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कोराेना संकट में सद्भाव की बयार, इस्लामिक विद्वानों ने किया एक साथ गीता और कुरान का पाठ

कोराेना संकट के बीच इस्‍लामिक विद्वानों ने सांप्रदायिक सद्भाव का अद्भूत संदेश दिया। उन्‍होंने घरों में रहकर गीता और कुरान का एक साथ पाठ किया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 16 May 2020 11:15 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 08:24 AM (IST)
कोराेना संकट में सद्भाव की बयार, इस्लामिक विद्वानों ने किया एक साथ गीता और कुरान का पाठ
कोराेना संकट में सद्भाव की बयार, इस्लामिक विद्वानों ने किया एक साथ गीता और कुरान का पाठ

करनाल, [पवन शर्मा]। ' हम काशी काबा के राही, हम क्या जानें झगड़ा बाबा, अपने दिल में सबकी उल्फत अपना सबसे रिश्ता बाबा, हर इंसा में नूर-ए-ख़ुदा है सारी किताबों में लिखा है, वेद हो या इंजीले मोकद्दस हो कुरान कि गीता बाबा...।' यकीनन, मशहूर शायर अनवर जलालपुरी की ये पंक्तियां बयां करती हैं कि श्रीमद्भागवत गीता हो या कुरान-ए-पाक, दोनों ईश्वरीय वाणी हैं। इसी से प्रेरित होकर हिंदुस्तान में शायद पहली बार करनाल के इस्लामिक बुद्धिजीवियों ने घरों पर रहते हुए गीता और कुरान पाक का पाठ किया। इस दौरान उन्‍होंने काेरोना के लिए लागू हिदायतों का पूरा पालन किया।

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इस्लामिक विद्वानों ने घरों पर किया गीता और कुरान का पाठ, संक्रमण से बचाव का भी रखा ध्यान

मकसद था, कोरोना संकट से जूझती दुनिया को इन पवित्र धर्मग्रंथों के जरिए महफूज रखने की सामूहिक दुआ और कामना। इसके प्रेरणास्रोत बने गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद। इस दौरान संसार को कोरोना से निजात दिलाने की कामना करते हुए स्वामी ज्ञानानंद के जन्मदिन पर उनकी लंबी उम्र की दुआ की गई।

घरों और कुछ जगह मस्जिदों में शारीरिक दूरी कायम रखकर दुआ, झिंझाना में प्रतीकात्मक समापन

कार्यक्रम के प्रतीकात्मक समापन पर राधे-राधे की इबारतयुक्त पटका धारण किए इस्लामिक विद्वानों के हाथ में कुरान और गीता नजर आई तो लगा मानो पूरा हिंदुस्तान यहीं मुकम्मल हो गया। काबिल-ए-गौर पहलू यह रहा कि इस दौरान घरों से लेकर कुछ मस्जिदों तक गिनती के लोग ही इस कार्यक्रम का हिस्सा बने और उनके बीच उचित शारीरिक दूरी कायम रहे, इसका भी बखूबी ध्यान रखा गया। 

36 घंटे तक चले कार्यक्रम के समापन पर सिर्फ दो विद्वानों ने की सभी प्रतिभागियों की नुमाइंदगी

श्रीकृष्ण कृपा परिवार से जुड़े करनाल सहित हरियाणा के विभिन्न स्थानों से ताल्लुक रखने वाले ये इस्लामिक विद्वान अर्से से सांप्रदायिक सद़भाव की मुहिम चला रहे हैं। शनिवार को मुकद्दस रमजान का चौथा अशरा शुरू हुआ, जिसके साथ ही इन बुद्धिजीवियों ने 36 घंटे लंबे विशेष कार्यक्रम को विराम दिया।

कोरोना से लड़ाई के बीच सकारात्मक पहल के लिए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद से मिली प्रेरणा

दरअसल, रमजान का मुकद्दस महीना चल रहा है और इस्लाम में मान्यता है कि इन दिनों हर रोजेदार को न सिर्फ खाने-पीने का रोजा रखना चाहिए बल्कि, जुबान व किरदार में भी पाकीजगी रखकर इबादत करनी चाहिए। इसी से प्रेरित स्थानीय मुस्लिमों ने गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद के मार्गदर्शन में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश की।

इसके तहत घरों से लेकर कुछ मस्जिदों तक कुल 31 मौलवियों, आलिमों व हाफिज-ए-कुरान-ए-पाक ने कुरान और गीता संदेश के सामूहिक वर्णन की पहल की। हालांकि, मस्जिद हो या घर, सभी जगह गिनती के ही लोग जुटे और शारीरिक दूरी कायम रखने के साथ संक्रमण से बचाव का पूरा ख्याल रखते हुए दुआ की गई।

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दो ही विद्वानों ने की सबकी नुमाइंदगी

हरियाणा के करनाल से शुक्रवार को घर-घर में शुरू हुए इस कार्यक्रम को शनिवार की शाम उत्तर प्रदेश के शामली स्थित झिंझाना कस्बे में दुआ के साथ विराम दिया गया। यहां सभी विद्वानों की नुमाइंदगी करते हुए हरियाणा हज कमेटी के समन्वयक खुर्शीद आलम और दरगाह हजरत शाह उल आलमीन अब्दुल रज्जाक अलवी नीला रोजा के सज्जादानशीं बाबर हुसैन ही पहुंचे। दोनों ने गीता और कुरान के संदेश पर साझा मंथन करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने का पैगाम दिया। संक्रमण के खतरे के चलते शारीरिक दूरी रखने के साथ अन्य हिदायतों पर भी अमल किया गया।

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इन सबने की घरों में दुआ

अपने-अपने घरों पर रहकर जो इस्लामिक विद्वान इस कार्यक्रम में शरीक हुए, उनमें मौलवी हाजी हामिद सिद्दीकी, कारी राशिद राव, हाफ़िज वकील-उर-रहमान, मौलवी तैयब कस्सार, डा. अजमत उल्लाह खान, युसूफ त्यागी, हाफिज़ मोबिन आलम, मोहम्मद इस्लाम आलम, हाफिज़ अशरफ अली, नसीबुद्दीन सैफी, मोहम्मद खालिद शाह, युनूस त्यागी, इलियास अहमद, नसीम अहमद सैफी, नदीम मिर्ज़ा, नदीम खान, तनवीर आलम, तसवीर आलम, अबू बकर, साहिल शाह, दरगाह हजरत शाह उल आलमीन अब्दुल रज्जाक अलवी नीला रोजा के सज्जादानशीं बाबर हुसैन, राज्य हज कमेटी के समन्वयक खुर्शीद आलम सहित श्रीकृष्णा कृपा परिवार के साधक शामिल हैं। 

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...काेई भी दुश्मन न मिलेगा

आयोजन में सूत्रधार की भूमिका निभा रहे हरियाणा राज्य हज कमेटी के समन्वयक खुर्शीद आलम ने इस शेर के जरिए अपनी भावनाएं अभिव्यक्त कीं कि, 'तुम प्यार की सौग़ात लिए घर से तो निकलो, रास्ते में तुम्हें कोई भी दुश्मन न मिलेगा।' बकौल खु़र्शीद, कौमी यकजहती कायम रखने के लिए ऐसी गतिविधियां जारी रहेंगी।

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वली हैं स्वामी ज्ञानानंद: इलियासी

सांप्रदायिक सौहार्द की अलख जगा रहे इस्लामिक विद्वानों की हौसलाअफजाई के लिए राष्ट्रीय इमाम एसोसिएशन के सदर मौलाना उमेर इलियासी ने दिल्ली से खास पैगाम भिजवाया। इसमें उन्होंने कहा कि स्वामी ज्ञानानंद साधारण शख्सियत नहीं बल्कि, वली हैं, जिनसे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।

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