Nuh Riots: रातभर सोए नहीं मंदिर-कॉलोनी में फंसे लोग, सुरक्षा बल के आने पर ली सांस; बताई डरावने मंजर की कहानी
नूंह जिला में कई ऐसे परिवार के जिनके घर के सदस्य नल्हड़ स्थित शिव मंदिर में फंसे उन तीन हजार लोगों में शामिल थे जो चारों ओर से उपद्रवियों से घिरे थे। वह मंदिर परिसर तथा अरावली पहाड़ी के पत्थरों की पीछे बैठे और परिसर को चारों ओर से घेरे उपद्रवी पत्थर चला रहे थे। बीच-बीच में अवैध हथियारों से गोली भी चलाई जा रही थी।

नूंह, जागरण संवाददाता। नूंह जिला में कई ऐसे परिवार के जिनके घर के सदस्य नल्हड़ स्थित शिव मंदिर में फंसे उन तीन हजार लोगों में शामिल थे जो चारों ओर से उपद्रवियों से घिरे थे। वह मंदिर परिसर तथा अरावली पहाड़ी के पत्थरों की पीछे बैठे और परिसर को चारों ओर से घेरे उपद्रवी पत्थर चला रहे थे।
बीच-बीच में अवैध हथियारों से गोली भी चलाई जा रही थी। मंदिर में क्या स्थित है लोग अपने घर वालों को मोबाइल के जरिए बता रहे थे। कई ऐसे लोग थे जिनके घर एक बहुसंख्यक वर्ग के लोगों के घरों के पास थे। घरों के पास अराजक तत्व प्रदर्शन भी कर गए थे।
'हालात घर से बाहर निकलने लायक नहीं थे'
ऐसे में इन लोगों की उम्मीद अर्ध सैनिक बल आने पर ही टिकी हुई थी। पुन्हाना में रहने वाली अनुराधा ने दैनिक जागरण को बताया कि उनके पति सोनू मंदिर में फंसे थे। वह सुबह घर पहुंचे। इंतजार में न बच्चे सोए न वह सो पाई। चिंता के आगे नींद गायब थी। हालात ऐसे नहीं थे की पड़ोस में भी जा सकूं। गली का माहौल ठीक नहीं थी।
जब हूटर बजे तो जगी उम्मीद
बस यही उम्मीद थी कि पति किसी तरह से घर आ जाए। सुबह पांच बजे जब वर्दी में कई लोगों को देखा और हूटर बजने लगे तो यह उम्मीद तो जगी कि अब वह और बच्चे सुरक्षित हैं। एक घंटे बाद सोनू भी आ गए।
पूरा परिवार नहीं सो पाया
यही हाल नूंह की सैनी कॉलोनी में रहने वाले कई परिवारों का था। रमेश ने बताया कि पूरी रात उनका परिवार सुरक्षा की चिंता में सो नहीं पाया। बस यही मनाते रहे कि किसी तरह से अतिरिक्त पुलिस बल आए जाए। सूचना मिल रही थी कि जिला में कई जगह उपद्रव हो रहा है।
लूटपाट करते दिखे उपद्रवी
पुलिस कर्मियों पर हमले किए जा रहे इससे चिंता और बढ़ रही थी। बड़कली चौक के पास रहने वाले सुनील ने उग्र भीड़ द्वारा लूटपाट करने का मंजर अपनी आखों से देखा था। वह भी यही मना रहे थे कि सुरक्षा बल जल्दी से आ जाए ताकि उनके घर सुरक्षित रहे क्यों कि उग्र भीड़ में शामिल लोग धर्म विशेष के लोगों को ही निशाना बना रहे थे।
बड़कली चौक के पास दुकान चलाने वाले सुरेश की दुकान तो दिन में सुरक्षित थी लेकिन उन्हें डर था कि कहीं रात में तोड़फोड़ नहीं हो जाए। इसी भय में वह रात में नहीं सो सके। घर से निकल दुकान को देख लेते और फिर अंदर आकर बैठ जाते थे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।