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    हांसी में अफसरों ने कर दिया खेल, 15 साल पहले मरे हुए व्यक्ति के नाम पर धांधली; तहसीलदार सहित 7 पर केस दर्ज

    हरियाणा Haryana News के हांसी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां मृत व्यक्ति के नाम से फर्जी शपथ पत्र (ऐफिडेविट) तैयार कर सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर किया गया। पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर तहसीलदार समेत सात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार अधिवक्ता मुंशी और अन्य लोगों की संलिप्तता सामने आई है।

    By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 18 Feb 2025 02:41 PM (IST)
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    हांसी में मृत व्यक्ति के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाने का मामला सामने आया है। प्रतिकात्मक तस्वीर

    संवाद सहयोगी, हांसी। Haryana News: हिसार जिले के तहसील हांसी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, यहां मृत व्यक्ति के नाम से फर्जी शपथ पत्र ऐफिडेविट तैयार कर सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर किए जाने का मामला सामने आया है।

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    पुलिस ने लालपुरा निवासी दीवान सिंह के बयान पर तहसीलदार समेत सात लोगों के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

    ये है पूरा मामला

    लालपुरा गांव निवासी दीवान सिंह ने पुलिस को बताया कि उनका खाता विभाजन व रास्ते को लेकर मामला तहसीलदार हांसी के समक्ष विचाराधीन था, जिसकी अपील आयुक्त हिसार के पास लंबित थी।

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    इसी दौरान तत्कालीन तहसीलदार रामफल कटारिया, अधिवक्ता सुखवीर यादव, उनके मुंशी सोनू, तथा नोरंग, राजकुमार, सुरेंद्र और इंद्रावती ने आपराधिक षड्यंत्र रचकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे।

    मृत व्यक्ति के नाम से जारी हुआ था ऐफिडेविट

    दीवान सिंह ने बताया कि तहसीलदार और अन्य आरोपितो ने रामसिंह नामक व्यक्ति के नाम से 24 जनवरी 2012 को एक फर्जी ऐफिडेविट तैयार करवाया, जबकि रिकॉर्ड के अनुसार रामसिंह की मृत्यु 19 जून 2010 को ही हो चुकी थी।

    इसी फर्जी ऐफिडेविट के आधार पर सनद तकसीम खसरा-खतौनी विभाजन से संबंधित सरकारी प्रमाण पत्र तैयार की गई। कोर्ट कार्यवाही में प्रयोग किया गया। 13 फरवरी 2012 को दूसरा फर्जी ऐफिडेविट भी निकाला गया, जिसे अपील के दौरान कोर्ट में पेश किया गया।

    कोर्ट ने FIR दर्ज करने के दिए थे आदेश

    पीड़ित ने कुछ समय पहले पुलिस को इस मामले की शिकायत दी थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद अब बीते दिनों इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले (सुरेश चंद्र जैन बनाम मध्य प्रदेश राज्य, 2001) का हवाला देते हुए धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत एसएचओ हांसी को 7 दिनों के भीतर उचित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने और इसकी प्रति अदालत में जमा करने के निर्देश दिए थे।

    जमानत पर आया आरोपित चोरी मामले में साथी समेत काबू

    वहीं, एक दूसरे खबर की बात करें तो सीआइए ने 14 जनवरी को एमिनेंट माल के पास से इलेक्ट्रिक स्कूटी चोरी के मामले में दो आरोपितों आदमपुर निवासी अमन और बरवाला के खारा निवासी राजेश को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपितों से अलग अलग जगह से चुराई गई 11 इलेक्ट्रिक स्कूटी बरामद की है।

    उप निरीक्षक कर्ण सिंह ने बताया कि दोनों आरोपितों की अपराधिक पृष्ठभूमि है। आरोपित अमन स्कूटी चोरी के मामले में जेल में बंद था। आरोपित 6 फरवरी को जमानत पर बाहर आया है। अमन और दो स्कूटी चोरी के केस थाना आजाद नहर और एक एनडीपीएस एक्ट के तहत अभियोग नोहर भादरा में दर्ज है। जिस में यह जमानत पर रिहा है।

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