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छात्रवृति के नाम पर 96 लाख के घोटाले मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो की बड़ी कार्रवाई, बैंक उपप्रबंधक समेत चार पर केस

पंजाब के विभिन्न कालेजों में कई कोर्सों में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के फर्जी दाखिले दिखाकर छात्रवृत्ति में घोटाला किया गया था। जिसमें करीब 2000 से अधिक विद्यार्थियों के फर्जी दाखिले दिखाए गए थे। इस मामले में अब एसीबी की टीम ने चार लोगों पर केस दर्ज किया है। आरोपितों ने विद्यार्थियों के फर्जी बैंक खाते खुलवाकर करीब 96 लाख का घोटाला किया था।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Sun, 09 Jun 2024 01:21 PM (IST)
छात्रवृति के नाम पर 96 लाख के घोटाले मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो की बड़ी कार्रवाई, बैंक उपप्रबंधक समेत चार पर केस
छात्रवृत्ति के नाम पर 96 लाख का हुआ था घोटाला (फाइल फोटो)

सुरेंद्र सैनी, कैथल। सरकार की ओर से पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित व पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में 96 लाख रुपये के घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने बड़ी कार्रवाई की है। एसीबी की टीम ने घोटाला सामने आने के करीब छह साल तक जांच के बाद चार लोगों पर केस दर्ज किया है।

इनमें करनाल रोड स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा के तत्कालीन उपप्रबंधक हुकम चंद गुप्ता, असंध निवासी कामन सर्विस सेंटर संचालक नवीन कुमार, गांव सिरटा निवासी धर्मवीर व शहर की डिफेंस कालोनी निवासी राजेश कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया है।

अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के फर्जी दाखिले दिखाकर किया गया था घोटाला

वर्ष 2014-15 व 2015-16 के शैक्षणिक सत्र में पंजाब के विभिन्न कालेजों में कई कोर्सों में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के फर्जी दाखिले दिखाकर घोटाला किया गया था। करीब 2000 से अधिक विद्यार्थियों के फर्जी दाखिले दिखाए गए थे। एक छात्र को 30 से 35 हजार रुपये छात्रवृत्ति सरकार की ओर से दी जाती है।

आरोपितों ने पंजाब के विभिन्न कालेजों में एएनएम व जीएनएम के कोर्सों में फर्जी दाखिला दिखाया था। राजेश व धर्मवीर द्वारा करियर एजुकेशन गाइडेंस (सीईजी) के नाम से सेंटर चलाया जा रहा था।

इस सेंटर के छात्र-छात्राओं के साथ-साथ हरियाणा सहित पंजाब व अन्य राज्यों के शिक्षण संस्थानों में विभिन्न कोर्सों में दाखिले करवाने के लिए इश्तहार जारी करवाए गए थे। आरोपितों ने विद्यार्थियों के फर्जी बैंक खाते खुलवाकर करीब 96 लाख का गोलमाल किया था।

विद्यार्थियों से लेते थे एक से तीन हजार रुपये की फीस

छह साल तक चली जांच में यह भी सामने आया कि आरोपित विद्यार्थियों को सलाह देने के लिए उनसे एक से तीन हजार रुपये तक की फीस लेते थे। उनसे यह फीस यह कहकर ली जाती थी कि वह उन्हें विभिन्न कोर्स के लिए पंजाब के कालेज और यूनिवर्सिटी में दाखिला दिलाएंगे।

यहीं नहीं जब बैंक कर्मी ने विद्यार्थियों के खाते खोले तो उनके दस्तावेजों की जांच तक नहीं की। दस्तावेजों की जांच किए बिना ही बैंक खाते खोल दिए। अनुसूचित जाति के 92 छात्र व छात्राओं का फर्जी दाखिला पंजाब के नर्सिंग कालेजों में दिखाया गया था।

जिला कल्याण अधिकारी ने भी दस्तावेजों की जांच बिना जारी की राशि

मामले में तत्कालीन जिला कल्याण अधिकारी बलवान ने भी बिना दस्तावेजों की जांच किए बिना ही राशि जारी कर दी थी। विभाग के एसीएस की ओर से जारी किए गए पत्र से पंजाब के कालेजों व यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों की दाखिले की जांच के आदेश दिए थे।

जिला कल्याण अधिकारी ने इन दस्तावेजों की जांच किए बिना ही खातों में रुपए डाल दिए। एटी करप्शन ब्यूरो प्रभारी महेंद्र सिंह ने बताया कि जिला कल्याण विभाग की तरफ से विद्यार्थियों को दी जानी वाली छात्रवृत्ति के नाम पर करीब 96 लाख रुपये का घोटाला किया है।

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