एसएलसी के बगैर सरकारी स्कूलों में अस्थायी रूप से मिलेगा दाखिला, बाद में करना होगा जमा
हरियाणा में सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलोंं के विद्यार्थियों का नामांकन अस्थयायी होगा। उनको बाद में निजी स्कूलों का एसएलसी जमा कराना होगा।
चंडीगढ़, जेएनएन। सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने के इच्छुक निजी स्कूलों के छात्र लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) के बगैर अस्थायी रूप से दाखिला ले सकते हैं। निजी स्कूलों द्वारा एसएलसी जारी होने के बाद ही उनका दाखिला स्थायी माना जाएगा। शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने निजी स्कूल संचालकों के विरोध के बाद उनको यह राहत दी है। एसएलसी की अनिवार्यता खत्म पर निजी स्कूलों को होने वाली दिक्कतें गिनाई थीं। इसके बाद शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया तथा देर शाम को इस बारे में आदेश जारी किया।
एसएलसी का विरोध कर रहे निजी स्कूलों को सरकार ने दी राहत
निजी स्कूल संचालकों का कहना था कि एसएलसी की अनिवार्यता खत्म किए जाने से ग्रामीण इलाकों के निजी स्कूल प्रभावित हो रहे हैं। गांवों के स्कूल संचालकों के अभिभावकों पर फीस समेत कई ड्यूज बकाया हैं। ऐसे में बिना एसएलसी के सरकारी स्कूलों में दाखिले से उन्हेंं काफी नुकसान हो रहा है। सर्व हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ व हरियाणा प्राइवेट स्कूल एवं चिल्ड्रन वेलफेयर ट्रस्ट ने शिक्षा मंत्री के समक्ष यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था।
सर्व हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सेठी और हरियाणा प्राइवेट स्कूल एवं चिल्ड्रन वेलफेयर ट्रस्ट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. विजय खेड़ा ने इस दौरान निजी स्कूलों को मान्यता लेने में नियमों में जटिलताओं का मामला भी उठाया।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस मामले में गठित कमेटी बहुत तेजी से काम कर रही है। एसएससी मामले में ट्रस्ट ने हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की हुई है जिसकी सुनवाई सोमवार को होगी। ऐसे ही एक मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट निर्णय सुना चुका है कि बिना बकाया फीस भुगतान किए किसी भी निजी संस्था से एसएलसी नहीं ली जा सकती। अब सरकार के निर्णय के बाद निजी स्कूल संचालकों ने राहत की सांस ली है।
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