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    Haryana: 5 लाख रुपये कीमत, कश्मीर की पश्मीना शॉल को बनाने में लगते 6 साल; शिल्पकार का पद्मश्री अवार्ड के लिए भेजा नाम

    By Vinish GodEdited By: Deepak Saxena
    Updated: Sun, 10 Dec 2023 09:14 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर की पश्मीना की कानी शॉल पूरी दुनिया में काफी पॉपुलर है। वहीं अच्छी गुणवत्ता की शॉल बनाने में 6 साल का समय लग जाता है जबकि इसको बनाने में 5 लाख की लागत है। कानी शॉल बनाने पर शिल्पकार निसार अहमद खान को राष्ट्रीय गौरव अवार्ड मिल चुका है। कश्मीर सरकार ने शिल्पकार निसार अहमद का नाम पद्मश्री अवार्ड के लिए भेजा है।

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    कश्मीर की पश्मीना शॉल को बनाने में लगते 6 साल; शिल्पकार का पद्मश्री अवार्ड के लिए भेजा नाम।

    जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र। जम्मू कश्मीर के शिल्पकार निसार अहमद खान को पश्मीना कानी शॉल को बनाने में छह साल का समय लग जाता है। इस शॉल की कीमत पांच लाख रुपये रहती है। कानी शॉल को वैराइटी के हिसाब से पांच या छह माह में भी तैयार किया जा सकता है। शिल्पकार निसार अहमद खान को इंडिया इंटरनेशनल फ्रेंडशिप सोसाइटी की तरफ से वर्ष 2015 में राष्ट्रीय गौरव अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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    इसी शिल्प कारीगरी में शामिल पूरा परिवार

    अहम पहलु यह है कि शिल्पकार निसार अहमद खान के दादा, परदादा और वर्तमान में पूरा परिवार इस शिल्पकला में लगा हुआ है। इस कानी शिल्पकला के लिए उनके भाई शोहकत अहमद खान को वर्ष 2006 और उनके दूसरे भाई मुस्ताक अहमद खान को भी वर्ष 2012 में राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिल्पकार निसार अहमद खान को एनजेडसीसी की तरफ से स्टाल नंबर तीन अलॉट किया है। शिल्पकार निजार अहमद खान कानी शॉल, लोई, कंबल, सूट पर्यटकों के लिए लेकर पहुंचे हैं।

    हाई क्वालिटी की पश्मीना कानी शॉल बनाने में लगते 6 साल

    उन्होंने कहा कि पुश्तों से उनका परिवार कानी शॉल बनाने का काम कर रहा है। इस महोत्सव में वह एक हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक की पश्मीना शॉल लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि उच्च गुणवत्ता की पश्मीना कानी शॉल बनाने में छह साल का समय लग जाता है। इस शॉल को डोगरा, सिख और मुगल काल में भी पसंद किया जाता था।

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    उस समय पश्मीना का बड़ा शॉल पहना जाता था और राजा महाराजा इस शॉल को शौक के साथ पहनते थे। मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद इस शिल्पकला से जुड़े शिल्पकार निसार का 36 साल का अनुभव हो चुका है। इस 36 साल में निसार को वर्ष 2015 में राष्ट्रीय गौरव, वर्ष 2012 में राष्ट्रीय अवार्ड प्रमाण पत्र, फ्रांस से जनवरी 2023 में अंतरराष्ट्रीय शिल्पकार प्रशंसा पत्र, हस्तकार अवार्ड सहित अनेकों शिल्पकला के क्षेत्र में अवार्ड हासिल कर चुके हैं। शिल्पकला को लेकर जम्मू सरकार की तरफ से उनका नाम पद्मश्री के लिए भी भेजा गया है।

    शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से मदद

    उन्होंने कहा कि इस शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से भी मदद मिलती है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया के प्रोग्राम को भी आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उनके साथ कश्मीर में लगभग 250 लोग जुड़े हुए हैं जिसमें 20 साल के नौजवान से लेकर 90 साल के बुजुर्ग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि फ्रांस और अन्य देशों में आने वाले 10 सालों को जेहन में रखकर कलर कांबिनेशन की कानी शॉल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है।

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