान आने के बाद अंबाला भाजपा के कोषाध्यक्ष आशीष तायल को पदमुक्त किया गया है। साथ ही डीसी पार्थ गुप्ता को अंबाला से हटा दिया गया है।

    अपनी सरकार के विरुद्ध लगातार 5 दिन रहे हमलावर

    30 जनवरी: इस दिन विज का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो कह रहे थे कि वे ग्रीवेंसेज कमेटी की बैठक में नहीं जाएंगे, क्योंकि उनके आदेश की पालना नहीं होती है। अफसरों ने तो छोटे-छोट काम अटका दिए हैं। अंबाला के लिए उन्हें डल्लेवाल की तरह अनशन तक करना पड़ा तो वो करेंगे।

    31 जनवरी: इसके अगले ही दिन विज का एक और वीडियो वायरल हुआ। दूसरे वीडियो में विज ने कहा कि सीएम बनने के बाद सैनी उड़नखटोले पर हैं, नीचे उतरें तो जनता के दुख दर्द को देखें। इसके बाद ही अंबाला के डीसी को बदला गया।

    1 फरवरी: अपनी सरकार पर हमला करने से विज यहीं नहीं रुके। फिर से एक बार बयान दिया। फिल्म पुष्पा का साइन भी शो ऑफ किया। इसके साथ संकेत दिए कि किसी भी कीमत पर झुकेंगे नहीं। विज ने यहां तक कहा कि जो कुछ भी मैं बोलता हूं, वह मेरी आत्मा बोलता है।

    2 फरवरी: रोहतक व गोहाना में तीखे तेवर दिखाए। कहा कि मंत्री किसी को कुछ देकर नहीं बना। जब चाहे हटा सकते हैं। विधायक जनता ने बनाया है, वो कोई नहीं छीन सकता। बडौली पर भी हमलावर रहे।

    3 फरवरी: मैं इस्तीफा देने के लिए नहीं बना हूं, मैं इस्तीफा दिलवाने के लिए बना हूं। आवाज उठाऊंगा और आवाज लगातार उठा रहा हूं, क्योंकि चुप रहना भी अपराध है। मैं चुप तो नहीं बैठा और ना ही चुप बैठूंगा क्योंकि जनता का मैंडेट काम करने के लिए है।

    ये लिखा है नोटिस में...

    अनिल विज जी, सूचित किया जाता है कि आपने हाल ही में पार्टी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान दिए हैं। यह गंभीर आरोप हैं और पार्टी की नीतियों तथा आंतरिक अनुशासन के खिलाफ है। आपका यह कदम ना केवल पार्टी की विचारधारा के खिलाफ है, बल्कि यह उस समय पर हुआ है, जब पार्टी पड़ोसी राज्य में चुनाव के लिए अभियान चला रही थी।

    चुनावी समय में एक सम्मानित मंत्री पद वहन करते हुए इस प्रकार की बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा, यह जानते हुए आपने ऐसे बयान दिए, जो कि पूरी तरह अस्वीकार्य हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश अनुसार आपको यह कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। आपसे अपेक्षा की जाती है कि तीन दिनों के भीतर आप इस विषय पर लिखित स्पष्टीकरण दें।

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