महेंद्रगढ़ में आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक, नगर पालिका की निष्क्रियता भारी, रोजाना लोग हो रहे शिकार
महेंद्रगढ़ शहर में आवारा कुत्तों और बंदरों के आतंक से लोग परेशान हैं। बुजुर्गों और स्कूली बच्चों पर हमले हो रहे हैं जिससे बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत हो रही है। नगरपालिका की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। रोजाना कई लोग कुत्तों और बंदरों के काटने के मामले लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं लेकिन नगर पालिका द्वारा कोई योजना नहीं बनाई गई है।
मोहनलाल अग्रवाल, महेंद्रगढ़। महेंद्रगढ़ शहर में लोग आवारा कुत्तों व बंदरों के आंतक से परेशान हैं, वहीं ये वृद्ध व्यक्तियों व स्कूली बच्चों पर हमला कर देते है। इससे बच्चों को स्कूल जाने में परेशानियां आ रही है लेकिन नपा केवल आश्वासन देने के अलावा कुछ नहीं है। लोगों को टीकाकरण के लिए स्वयं ही अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे है।
कोई योजना तैयार नहीं की
बता दें कि शहर में रोजाना छह से सात लोग कुत्ते व बंदर के काटने पर नागरिक अस्पताल में पहुंच रहे हैं। इसके अलावा महीनेभर में लगभग 140 से 150 मरीज कुत्ते व बंदरों के काटने के आ रहे हैं, लेकिन नगर पालिका द्वारा शहर में आवारा कुत्तों व बंदरों को पकड़ने की कोई योजना तैयार नहीं की गई है। नगर पालिका में रोजाना लोग बंदर व कुत्तों को पकड़ने की शिकायत लेकर जा रहे हैं।
यह भी पढ़ें- आवारा कुत्ते के काटने के 25 दिन बाद सात वर्षीय बच्ची की मौत, एंटी रेबीज इंजेक्शन के तीसरे डोज से पहले बिगड़ी तबीयत
कोई योजना तैयार नहीं की
इसके बावजूद भी नगर पालिका द्वारा कोई योजना तैयार नहीं की गई है। शहर में बंदरों व आवारा कुत्तों का सबसे ज्यादा आतंक करेलिया बाजार, माता मसानी, मौहल्ला सैनीपुरा, नीमड़ी नीचे, मौहल्ला खटीकान, कोकाबंगड़ी, नहर कॉलोनी, रेलवे रोड, चौक सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुत्तों व बंदरों का उत्पात है। आवारा कुत्तों से परेशान होकर शहर के लोग कई बार नगर पालिका के अधिकारियों से भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई योजना तैयार नहीं की गई है।
हर गली-चौराहे में लगा झुंड
बता दें कि महेंद्रगढ़ शहर में अब कोई ऐसा कोई मौहल्ला या गली नहीं है जहां पर जहां आवारा कुत्ते न हो। शहर के सड़कों से लेकर छोटे से छोटे गली मोहल्ले में इनका आतंक चल रहा है। हर दिन हर मोहल्ले-गली में किसी न किसी को काटकर कुत्ते घायल कर रहे हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार नगरपालिका इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रही है। इसकी वजह से कुत्तों के काटने के मामले बढ़ने के साथ ही इनकी संख्या में तेज गति से बढ़ते ही जा रही है।
कुत्ते शहर में झुंड बनाकर घूमते रहते हैं। प्रतिदिन कुत्तों के काटने के औसतन लगभग पांच लोग घायल हो रहे है। पिछले तीन माह के दौरान लगभग 460 लोगों को कुत्तों ने काट खाया है। लोगों का कहना है कि सायं के समय घरों के बाहर बच्चे भी सुरक्षित नहीं है। वहीं दुपहिया वाहन के पीछे कुत्ते भाग पड़ते हैं जिससे वाहन चालक का संतुलन बिगड़ जाता है और वे घायल हो जाते हैं।
जहां-तहां फेंक फेंका
रात के समय शहर की गली मोहल्लों में आवारा कुत्तों का झुंड देखा जा सकता है। कई चौक-चौराहें में कुत्तों का झुंड आक्रामक होता है । यह हाल शहर व ग्रामीण अंचल दोनों जगहों में है। लगातार बढ़ रहे कुत्तों के हमले को लेकर लोगों का यह कहना है कि मांस मटन की दुकानें इसका बड़ा कारण है। इन दुकानों के संचालकों द्वारा दुकान से निकले अपशिष्ट को जहां-तहां फेंक दिया जाता है।
अपशिष्ट को लेकर कुत्तों में लड़ाईयां होती रहती हैं और यह आक्रामक रवैया अपनाने लगते है और धीरे-धीरे इनका आक्रामक रवैया लोगों के विरुद्ध भी देखने को मिलता है और परिणाम स्वरूप डाग बाइट के मामले बढ़ते ही जा रहे है। यदि जल्द ही इनके नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो भारी समस्या पैँदा हो सकती है। अब इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने के बाद अब आशा जगी है कि इन आवारा कुत्तों से लोगों को राहत मिल जाएगी।
ठोस कार्रवाई की जाएगी
मामला उसके संज्ञान में आया है। कुत्तों का बंधियाकरण करने को लेकर जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी।
-रमेश सैनी, नगरपालिका प्रधान
यह भी पढ़ें- दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाया जाए या नहीं? सर्वे में 71 प्रतिशत लोगों ने रखी ये राय
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।