हिमाचल के सोलन में साइंटिस्ट ने किया कमाल, कालका-शिमला ट्रैक के पास ढूंढा 2 करोड़ साल पुराना Fossil
सोलन जिले के कोटी रेलवे स्टेशन पर 2 करोड़ वर्ष पुराना फूल के तने का जीवाश्म खोजा गया है। यह पहली बार है जब ऊंचाई वाले क्षेत्र में इस तरह का जीवाश्म मिला है। इससे पहले समुद्र तल से करीब 2000 मीटर की ऊंचाई वाले कसौली बड़ोग व अन्य क्षेत्रों में दो करोड़ वर्ष पुराने पेड़ों पत्तों व अन्य चीजों के जीवाश्म मिले थे।
मनमोहन वशिष्ठ, सोलन। भूविज्ञानियों ने सोलन जिले के कसौली के नजदीक विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलमार्ग पर कोटी स्टेशन पर संभावित दो करोड़ वर्ष पुराने फूल के तने का जीवाश्म खोजा है।
यह पहली बार है, जब ऊंचाई वाले क्षेत्र में इस तरह का जीवाश्म मिला है। इससे पहले समुद्र तल से करीब 2,000 मीटर की ऊंचाई वाले कसौली, बड़ोग व अन्य क्षेत्रों में दो करोड़ वर्ष पुराने पेड़ों, पत्तों व अन्य चीजों के जीवाश्म मिले थे।
डॉ. रितेश आर्य सालों से कर रहे हैं जीवाश्मों की खोज
जीवाश्म विज्ञानियों और भूविज्ञानियों की एक टीम ने कोटी रेलवे स्टेशन से जीवाश्म तने की पहली खोज की घोषणा की है। यह अभूतपूर्व खोज कसौली फार्मेशन के भीतर फूलदार पौधों के विकास और विविधीकरण पर नए साक्ष्य प्रदान करती है। कसौली फार्मेशन को पौधों के जीवाश्मों के समृद्ध संग्रह के लिए लंबे समय से जाना जाता है।
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जब से मेडलिकाट ने 1864 में कसौली से पहला जीवाश्म खोजा था, तब से कसौली भारतीय उपमहाद्वीप के पुरापाषाण पर्यावरण और जैविक विकास के बारे में चर्चा का केंद्र रहा है। कसौली निवासी एवं कसौली फार्मेशन के जीवाश्मों पर पीएचडी करने वाले डॉ. रितेश आर्य 1987 से चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में स्नातक समय से ही यहां पर जीवाश्मों की खोज करते आ रहे हैं।
उन्होंने कसौली, जगजीत नगर, बड़ोग, कुमारहट्टी से कई जीवाश्म वृक्ष और सैकड़ों फूल, बीज, फल, कीट पंख, कई पत्ते, मोनोकोट और डायकोट दोनों, गार्सिनिया, ग्लूटा, कांब्रेटम और सिजीगियम से एकत्र किए हैं, जो भूमध्यरेखीय समानताएं दिखाते हैं। यह खोज प्रसिद्ध भूविज्ञानी और टेथिस जीवाश्म संग्रहालय के संस्थापक डॉ. रितेश आर्य ने की। इस दौरान उनके साथ तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) लिमिटेड से सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. जगमोहन सिंह भी थे।
जियो पर्यटन पर उभर सकता है सोलन जिला
भूविज्ञानी एवं टेथिस जीवाश्म संग्रहालय के संस्थापक डॉ. रितेश आर्य ने कहा कि सोलन जिले के विभिन्न क्षेत्र जियो पर्यटन के तौर पर उभर सकते हैं। यहां हर गांव में किसी न किसी तरह के जीवाश्म थोड़ा सा खोजने पर मिल जाते हैं। खोजे गए जीवाश्मों को यदि उसी क्षेत्र में सरकार संरक्षित रखने का प्रविधान कर दे, तो पर्यटन गांव-गांव तक उभर सकता है।
जगजीतनगर में दो करोड़ वर्ष पुराने पेड़ का जीवाश्म आज भी वहीं स्थित है, जिसे लोग देखते हैं। उसको किसी व्यक्ति ने संरक्षित किया हुआ है। अधिकांश जीवाश्म उन्होंने टेथिस जीवाश्म म्यूजियम में रखे हुए हैं।
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