हरियाणा के जींद में अचानक नीम के पेड़ से निकलने लगा 'दूध', चमत्कार देख बर्तन लेकर पहुंचे लोग
हरियाणा के जींद के उचाना उपमंडल के गांव खरकभूरा में एक नीम के पेड़ से पिछले 20 दिनों से पानी निकल रहा था और सोमवार को पेड़ से अचानक सफेद तरल पदार्थ निकलने लगा। जिसके बाद कुछ लोगों ने इसे दूध बताया तो वहीं कुछ लोगों ने इसे चख कर देखा। इतना ही नहीं काफी सारे लोग इसको घर ले जाने के लिए बर्तन लेकर पहुंच गए।

जागरण संवाददाता, जींद। हरियाणा के जींद जिले के उचाना उपमंडल के गांव खरकभूरा में एक नीम के पेड़ से पिछले 20 दिनों से पानी निकल रहा था। इसके बाद सोमवार को नीम के पेड़ से अचानक सफेद तरल पदार्थ निकलने लगा।
कुछ लोगों ने इसको दूध बताया तो वहीं कुछ लोगों ने इसे चख कर देखा। वहीं, कुछ लोग बर्तन लेकर सफेद तरल पदार्थ को घर ले जाने के लिए पहुंच गए। फिलहाल नीम के पेड़ से निकल रहा सफेद तरल पदार्थ लोगों के बीच चर्चा का विषय है और लोग इसे आस्था से जोड़ रहे हैं। आइए जानते हैं आखिर ये पूरा मामला क्या है।
पात्रों में तरल पदार्थ को घर ले जा रहे लोग
हालांकि, कुछ लोगों नीम के पेड़ से निकल रहे तरल पदार्थ चख कर भी देखा है। इन लोगों का कहना है कि बेशक नीम कड़वा होता है, लेकिन यह तरल मीठा है। ग्रामीणों ने इसको आस्था से जोड़ना शुरू कर दिया है। कुछ लोग बोतल व अन्य पात्रों में नीम के पेड़ से निकल रहे तरल को एकत्रित कर अपने घर लेकर जा रहे हैं।
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पहले 20 दिन पानी निकल रहा था
जींद में नीम के पेड़ से निकलता सफेद तरल पदार्थ।
खकरभूरा गांव निवासी मनोज, अंकित व जितेंद्र ने बताया कि गांव में पौड़ी वाले जोहड़ के पास 20 साल से अधिक पुराना एक नीम का पेड़ है। इस पेड़ से करीब 20 दिन पहले पानी गिरना शुरू हुआ था। सोमवार को इस पेड़ से पानी की जगह सफेद दूध की तरह का तरल पदार्थ निकलना शुरू हो गया। इससे लोगों में काफी जिज्ञासा हुई।
इसको लेकर युवा व बड़े बुजुर्ग भी एकत्रित हुए। कई लोगों ने नीम के पेड़ से निकल रहे सफेद तरल पदार्थ से चख कर भी देखा। इन लोगों ने बताया कि यह तरल मीठा है, जबकि नीम कड़वा होता है।
जूलॉजी डिपॉर्टमेंट ने क्या कहा?
वहीं, इसको लेकर जब जूलॉजी डिपॉर्टमेंट के सीआरएसयू डॉक्टर दीपक से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि पेड़ में यह बहुत ही सामान्य प्रक्रिया होती है। कई बार किसी रसायन का संपर्क मिलने से पेड़ में ऐसी प्रतिक्रिया होती है, जो पेड़ के स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होती।
इससे फंगल संक्रमण या अन्य रसायनिक प्रतिक्रिया होती हैं। पेड़ इससे अस्वस्थ महसूस करता है। इस प्रकार के तरल को निकाल कर पेड़ इस प्रकार के संक्रमण को निकालता है। यह प्रक्रिया कई सप्ताह तक भी चल जाती है। इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
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