जन स्वास्थ्य विभाग का बड़ा फैसला: बजट के अभाव में जल गुणवत्ता जांच बंद, NGOs की बंद हो गई कमाई
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने फंड की कमी के कारण पानी की गुणवत्ता जांच (ओटी टेस्ट) योजना बंद कर दी है। यह योजना स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ...और पढ़ें

बलवान शर्मा, नारनौल। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने नए साल की शुरुआत में स्वयं सहायता समूहों को बड़ा झटका दिया है। विभाग ने पानी की गुणवत्ता जांच से जुड़ी ओटी टेस्ट (रेजीडियल कलोरिन टेस्टिंग) योजना को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। यह वही योजना थी, जिसे वित्तीय वर्ष 2025-26 में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लागू किया जाना प्रस्तावित था लेकिन विभाग ने अब आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि फंड की कमी के चलते यह कार्य अगले आदेश तक स्थगित रहेगा।
दिसंबर की बैठक में लिया गया था फैसला । इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में सीवर और पेयजल वसूली के लिए भी एक जनवरी से नए लक्ष्य निर्धारित कर दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, इस फैसले की पृष्ठभूमि दिसंबर 2025 में हुई विभागीय बैठक से जुड़ी है। 23 दिसंबर 2025 को आयोजित बैठक के बाद इस संबंध में पत्राचार किया गया और संबंधित अधिकारियों को सूचित किया गया कि ओटी टेस्ट को लेकर स्वयं सहायता समूहों से कराया जाने वाला कार्य रोक दिया जाए।
इसी कड़ी में वरिष्ठ अधिकारियों को भी लिखित रूप से अवगत कराया गया। आदेश में साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि सेल्फ हेल्प ग्रुपों द्वारा किए जाने वाले ओटी टेस्ट करने के प्रस्तावित कार्य तो वित्त वर्ष 2025-26 के लिए फंड के अभाव में आगामी आदेशों तक तुरंत प्रभाव से रोक दिया गया है।
जल गुणवत्ता जांच जैसे तकनीकी और ज़रूरी कार्य से जुड़े ओटी टेस्ट स्वयं सहायता समूहों के लिए आय का साधन बनने वाले थे। इससे न केवल महिलाओं को रोज़गार मिलता, बल्कि ग्रामीण स्तर पर पानी की गुणवत्ता की नियमित निगरानी भी सुनिश्चित होती। लेकिन अब इस फैसले से न सिर्फ महिलाओं की आय पर असर पड़ेगा, बल्कि पेयजल की गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया भी प्रभावित होने की आशंका है।
इसके साथ ही जिला सूचना एवं मूल्यांकन सलाहकारों को जल अथवा सीवर का बकाया (उपयोगकर्ता शुल्क) की वसूली और ब्लाॅक संसाधन समन्वयक के समन्वय से निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करेंगे। माहवार वसूली लक्ष्य जनवरी में 33, फरवरी में 33 और मार्च में 34 प्रतिशत होंगे।

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