Haryana Weather: हिसार सबसे ठंडा, 5.4 डिग्री तक आया तापमान; 24 घंटे में बारिश की संभावना
उत्तर भारत में शीतलहर जारी है और हरियाणा के कई हिस्सों ने शुक्रवार सुबह न्यूनतम तापमान के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। हालांकि तापमान में औसत से बड़ा अंतर नही ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पानीपत। पिछले कुछ समय से पहाड़ों में शुष्क मौसम का सिलसिला जारी है। उत्तर भारत के ढलानों और मैदानी इलाकों में सूखी और ठंडी हवाएं बह रही हैं। पिछले दो दिनों से रात के तापमान में गिरावट जारी है। हरियाणा के कई हिस्सों ने शुक्रवार सुबह न्यूनतम तापमान के नए रिकार्ड बनाए हैं। हालांकि, तापमान में औसत से बड़ा अंतर नहीं देखा गया है, लेकिन यह सामान्य से 1.0 से 2.0 डिग्री तक कम है।
प्रदेश के अधिकतर जिलों का तापमान सिंगल डिजिट में पहुंच गया। शुक्रवार को सबसे कम तापमान हिसार का दर्ज किया गया, जो 5.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज रहा। मौसम विभाग का मानना है कि अगले 24 घंटे में बादल छा सकते हैं। इस दौरान पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता देखने को मिल सकती है। न्यूनतम तापमान में गिरावट: पिछले दो दिनों से रात के तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है।
कहां का कितना रहा तापमान
तेज हवा चलने से आसमान में छाई प्रदूषण की परत पतली हुई है। हरियाणा के कई हिस्सों में सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। चंडीगढ़ में 7.9 डिग्री सेल्सियस, करनाल में 6.5 डिग्री, पानीपत में 8.8 डिग्री, भिवानी में 8.3 डिग्री, सिरसा में 9.6 डिग्री व सबसे कम हिसार में 5.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।
सर्दी की पहली बारिश की संभावना
इस पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से सर्दी की पहली वर्षा होने की संभावना जताई है। पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवातीय परिसंचरण के संयुक्त प्रभाव से वर्षा की संभावना बनी हुई है। हरियाणा के उत्तरी हिस्सों चंडीगढ़, अंबाला, करनाल, पंचकूला, यमुनानगर में वर्षा की ज्यादा संभावना है।
लंबे समय का सूखा खत्म कर सकती है वर्षा
मौसम पूर्वानुमान के अनुसार यह वर्षा भारी नहीं होगी, लेकिन लंबे समय से जारी शुष्क मौसम को खत्म कर सकती है। वर्षा 8 दिसंबर की देर रात से शुरू होकर 9 दिसंबर की सुबह तक समाप्त होने की संभावना है। वर्षा की तीव्रता जैसी भी हो, लेकिन यह मौसम में बदलाव जरूर लाएगी। हल्की वर्षा के कारण ठंड का असर बढ़ा देगी और कड़ाके की ठंड का आधार होगी।
पश्चिमी विक्षोभ से बदलेगा हवा का पैटर्न
8 दिसंबर की शाम को जम्मू-कश्मीर की पहाड़ियों पर एक पश्चिमी विक्षोभ आ रहा है। इससे पहले पश्चिम राजस्थान के सीमा क्षेत्र और पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली क्षेत्र को कवर करते हुए एक व्यापक और बंद चक्रवातीय परिसंचरण विकसित होने की संभावना है।

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