5 दिन से रखा शव... अंतिम संस्कार पर हो रही राजनीति, पिता की एक ही गुहार; कलेजे के टुकड़े को कब मिलेगा न्याय?
हरियाणा के मंहेद्रगढ़ में एक युवक का शव पिछले पांच दिनों से रखा है लेकिन अभी तक अंतिम संस्कार नहीं किया गया। युवक के अंतिम संस्कार को लेकर राजनीति हो रही है। उधर पीड़ित पिता अपने बेटे के लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं। अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जा सकता है। आगे विस्तार से पढ़िए पूरा मामला क्या है।

संवाद सहयोगी, कनीना (महेंद्रगढ़)। हरियाणा में महेंद्रगढ़ के बाघोत गांव के मोहित कुमार का शव पिछले पांच दिन से अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहा है। पुलिस-प्रशासन समाधान निकालने में नाकाम साबित हो रहा है। जिले के राजनेता भी सिर्फ बयानबाजी तक सीमित है। किसी भी नेता ने मोहित को मुक्ति दिलाने के लिए उसके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कराने के कोई प्रयास नहीं किए हैं, सभी लोग सिर्फ राजनीति कर रहे हैं।
मृतक के पिता ने पुलिस-प्रशासन को मामला दर्ज कराने के लिए 12 दिन का समय दिया है। इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। उन्होंने पुलिस के साथ प्रदेश सरकार के प्रति भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हर स्तर पर न्याय के लिए गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
मामला दर्ज करने के दिए थे निर्देश
मुख्य सचिव ने पूर्व मंत्री के विरुद्ध मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। बिना जांच किए ही मामले को रफा-दफा कर दिया गया। प्रदेश सरकार से अब न्याय की उम्मीद नहीं है, इसलिए 12 दिन बाद वह सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर गुहार लगाएंगे।
फांसी लगाकर कर ली थी आत्महत्या
बता दें कि बाघोत गांव के मोहित ने पांच दिन पहले फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। मोहित के पिता कैलाश पुजारी का आरोप है कि पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा और उनके परिजन बेटे का शोषण कर रहे थे। दबाव में आकर वह आत्महत्या करने को मजबूर हुआ। पूर्व मंत्री समेत आठ के विरुद्ध मामला दर्ज कराने के लिए तहरीर दी गई थी।
पुलिस ने यह कहते हुए मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया कि पूर्व मंत्री के विरुद्ध कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। बिना साक्ष्यों के मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। जिले के भाजपा नेता भी पूर्व मंत्री के समर्थन में खड़े हो गए हैं। मामला दर्ज न होने पर मृतक के माता-पिता ने शव को अग्नि देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मामला दर्ज होने तक वह अस्पताल से शव को नहीं उठाएंगे।
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पुलिस कर सकती है मामला दर्ज
अधिवक्ता रमेश कुमार, धर्मेंद्र, पंकज कुमार व राजेश कुमार का कहना है कि पुलिस के पास कोई भी व्यक्ति एफआईआर दर्ज करवा सकता है। प्राथमिक सूचना पर प्राथमिकी दर्ज करना पुलिस का कार्य है। एफआइआर के बाद जांच के लिए 90 दिन का समय दिया जाता है। अगर कोई निर्दोष है तो उसका नाम एफआइआर से निकाला जा सकता है।
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पीड़ित परिवार के पास कोई वीडियो, रिकार्डिंग अथवा अन्य साक्ष्य हो तो वह पेश करें। पुलिस कार्रवाई करेगी। ठोस साक्ष्य मिलने के बाद ही पुलिस मामला दर्ज करेगी। -दिनेश कुमार, डीएसपी, कनीना
यह गंभीर विषय है। युवक का अंतिम संस्कार हर हाल में हो जाना चाहिए। पुलिस अधिकारियों से बात की गई है। पुलिस अधिकारी पीड़ित परिवार के संपर्क में हैं और उम्मीद है कि जल्द ही इस विवाद का समाधान होगा। -डा. विवेक भारती, उपायुक्त
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